इंदौर प्रेस क्लब के स्थापना दिवस पर आयोजित तीन दिवसीय इंदौर मीडिया कॉन्क्लेव का समापन

इंदौर। इंदौर प्रेस क्लब के 63वें स्थापना दिवस पर आयोजित तीन दिवसीय इंदौर मीडिया कॉन्क्लेव का समापन सत्र मैगसेसे पुरस्कार से सम्मानित वरिष्ठ पत्रकार पी. साईनाथ के राजेंद्र माथुर स्मृति व्याख्यान से हुआ। उदारीकरण के बाद मीडिया संस्थानों में औद्योगिक संस्थानों का प्रवेश हो गया और अखबारों में आमजन के बजाय कार्पोरेट की आवाज अधिक सुनाई देने लगी, परंतु मीडिया की आवाज है और जनता की आवाज बनी रहे यही अपेक्षा है। अखबारों में संपादकों की जगह ब्रांड मैनेजरों ने ले ली। जो पत्रकारिता कल मिशन थी, अब उसने उद्योग का दर्जा ले लिया। यह विचार भारतीय मीडिया से कैसे गायब हुए गांव, गरीब और किसान विषय पर आयोजित व्याख्यान में अतिथि वक्ताओं ने व्यक्त किए। मंच पर पद्मश्री जनक पलटा और अचय चौरडिय़ा उपस्थित थे।
मैगसेसे पुरस्कार से सम्मानित वरिष्ठ पत्रकार पी. साईनाथ ने कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में बोलते हुए कहा कि आज मीडिया ने उद्योग का रूप ले लिया है। बीते वर्ष मीडिया संस्थान का कारोबार 2.32 अरब रुपए रहा। जैसे-जैसे मीडिया में कार्पोरेट घरानों का वर्चस्व बढ़ाने लगा, वैसे-वैसे पत्रकारों के रोजगार के अवसर कम होने लगे।  मीडिया में अब आम आदमी की आवाज सुनाई नहीं देती। इलेक्ट्रानिक मीडिया में तो एंकर पॉवरफुल हो गए हैं और संपादक स्टेनोग्राफर बन गए हैं। उन्होंने कहा कि आज जब मीडिया संस्थानों से नौकरिया जा रही हैं और पत्रकारों के सामने रोजगार का संकट खड़ा हो गया। ऐसे समय में इंदौर प्रेस क्लब में पत्रकारों के उत्थान और उनकी बेहतर संभावनाओं को लेकर तीन दिवसीय मीडिया कॉन्क्लेव कर एक बड़ा कार्य किया, जो केवल सराहनीय नहीं बल्कि प्रशंसनीय भी है। ऐसे आयोजनों से अन्य पत्रकार संगठन भी सीख लें और इस तरह के आयोजन करें ताकि पत्रकार और पत्रकारिता दोनों के हित संवरे। उन्होंने कहा कि यह कितनी बड़ी बिडंवना है कि कोविड महामारी में जिस पत्रकारिता को आवश्यक सेवाओं के रूप में माना गया, उसी दौर में मीडिया संस्थानों से कई पत्रकारों को निकाल दिया गया। कई पत्रकारों ने इसके लिए न्यायालय का दरवाजा भी खटखटाया था। पत्रकारों के हितों की रक्षा करने वाले संगठन खत्म होते जा रहे हैं। इसलिए उनकी आवाज को ताकत नहीं मिल पा रही है।
उन्होंने आगे कहा कि एक तरफ तो बड़े औद्योगिक घरानों के वैवाहिक समारोह में अरबो रुपए खर्च होते, वहीं दूसरी ओर महाराष्ट्र जैसे प्रांत में हजारों शादिया धन के अभाव में स्थगित हो जाती हैं। दिल्ली से प्रकाशित होने वाले अखबारों को हम राष्ट्रीय अखबार का दर्जा देते हैं, जबकि अन्य शहरों से प्रकाशित होने वाले अखबारों को उतना सम्मान नहीं मिलता है। विभिन्न कल्याणकारी योजनाओं की राशि का इस्तेमाल अब वोट बैंक बढ़ाने वाली लाड़ली बहना जैसी स्कीमों में किया जा रहा है, जिससे जनकल्याणकारी योजनाएं प्रभावित हो रही हैं। मध्याह्न भोजन, आंगनवाड़ी जैसी का ठेका बड़़े औद्योगिक घरानों को दिया जा रहा है। देश में 60 प्रतिशत किशोरियां, 67 प्रतिशत बच्चे  और 54 प्रतिशत गर्भवती महिलाएं एनीमिया से ग्रसित हैं। आज भुखमरी के इंडेक्स में भारत कई छोटे देशों से भी आगे है।
कार्यक्रम के विशेष अतिथि महापौर पुष्यमित्र भार्गव ने इंदौर प्रेस क्लब द्वारा आयोजित इंदौर मीडिया कॉन्क्लेव की सराहना करते हुए कहा कि यह एक ऐसा संस्थान है, जिसने देश को श्रेष्ठ पत्रकार दिए हैं। कहा तो यही जाता है कि संविधान में व्यवस्थापिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका तीन स्तंभ होते हैं। जबकि इन तीनों स्तंभों के गुण-दोष की विवेचना करने वाला चौथा स्तंभ मीडिया है, जो संविधान को बड़ा मानता है। उन्होंने कहा कि इंदौर प्रेस क्लब मोबाइल जर्नलिज्म और पोर्टल जर्नलिज्म पर भी पुरस्कार शुरू करे।
विषय प्रवर्तन करते हुए वरिष्ठ पत्रकार हेमंत शर्मा ने कहा कि मूर्धन्य पत्रकार राजेंद्र माथुर ऋषि परम्परा के संवाहक थे। जिनकी लेखनी में खेतिहर मजदूर, किसान, गरीब और कमजोर वर्ग के लोग शामिल होते थे। आज ऐसे ही पत्रकारों की जरूरत है। 1990 में उदारीकरण के बाद अखबारों को खत्म करने का दौर शुरू हो गया। बड़े-बड़े मीडिया संस्थान मुनाफाखोरी के धंधे में शामिल हो गए, जिन्होंने संपादकों को बाहर कर दिया और उनकी जगह ब्रांड मैनेजर को बैठा दिया, ताकि वे अखबारों को रेवेन्यू दिला सकें। उन्होंने कहा कि जब किसान आर्थिक तंगहाली में मरता है तो गांव की कई चीजें खत्म हो जाती हैं। खेती के लिए हल और कृषि के औजार बनाने वाले की भी मौत हो जाती है। असली पत्रकारिता वही है, जो शोषितों के हित में आवाज उठाए, बाकी तो विज्ञापन और पीआर एजेंसी है।
इंदौर प्रेस क्लब के अध्यक्ष अरविंद तिवारी ने स्वागत भाषण देते हुए कहा कि 1962 में स्थापित यह प्रेस क्लब आज जिस स्वरूप में है उसका श्रेय हमारे उन अग्रजों को जाता है, जिन्होंने 63 साल पहले मूर्धन्य पत्रकार बाबा राहुल बारपुते की अगुवाई में इस प्रेस क्लब की आधार शिला रखी थी। मैं इस अवसर पर बारपुते जी के साथ ही हमारे पूर्व अध्यक्ष श्री दिनेश अवस्थी, श्री राजेन्द्र माथुर, मामाजी माणिकचंद वाजपेयी, श्री कृष्णकुमार अष्ठाना, श्री गोकुल शर्मा, श्री महेश जोशी, श्री विद्याधर शुक्ला, श्री जयकृष्ण गौड़, श्री शशीन्द्र जलधारी, श्री ओमी खंडेलवाल, श्री जीवन साहू, श्री सतीश जोशी, श्री विकास मिश्रा व हमारे समस्त संस्थापकों के योगदान को सादर प्रणाम करना चाहता हूं। पत्रकारिता के इन सशक्त हस्ताक्षरों के अथक प्रयास और समर्पण के चलते ही 63 साल पहले रोपा गया यह पौधा आज वटवृक्ष की शक्ल ले चुका है। मैं इस सभागार में मौजूद हमारे पूर्व अध्यक्षों व संस्थापक सदस्यों के प्रति कृतज्ञता ज्ञापित करने के साथ ही उन युवा साथियों का भी आभारी हूं, जिन्होंने पूरी शिद्दत के साथ इस इंदौर प्रेस क्लब को पत्रकारों की ही संस्था के रूप में पहचान दिलवाई।
इस मौके पर वरिष्ठ पत्रकारों का अतिथियों द्वारा सम्मान किया गया। गोपीकृष्ण गुप्ता स्मृति श्रेष्ठ रिपोर्टिंग के पुरस्कार प्रदान किए गए। इसके अलावा आउट स्टेंडिंग परफार्मेंस सम्मान व विशिष्ट सम्मान भी प्रदान किए गए। चौरडिय़ा फाउंडेशन के अध्यक्ष अजय चौरडिय़ा द्वारा चौरडिय़ा फाउंडेशन द्वारा उच्च शिक्षा व विश्वविद्यालय से जुड़ी सार्थक, विद्यार्थी वर्ग के हित में असर करती या उच्च शिक्षा की खोज परक खबर पर पुरस्कार, उद्योग-व्यापार क्षेत्र से जुड़ी सार्थक एवं खोजपरक खबर पर पुरस्कार प्रदान किए गए।
कार्यक्रम का शुभारंभ दीप प्रज्जलन से हुआ। प्रारंभ में छोटे बच्चों ने भजनों की प्रस्तुति दी। अतिथियों  का स्वागत प्रेस क्लब अध्यक्ष अरविंद तिवारी, उपाध्यक्ष प्रदीप जोशी, कोषाध्यक्ष संजय त्रिपाठी, सचिव अभिषेक मिश्रा, ओम नरेडा, रामेश्वर गुप्ता ने किया। स्मृति चिन्ह उपाध्यक्ष दीपक कर्दम ने प्रदान किए। कार्यक्रम का संचालन संजय पटेल ने किया एवं आभार महासचिव हेमंत शर्मा ने व्यक्त किया। इस मौके पर कई वरिष्ठ पत्रकार, छायाकार, इलेक्ट्रॉनिक और वेब मीडिया से जुड़े मीडिया के साथ, पत्रकारिता संस्थानों के विद्यार्थी, शहर की कई प्रमुख संस्थाओं के पदाधिकारी भी मौजूद रहे।


पुस्तक का विमोचन
डॉ. अर्पण जैन अविचल द्वारा वरिष्ठ पत्रकार डॉ. वेदप्रताप वैदिक के जीवन पर केंद्रित पुस्तक हिंदी योद्धा : डॉ. वेदप्रताप वैदिक का विमोचन अतिथियों द्वारा किया गया।

यह हुए सम्मानित
वरिष्ठ पत्रकार सर्वश्री एकनाथहीर पाठक, बलराम अवस्थी, रमण रावल, प्रकाश हिंदुस्तानी, महेन्द्र दुबे, रघुनाथ सिंह पंवार, भानु चौबे, प्रदीप शुक्ला, नीलमेघ चतुर्वेदी, प्रदीप दीक्षित, दीपक शिंदे, अशोक शिंदे, अनिल धड़वाईवाले, मांगीलाल चौहान, ओमप्रकाश जैन, भरत सक्सेना, दिलीप शर्मा, डॉ. प्रतीक श्रीवास्तव, हेमन्त पाल, कीर्ति राणा, शीतल खंडेलवाल, गिरीश कोपरगांवकर, दिलीप मिश्रा (मरणोपरांत)
वरिष्ठ फोटो जर्नलिस्ट में सर्वश्री कैलाश मित्तल, अखिल हार्डिया, दिलीप लोकरे, राजू रायकवार


श्री गोपीकृष्ण गुप्ता स्मृति श्रेष्ठ रिपोर्टिंग पुरस्कार-2022
प्रथम पुरस्कार श्री विकास मिश्रा, द्वितीय पुरस्कार (संयुक्त) श्री गजेन्द्र विश्वकर्मा व श्री गौरव शर्मा, तृतीय पुरस्कार श्री नवीन रांगियाल, पांच विशेष पुरस्कार श्री नीतेश पाल, श्री तरुण तिवारी, श्री राहुल दुबे, श्री बी.एल. पालीवाल, श्री कपिश दुबे को प्रदान किए गए।


श्री गोपीकृष्ण गुप्ता स्मृति श्रेष्ठ रिपोर्टिंग पुरस्कार-2023
प्रथम पुरस्कार श्री हरिनारायण शर्मा, द्वितीय पुरस्कार श्री अभिषेक दुबे, तृतीय पुरस्कार (संयुक्त) श्री प्रदीप मिश्रा व श्री भूपेन्द्र सिंह, पांच विशेष पुरस्कार श्री प्रमोद मिश्रा, श्री मनीष उपाध्याय, श्री देव कुंडल, श्री हर्षल सिंह राठौर, श्री देवेन्द्र मालवीय को दिए गए।


आउट स्टेंडिंग परफार्मेंस के लिए विशेष सम्मान
श्री नितिन शर्मा, श्री दीपेश शर्मा, श्री संजय गुप्ता, श्री संदीप पारे, श्री राजेश ज्वेल एवं संस्थागत रूप से एचबीटीवी को, साथ ही इंदौर की स्वच्छता पर पीएचडी करने वाले वरिष्ठ पत्रकार डॉ. जितेन्द्र जाखेटिया एवं प्रेस क्लब के पत्रकार कल्याण कोष में लगातार 100 महीने आर्थिक सहयोग करने वाले श्री लक्ष्मीकांत पंडित को विशेष रूप से सम्मानित किया गया।
चौरडिय़ा फाउंडेशन द्वारा उच्च शिक्षा एवं उद्योग व्यापार में श्रेष्ठ रिपोर्टिंग के लिए स्थापित पुरस्कार
उच्च शिक्षा रिपोर्टिंग 2023 के लिए श्री अतुल गौतम, उद्योग-व्यापार रिपोर्टिंग 2023 के लिए श्री शैलेश पाठक, उच्च शिक्षा रिपोर्टिंग 2024 के लिए श्री दिनेश जोशी, उद्योग-व्यापार रिपोर्टिंग 2024 के लिए श्री लोकेश सोलंकी को प्रदान किए गए।