अलीगढ़ में लेखपाल की गलती से मुस्लिम समझी गई हिंदू लड़की, NEET परीक्षा से वंचित
उत्तर प्रदेश के अलीगढ़ में एक लेखपाल की लापरवाही से एक लड़की अपनी NEET की परीक्षा नहीं दे पाई. क्योंकि लेखपाल ने उसका OBC सर्टिफिकेट तीन बार अप्लाई करने के बाद भी रिजेक्ट कर दिया. वह भी इसलिए क्योंकि लड़की ने सिर पर दुपट्टा लिया हुआ था, जिस वजह से लेखपाल को लगा कि लड़की मुस्लिम है. इस तरह सिर पर दुपट्टा रखना एक लड़की के लिए जी का जंजाल बन गया. हिंदू लड़की को मुस्लिम समझकर उसका जाति प्रमाण पत्र ही लेखपाल ने रिजेक्ट कर दिया.
दरअसल ये मामला अलीगढ़ का है, जहां के मंजूरगढ़ी गांव की रहने वाली हेमा कश्यप ने साल भर से दिन-रात एक कर मेहनत से NEET परीक्षा देने के लिए तैयारी की. वह डॉक्टर बनने का सपना अपनी पलकों में सजाए हुई थी. हेमा के पिता सुरेंद्र सिंह मजदूरी करते हैं. घर के हालात बहुत अच्छे नहीं थे, लेकिन फिर भी सुरेंद्र ने हेमा की पढ़ाई में कोई कसर नहीं छोड़ी. हेमा ने नीट की परीक्षा के लिए अप्लाई किया, लेकिन एक जरूरी दस्तावेज जाति प्रमाण पत्र रह गया था.
तीन बार रिजेक्ट कर दिया सर्टिफिकेट
हेमा ने जाति प्रमाण पत्र के लिए तहसील में ऑनलाइन आवेदन किया था, लेकिन लेखपाल ने उसका सर्टिफिकेट तीन बार रिजेक्ट कर दिया. लेखपाल ने उसका आवेदन बिना देखे और बिना कुछ पूछे ही रिजेक्ट कर दिया. इसकी वजह ये थी कि हेमा के सिर पर दुपट्टा था. लेखपाल को लगा कि हेमा के सिर पर हिजाब है. इसी के चलते उसने उसकी जाति पर संदेह जताते हुए सर्टिफिकेट रिजेक्ट कर दिया. इस तरह उसकी एक साल की मेहनत सिर पर दुपट्टा रखने की वजह से बर्बाद हो गई.
लेखपाल को लगाई गई फटकार
जब पहली बार उसका आवेदन रिजेक्ट हुआ तो उसे लगा कि गलती हुई होगी. उसने दोबारा अप्लाई किया, लेकिन दोबारा भी उसका आवेदन खारिज कर दिया गया और तीसरी बार भी यही हुआ. इसके बाद वह खुद तहसील कार्यालय पहुंची और तहसीलदार से शिकायत की. तहसीलदार ने जब मामला सुना तो लेखपाल को फटकार लगाई और जाति प्रमाण पत्र जारी करने के निर्देश दिए, लेकिन हेमा को इससे संतोष नहीं था.
“दुपट्टा मेरी पहचान नहीं है”
हेमा ने कहा कि मुझे सिर्फ प्रमाण पत्र नहीं चाहिए. बल्कि न्याय चाहिए. उस इंसान ने मेरे सपनों को, मेरी पहचान को सिर्फ एक दुपट्टे की वजह से झूठा करार दे दिया. फिर हेमा ने जिलाधिकारी कार्यालय का रुख किया. उसने डीएम से लेखपाल के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग की. जिलाधिकारी संजीव रंजन ने मामले को गंभीरता से लिया और जांच के निर्देश दिए. हेमा ने कहा, “दुपट्टा मेरी पहचान नहीं है. मेरी मेहनत मेरी पहचान है. मैं क्या पहनती हूं, इससे मेरे अधिकार नहीं बदल जाते. जब यह मामला सामने आया तो पूरे जिले में चर्चा शुरू हो गई. कुछ ही दिनों में जांच पूरी हुई और लेखपाल के खिलाफ कार्रवाई के आदेश दिए गए.