लंबे इंतजार के बाद मप्र में ईवी पॉलिसी 2025 का ड्राफ्ट तैयार
भोपाल । लंबे इंतजार के बाद मप्र में ईवी पॉलिसी 2025 का ड्राफ्ट तैयार हुआ है। इस पॉलिसी के तहत ईवी खरीदने पर सब्सिडी दी जाएगी और ईवी पर 1 साल तक पार्किंग शुल्क नहीं लगेगा। इसके अलावा 25 लाख रुपये से ज्यादा कीमत वाले पेट्रोल और डीजल वाहनों पर टैक्स बढ़ाया जाएगा। राज्य सरकार का लक्ष्य भोपाल और इंदौर समेत 5 शहरों को ईवी सिटी के तौर पर विकसित करना है। इस पॉलिसी के लागू होने से राज्य में प्रदूषण कम होगा और इलेक्ट्रिक वाहनों की बिक्री बढ़ेगी। लेकिन प्रदेश की ईवी पॉलिसी के ड्राफ्ट में वित्त विभाग ने अडग़ा लगा दिया है।
जानकारी के अनुसार मप्र की ई व्हीकल पॉलिसी को वित्त विभाग ने सहमति नहीं दी है। नगरीय आवास एवं विकास विभाग ने पॉलिसी का जो ड्रॉफ्ट तैयार किया है, उसमें इलेक्ट्रिकल व्हीकल खरीदने वालों को भारी भरकम छूट देने की सिफारिश की है। इसी छूट पर वित्त विभाग को आपत्ति है। 8 फरवरी को मुख्य सचिव अनुराग जैन के सामने पॉलिसी में की गई सिफारिशों का प्रेजेंटेशन हुआ। इस दौरान वित्त विभाग ने पॉलिसी में प्रस्तावित कैपिटल सब्सिडी को लेकर आपत्ति दर्ज की। सूत्रों का कहना है कि ये तमाम छूट देने के बाद सरकार पर 3 हजार करोड़ रुपए का अतिरिक्त भार आएगा। वित्त विभाग इसे लेकर तैयार नहीं है। पॉलिसी को लेकर वित्त विभाग और नगरीय विकास एवं आवास विभाग के अफसर 12 फरवरी को एक बार फिर बैठक करेंगे। इसके बाद इसे आखिरी रूप देकर कैबिनेट में भेजा जाएगा।
कैपिटल सब्सिडी को लेकर आपत्ति
प्रस्तावित पॉलिसी में नई गाड़ी खरीदने, पुरानी पेट्रोल गाड़ी को स्क्रैप में बेचने के साथ चार्जिंग स्टेशन स्थापित करने पर छूट देना शामिल है। नई पॉलिसी 5 साल के लिए प्रभावी रहेगी। नई ईवी पॉलिसी में आम लोगों को कितनी छूट प्रस्तावित है, चार्जिंग स्टेशन का इन्फ्रास्ट्रक्चर किस तरह से डेवलप होगा और वित्त विभाग की क्या आपत्ति है। मप्र की ई व्हीकल पॉलिसी को वित्त विभाग ने सहमति नहीं दी है। नगरीय आवास एवं विकास विभाग ने पॉलिसी का जो ड्रॉफ्ट तैयार किया है, उसमें इलेक्ट्रिकल व्हीकल खरीदने वालों को भारी भरकम छूट देने की सिफारिश की है। इसी छूट पर वित्त विभाग को आपत्ति है। 8 फरवरी को मुख्य सचिव अनुराग जैन के सामने पॉलिसी में की गई सिफारिशों का प्रेजेंटेशन हुआ। इस दौरान वित्त विभाग ने पॉलिसी में प्रस्तावित कैपिटल सब्सिडी को लेकर आपत्ति दर्ज की। सूत्रों का कहना है कि ये तमाम छूट देने के बाद सरकार पर 3 हजार करोड़ रुपए का अतिरिक्त भार आएगा। वित्त विभाग इसे लेकर तैयार नहीं है। पॉलिसी को लेकर वित्त विभाग और नगरीय विकास एवं आवास विभाग के अफसर 12 फरवरी को एक बार फिर बैठक करेंगे। इसके बाद इसे आखिरी रूप देकर कैबिनेट में भेजा जाएगा। प्रस्तावित पॉलिसी में नई गाड़ी खरीदने, पुरानी पेट्रोल गाड़ी को स्क्रैप में बेचने के साथ चार्जिंग स्टेशन स्थापित करने पर छूट देना शामिल है। नई पॉलिसी 5 साल के लिए प्रभावी रहेगी। गौरतलब है कि पहले आओ पहले पाओ प्रस्तावित पॉलिसी में आम लोगों को इलेक्ट्रिक व्हीकल की खरीदी पर सब्सिडी देने का प्रावधान किया गया है। इसमें ई-साइकिल, टू- व्हीलर, थ्री-व्हीलर (कमर्शियल और पैसेंजर), फोर व्हीलर, यात्री-स्कूल बसें और एम्बुलेंस को शामिल किया गया है। कितनी गाडिय़ों की खरीदी पर सब्सिडी मिलेगी, इसकी लिमिट भी तय की गई है यानी सब्सिडी का फायदा पहले आओ, पहले पाओ वालों को मिलेगा। कैपिटल सब्सिडी के अलावा इन्सेंटिव की 4 कैटेगरी बैटरी कैपेसिटी इन्सेंटिव: इसका फायदा टू व्हीलर, थ्री व्हीलर, फोर व्हीलर और एम्बुलेंस खरीदने पर मिलेगा। ई-कार के लिए ढाई हजार किलोवॉट की बैटरी पर तो बाकी वाहनों के लिए 5 हजार किलोवॉट की बैटरी पर छूट मिलेगी।
सरकार जमीन देगी
नोडल एजेंसी चार्जिंग स्टेशन के लिए लैंड बैंक का डेटा बेस तैयार करेगी। जिन्हें चार्जिंग स्टेशन स्थापित करना है, उन्हें रूक्कश्वङ्क पोर्टल से अप्लाय करना होगा। प्राइवेट प्लेयर्स का सिलेक्शन टेंडर से किया जाएगा। नोडल एजेंसी टेंडर की शर्तों के मुताबिक चार्जिंग स्टेशनों को जमीन देगी। सरकारी एजेंसियों को 10 साल के पट्टे पर जमीन मिलेगी। चार्जिंग स्टेशन को पूरे 5 साल तक एक रेट पर बिजली मिलेगी। ये बिजली की औसत लागत से ज्यादा नहीं होगी। सुबह 9 बजे से शाम 4 बजे तक बिजली की लागत औसत लागत का 0.8 गुना होगी। शाम को ये औसत लागत का 1.2 गुना होगी। जो चार्जिंग स्टेशन खुद बिजली बनाएंगे, उन्हें पॉलिसी पीरियड तक 100 फीसदी की छूट मिलेगी। एमपी पावर मैनेजमेंट कंपनी तय करेगी कि चार्जिंग स्टेशन ग्राहकों से कितना सर्विस चार्ज वसूल करेंगे। ये टैरिफ का 1 फीसदी तक हो सकता है। मैन्युफेक्चरिंग यूनिट्स और मैकेनिक होंगे तैयार मैन्युफेक्चरिंग यूनिट्स लगाने के लिए निवेशकों को रियायती दर पर जमीन, एफएआर में छूट मिलेगी। साथ ही रिसर्च एंड डेवलपमेंट के लिए अनुदान, रिसर्चर के लिए सब्सिडी, पेटेंट की सुविधा भी दी जाएगी। रिसर्च के लिए एक्सीलेंस सेंटर की स्थापना के लिए 2 करोड़ रुपए का अनुदान मिलेगा। इंजीनियरिंग, पॉलिटेक्निक और आईटीआई में ईवी से जुड़े पाठ्यक्रम शामिल करने की योजना है। साथ ही ईवी मैकेनिक तैयार करने के लिए आईटीआई में कोर्स शुरू किया जाएगा। फ्री ट्रेनिंग मिलेगी। ईवी पॉलिसी लागू करने बनेगा प्रमोशनल बोर्ड ईवी पॉलिसी को लागू करने और इसके क्रियान्वयन के लिए मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में एमपी ईवी प्रमोशनल बोर्ड का गठन होगा। बोर्ड में तीन विभागों के मंत्री और 6 विभागों के प्रमुख सचिव, अपर मुख्य सचिव स्तर के अधिकारी सदस्य होंगे। नगरीय प्रशासन एवं आवास विभाग पॉलिसी लागू करने वाली नोडल एजेंसी रहेगी। वित्त विभाग की पॉलिसी को लेकर आपत्ति पॉलिसी में सब्सिडी और इन्सेंटिव की छूट देने का प्रावधान किया गया है, जिससे सरकार पर 3021.37 करोड़ रुपए का अतिरिक्त वित्तीय भार आएगा। वित्त विभाग को इस पर आपत्ति है। हालांकि, पॉलिसी में डीजल से चलने वाली गाडिय़ों पर 10 पैसे प्रति लीटर का प्रदूषण टैक्स लगाने और 25 लाख से ज्यादा कीमत वाले पेट्रोल-डीजल वाहनों पर रोड टैक्स बढ़ाने की सिफारिश की गई है। वित्त विभाग से जुड़े सूत्रों का कहना है कि जितनी छूट दी जा रही है, उसकी तुलना में टैक्स से आय नहीं होगी। इसके अलावा केंद्र के 15वें वित्त आयोग ने सिलेक्टेड शहरों के एयर क्वालिटी इंडेक्स सुधारने के लिए जो फंड दिया है, उसका भी इस्तेमाल करने की सिफारिश की गई है।