बालाघाट, कटंगी। राज्य सरकार ने ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों को गांव में ही हाईस्कूल की शिक्षा दिलाने के लिए 09 वर्ष पूर्व मिडिल स्कूलों का हाईस्कूल में उन्नयन तो कर दिया, लेकिन 08 साल पूरे बीतने पर भी इन स्कूलों को भवन और शिक्षक नहीं मिल सके हैं। नतीजतन विद्यार्थियों को बीते 08 वर्षों से गुणात्मक शिक्षा से वंचित रहना पड़ रहा है। माध्यमिक स्कूलों के भवन में माध्यमिक और हाईस्कूल दोनों कक्षाओं के छात्र-छात्राओं को एक ही परिसर में बैठाकर पड़ाया जा रहा है। इससे गुणात्मक शिक्षा पर सवालिया निशान खड़ा हो रहा है। पूरा मामला बालाघाट जिले के विकासखंड कटंगी का है। वर्ष 2016 में विकासखंड कटंगी के दिग्धा, बोथवा, हरदोली, सावंगी और मानेगांव माध्यमिक स्कूल को हाईस्कूल में उन्नयन किया गया किंतु आज तक इन स्कूलों के लिए अलग से इमारत का निर्माण नहीं किया गया है। ऐसे में इन स्कूलों में शैक्षणिक कार्य और स्कूल स्टाफ को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। दिग्धा में दो पालियों में स्कूल संचालित हो रहा है। मानेगांव की माध्यमिक स्कूल की इमारत भी जर्जर है। सावंगी स्कूल के हालात भी किसी से छिपे नहीं है। बोथवा और हरदोली में पड़ाई प्रभावित होने की वजह से अतिरिक्त लंबी दूरी तय कर बोथवा के बच्चे तिरोड़ी और हरदोली के परसवाड़ाघाट स्कूल जाते है।
 सरकार ने शिक्षा के स्तर सुधार के लिए माध्यमिक स्कूलों का उन्नयन तो कर दिया है लेकिन इन 08 वर्षों में शिक्षक और भवन की समस्या को दूर करने पर कोई ध्यान नहीं दिया। अगर, सरकार इन स्कूलों के प्रति गंभीर होती तो अब तक इन स्कूलों की इमारत बनकर तैयार हो चुकी होती। जबकि उन्नयन की प्रक्रिया के बाद सरकार ने उत्कृष्ट विद्यालय और फिर सीएम राइज जैसे स्कूल शुरू करने लगी। कटंगी में सीएम राइज स्कूल की विशाल बिल्डिंग लगभग बनकर तैयार हो चुकी है। नए शैक्षणिक सत्र से शायद नई इमारत में स्कूल लगना शुरू हो सकता है। खैर, बात विकासखंड कटंगी के उन माध्यमिक स्कूलों की हो रही है जिनका हाईस्कूल में उन्नयन किया गया है लेकिन 08 वर्ष बीतने के बाद भी उन्नयन स्कूलों को न तो नए भवन की सौगात मिली है और न ही स्टाफ की। नतीजतन सरकार की मंशा इन प्रयासों से पूरी होती नहीं दिखाई दे रही। वहीं बच्चों की पड़ाई में भी गुणात्मक सुधार नहीं हो पा रहा है।
दिग्धा हाई स्कूल खराब स्थिति में
दिग्धा के चंदन बोम्बर्डे बताते हैं कि साल 2016 में दिग्धा के माध्यमिक स्कूल को हाई स्कूल में अपग्रेड किया लेकिन आज तक भवन बन पाया है। ऐसे में यहां के बच्चों की शिक्षा भी प्रभावित हो रही है। अब यह स्कूल एक शाला एक परिसर के तहत एकीकृत हो गया और फिर इसमें समस्या बडऩे लगी। स्कूल का भवन भी क्षतिग्रस्त हो गया है। ऐसे में स्कूल को दो पालियों में संचालित करना पड़ रहा है। वहीं ग्रामीण यह भी बताते हैं कि इस स्कूल के शौचालयों की स्थिति ठीक नहीं है। स्कूल की छात्रा ने बताया कि हमें शौचालय के इस्तेमाल के लिए काफी दिक्कत हो रही है। शौचालय में गंदगी पसरी रहती है। यहां पानी की सुविधा नहीं है। यहां के शौचालय क्षतिग्रस्त हालत में है। जिससे छात्राओं को सर्वाधिक समस्याओं का सामना करना पड़ता है। स्कूल के एक छात्र ने बताया कि अर्द्धवार्षिक परीक्षा 9 दिसंबर से शुरू हो रही है। इस बार अतिथि शिक्षकों की भर्ती भी सितंबर में हुई। ऐसे में हमारी पड़ाई प्रभावित हो रही है। छात्र का कहना है कि देरी के नियुक्ति के बावजूद हमारे शिक्षक सिलेबस पूरा करने की पूरी कोशिश कर रहे है।