लखनऊ में 10 साल से चल रहा प्लॉट फर्जीवाड़ा, 100 करोड़ रुपये की हेराफेरी का खुलासा

उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में प्लॉट के नाम पर 100 करोड़ रुपये के फर्जीवाड़े की परतें खुलती जा रही हैं. यह फर्जीवाड़ा लखनऊ के पॉश इलाकों में 10 साल से चल रहा था. खास बात है कि लखनऊ विकास प्राधिकरण (एलडीए) का निगरानी तंत्र इतना कमजोर है कि फर्जीवाड़ा कर एलडीए के प्लॉट बेचने वाला गिरोह कई साल से सक्रिय रहा और सरकारी बाबुओं की मिलीभगत से 90 से अधिक प्लॉट बेच डाले. इनकी कीमत 100 करोड़ रुपये से अधिक है.
दरअसल, यूपी पुलिस की स्पेशल टॉस्क फोर्स (एसटीएफ) को शिकायत मिल रही थी कि लखनऊ में एलडीए के प्लॉट को फर्जी तरीके से बेचा जा रहा है. गिरोह ने एक आईएएस अफसर के प्लॉट को ही बेच दिया था. इसके बाद एसटीएफ ने सचिन सिंह उर्फ अमर सिंह राठौर, अचलेश्वर गुप्ता उर्फ बबलू गुप्ता, राम बहादुर सिंह, मुकेश मौर्या उर्फ रंगी, राहुल सिंह और धनंजय सिंह को गिरफ्तार किया. आरोपियों के पास से 23 जमीनों के रजिस्ट्री पेपर भी मिले थे.
कैसे होता था ‘प्लॉट फ्रॉड’?
लखनऊ के गोसाईंगंज, जानकीपुरम विस्तार, गोमती नगर और सरोजिनी नगर जैसे पॉश इलाकों को लखनऊ विकास प्राधिकरण यानी एलडीए ने ही डेवलप किया था. इस वजह से रजिस्ट्री से लेकर सारे कागज एलडीए के पास मौजूद रहते हैं. इन इलाकों में कई ऐसे प्लॉट है, जिस पर घर नहीं बने हैं. गिरोह के सदस्य ऐसे ही प्लॉट को निशाना बनाते थे. पहले वह सस्ते दर में जमीन की चाहत रखने वालों लोगों को अपनी जाल में फंसाते थे.
इसके बाद एलडीए के कर्मचारी मूल आवंटियों की रजिस्ट्री निकालकर गिरोह को देते थे. फिर आवंटियों के नाम पर फर्जी आधार कार्ड समेत कई जरूरी दस्तावेज बनवाए जाते थे. फर्जी आधार कार्ड पर मूल आवंटी की जगह गिरोह के सदस्य की तस्वीर होती थी. ऐसे में जमीन खरीदने वाले को शक भी नहीं होता था. फिर घर के भीतर ही रजिस्ट्री कर दी जाती थी. कमरे में ही स्कैनर, रजिस्ट्री से जुड़े मुहर, स्टांप पेपर रखा रहता था.
खास बात है कि इसके पहले भी गोमतीनगर के बेलहारा गांव में यह फर्जीवाड़ा पकड़ा गया था. फिर भी एलडीए के अधिकारियों ने गंभीरता नहीं दिखाई. इस फर्जीवाड़े में पूर्व नजूल अधिकारी का नाम भी सामने आया था. हालांकि, मामले को दबा दिया गया. कंप्यूटर सेल के अधिकारियों की मिलीभगत से ऑनलाइन भी डाटा फीडिंग होती रही. इसमें तत्कालीन अधिकारी एसबी भटनागर दोषी पाए गए थे. इसकी जांच भी अब तक चल रही है.
खुलासे के बाद अब क्या मूल आवंटियों को मिलेगी जमीन?
गिरोह के सदस्यों ने अभी तक 90 प्लॉट के फर्जीवाड़े का खुलासा किया है. इस फर्जीवाड़े में एलडीए के कई कर्मचारी भी शामिल है, जिनकी जांच एसटीएफ कर रही है. इस बीच सबसे बड़ा सवाल यह है कि क्या मूल आवंटियों को जमीन वापस मिलेगी? सूत्रों के अनुसार, जिन भूखंडों को फर्जी तरीके से बेचा गया, अभी तक उनमें से एक भी प्लॉट की रजिस्ट्री निरस्त नहीं करवाई गई है. इसके लिए एलडीए को हर प्लॉट की कोर्ट फीस जमा करनी होगी. यह प्रक्रिया लंबी है.
सरगना के पकड़े जाते ही उसके अकाउंट से कहां गए पैसे?
गिरोह के सरगना अचलेश्वर गुप्ता के खातों की जांच के दौरान एसटीएफ चौंक गई. दरअसल, फर्जीवाड़ा उजागर होने के बाद उसने खातों को खाली कर दिया. उसके 10 लोन अकाउंट सामने आए हैं, जिसे उसने बंद करवा दिया. दो सेविंग अकाउंट में बैलेंस जीरो है और एक ओवर ड्राफ्ट अकाउंट बंद पाया गया. एसटीएफ लेन-देन का ब्योराखंगालरहीहै