शेयर बाजार में जारी उतार-चढ़ाव और ट्रंप टैरिफ (Trump Tariff) को लेकर निवेशकों की चिंता के बीच मार्च में म्युचुअल फंड्स में नेट इनफ्लो में गिरावट दर्ज की गई। इक्विटी म्युचुअल फंड्स में निवेश फरवरी के ₹29,303 करोड़ से 14% घटकर मार्च में ₹25,082 करोड़ रह गया। म्युचुअल फंड इंडस्ट्री को मार्च में कुल ₹1.64 लाख करोड़ की निकासी (आउटफ्लो) का सामना करना पड़ा जबकि फरवरी में ₹40,076 करोड़ का नेट इनफ्लो हुआ था। वहीं, डेट म्युचुअल फंड्स से मार्च में ₹2.02 लाख करोड़ की निकासी हुई, जबकि फरवरी में इसमें ₹6,525 करोड़ का इनफ्लो देखने को मिला था। SIP इनफ्लो में भी हल्की गिरावट दर्ज की गई।

SIP में निवेश घटकर ₹25,926 करोड़ पर आया

मार्च 2025 में सिस्टमैटिक इन्वेस्टमेंट प्लान (SIP) के जरिए म्युचुअल फंड में कुल ₹25,926 करोड़ का इनफ्लो आया जो फरवरी 2025 के ₹25,999 करोड़ के मुकाबले थोड़ा कम है। हालांकि, ट्रंप टैरिफ की अनिश्चितताओं और बाजार में जारी उतार-चढ़ाव और करेक्शन के बावजूद, SIP इनफ्लो का स्तर मजबूत बना हुआ है जो खुदरा निवेशकों के निवेश अनुशासन और लॉन्ग टर्म आउटलुक को दर्शाता है। जनवरी में SIP के जरिए 26,400 करोड़ रुपये बाजार में आए। दिसंबर में यह आंकड़ा 26,459 करोड़ रुपये था।

मिरे असेट इन्वेस्टमेंट मैनेजर्स (इंडिया) की हेड ऑफ डिस्ट्रीब्यूशन एंड स्ट्रैटेजिक अलायंसेस, सुरंजना बोर्थाकुर ने कहा, “SIP में ₹25,000 करोड़ से ज्यादा का निरंतर निवेश यह दर्शाता है कि निवेशकों की सोच अब परिपक्व हो रही है और वे अपने लॉन्ग टर्म टारगेट पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं।”

फ्लैक्सी कैप और स्मॉलकैप में सबसे ज्यादा इनफ्लो

मार्च में सभी 11 इक्विटी म्युचुअल फंड कैटेगरी में निवेश देखने को मिला है। सबसे ज्यादा इनफ्लो फ्लेक्सी-कैप फंड्स में देखनो को मिला। इस कैटेगरी में मार्च में ₹5,615 करोड़ का निवेश आया, जबकि फरवरी में इनफ्लो ₹5,104 करोड़ था। इनफ्लो के मामले में दूसरे नंबर पर स्मॉलकैप फंड्स रहा। स्मॉलकैप फंड्स में ₹4,092 करोड़ का निवेश आया। फरवरी में यह ₹3,722.5 करोड़ था।

सेक्टोरल/थीमैटिक फंड्स का इनफ्लो 97% घटा

मिडकैप फंड्स में मार्च में ₹3,438 करोड़ का इनफ्लो आया, जो फरवरी में दर्ज ₹3,406 करोड़ के मुकाबले थोड़ा ज्यादा है। वहीं, सेक्टोरल और थीमैटिक फंड्स में निवेश में भारी गिरावट दर्ज की गई। इस कैटेगरी में मार्च में केवल ₹170 करोड़ का इनफ्लो आया, जबकि फरवरी में यह ₹5,711 करोड़ था—यानी मासिक आधार पर पर करीब 97% की गिरावट को दिखाता है।

मार्च में डिविडेंड यील्ड फंड्स को सबसे कम निवेश मिला, जो केवल ₹140.51 करोड़ रहा। वहीं, लार्जकैप फंड्स में निवेश 13% घटकर मार्च में ₹2,479 करोड़ रह गया, जबकि फरवरी में यह ₹2,866 करोड़ था।

सुरंजना बोर्थाकुर ने कहा, “बाजार में उतार-चढ़ाव के बावजूद, इक्विटी फंड्स में कुल मिलाकर निवेश अपेक्षाकृत स्थिर बना हुआ है, जो दर्शाता है कि निवेशक घबराहट में फैसले नहीं ले रहे हैं। कुल फ्लो पर असर इसलिए दिख रहा है क्योंकि डेट फंड्स से बड़ी निकासी हुई है, जो आमतौर पर फाइनेंशियल ईयर-एंड साइकल में देखी जाती है। उत्साहजनक बात यह है कि स्मॉल-कैप फंड्स में निवेश जारी है, जिससे यह संकेत मिलता है कि निवेशक लंबी अवधि की सोच के साथ आगे बढ़ रहे हैं, न कि सिर्फ हालिया अनुभव के आधार पर निर्णय ले रहे हैं। सेक्टोरल कैटेगरी में धीमा निवेश भी एक सकारात्मक संकेत है, क्योंकि पिछले कुछ महीनों में इस कैटेगरी में असामान्य रूप से अधिक निवेश देखा गया था।”

डेट म्युचुअल फंड्स से हुई ₹2.02 लाख करोड़ की निकासी

डेट म्युचुअल फंड्स से मार्च में ₹2.02 लाख करोड़ की निकासी हुई, जबकि फरवरी में इसमें ₹6,525 करोड़ का इनफ्लो देखने को मिला था। निवेशकों ने मार्च में सभी डेट म्युचुअल फंड कैटेगरी से निकासी (आउटफ्लो) की है। सबसे ज्यादा निकासी लिक्विड फंड्स से हुई, जहां ₹1.33 लाख करोड़ की राशि बाहर निकली। इसके बाद ओवरनाइट फंड्स से ₹30,015 करोड़ की निकासी हुई।

मार्च में सबसे कम निकासी क्रेडिट रिस्क फंड्स और 10-वर्षीय स्थायी अवधि वाले गिल्ट फंड्स से हुई। क्रेडिट रिस्क फंड्स से ₹294 करोड़ और गिल्ट फंड्स से ₹101 करोड़ की निकासी दर्ज की गई।

हाइब्रिड म्युचुअल फंड्स में बिकवाली

हाइब्रिड म्युचुअल फंड्स से मार्च में ₹946 करोड़ की निकासी दर्ज की गई, जबकि फरवरी में इस कैटेगरी में ₹6,803 करोड़ का निवेश आया था। मार्च में सबसे ज्यादा निकासी आर्बिट्राज फंड्स, इक्विटी सेविंग्स फंड्स और कंजर्वेटिव हाइब्रिड फंड्स से हुई, जहां क्रमशः ₹2,854 करोड़, ₹561 करोड़ और ₹271 करोड़ की निकासी दर्ज की गई। वहीं, मल्टी-एसेट एलोकेशन फंड्स को मार्च में सबसे ज्यादा ₹1,670 करोड़ का निवेश मिला। डायनामिक एसेट एलोकेशन/बैलेंस्ड एडवांटेज फंड्स और एग्रेसिव हाइब्रिड फंड्स को मार्च में क्रमशः ₹776 करोड़ और ₹293 करोड़ का इनफ्लो मिला।

सुरंजना बोर्थाकुर के मुताबिक, “हाइब्रिड फंड्स में निवेश में तेज गिरावट चिंता का विषय है—खासकर तब, जब ये प्रोडक्ट बाजार के उतार-चढ़ाव से निपटने के लिए संतुलित जोखिम वाले सॉल्यूशन के रूप में बहुत उपयोगी हैं। ऐसे समय में, अनुशासन बनाए रखना, निवेश से जुड़े रहना और हाइब्रिड जैसे डॉयवर्सिफाइड सॉल्यूशन अपनाना ही निवेशकों को बाजार की अस्थिरता से निपटने में मदद कर सकता है। साथ ही उन्हें अपने वित्तीय लक्ष्यों के साथ जुड़े रहने में भी सहायक होगा।”

रिडेम्पशन का एक बड़ा कारण मुनाफावसूली

मोतीलाल ओसवाल एएमसी के एग्जीक्यूटिव डायरेक्टर और चीफ बिजनेस ऑफिसर अखिल चतुर्वेदी ने कहा, “इक्विटी में सब्सक्रिप्शन दरअसल पिछले महीने की तुलना में 4% बढ़ा है। हालांकि, इस महीने निवेशकों ने ज्यादा रिडेम्पशन किया है, जो पिछले महीने के मुकाबले 25% ज्यादा रहा। जो बात बाजार के कई प्रतिभागियों को चौंका सकती है, वह यह है कि सबसे ज्यादा रिडेम्पशन लार्ज कैप (पिछले महीने से 54% ज्यादा) और सेक्टोरल व थीमैटिक फंड्स (55% ज्यादा) में हुआ। वहीं स्मॉल कैप फंड्स में रिडेम्पशन 15% कम रहा।”

उन्होंने आगे कहा कि बाजार में अस्थिरता के बावजूद बैलेंस्ड एडवांटेज फंड्स (BAF) को भी राहत नहीं मिली। इनमें भी पिछले महीने की तुलना में रिडेम्पशन 30% बढ़ा, जबकि इन्हें अस्थिर माहौल में सबसे बेहतर विकल्प माना जाता है। फिर भी, ये रिडेम्पशन अप्रैल 2024 से अक्टूबर 2024 के बीच के सात महीनों की तुलना में कम रहे।

हम मानते हैं कि इस बढ़े हुए रिडेम्पशन का एक बड़ा कारण मुनाफावसूली (profit booking) है। अप्रैल में होने वाले आउटफ्लो निवेशकों की धारणा को समझने के लिए बेहतर संकेतक साबित हो सकते हैं। हमारा मानना है कि अप्रैल निवेशकों के लिए इक्विटी में एलोकेशन बढ़ाने का अच्छा अवसर हो सकता है और इस दौरान रिडेम्पशन में भी गिरावट आने की संभावना है।

डेट फंड्स में शॉर्ट टर्म वाले हिस्से में बिकवाली मुख्य रूप से एडवांस टैक्स और फाइनेंशियल ईयर एंड से जुड़ी जरूरतों के कारण हुई है। वहीं लॉन्ग टर्म हिस्से में निवेशकों ने हालिया तेजी का लाभ उठाते हुए मुनाफा बुक किया है।