पहले कोरोना फिर रूस-यूक्रेन युद्ध और इजराइल-हमास युद्ध की वजह से आर्थिक मंदी से जूझ रहे सहारनपुर के वुड कार्विंग उद्योग को एक और बढ़ा झटका लगा है. अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा बढ़ाए गए टैरिफ की वजह से मंदी की मार झेल रहे सहारनपुर के वुड कार्विंग से जुड़े छोटे-बड़े व्यापारियों और एक्सपोर्टर्स के सामने एक और बड़ा संकट खड़ा हो गया है. इस कारोबार से जुड़े लोग पहले ही कम मार्जिन पर काम करके पूरी इंडस्ट्री को बचाने की कोशिश में लगे हुए थे, लेकिन अमेरिका द्वारा बढ़ाए गए रेसिप्रोकल टैरिफ से इस पूरे उद्योग पर संकट के बड़े बादल छा गए हैं. कारोबारी अब सरकार से उम्मीद लगाए बैठे हैं कि उन्हें कुछ राहत दी जाए.

लकड़ी की नक्काशी के लिए सहारनपुर देश ही नहीं विदेश में भी मशहूर है. यहां पर लकड़ी पर की गई नक्काशी का देश ही नहीं बल्कि विदेश में डंका बजता आया है. दुनिया के अलग-अलग कोने से यहां पर लकड़ी की नक्काशी की बड़ी डिमांड है. अमेरिका, लंदन, कनाडा और अरब के देशों में यहां से लकड़ी की नक्काशी वाले साजो-सामान एक्सपोर्ट किए जाते हैं. सहारनपुर के इस प्रसिद्ध वुड कार्विंग उद्योग से हजारों लोग जुड़े हैं. लकड़ी मार्केट का टर्नओवर हजारों करोड़ रुपए का रहता आया है, लेकिन इस कारोबार को शायद किसी की बुरी नजर लग गई है.

बीते कुछ वर्षों में सहारनपुर का वुड कार्विंग लड़खड़ा रहा है. इस कारोबार से जुड़े व्यापारी हों या वहां काम करने वाले कर्मचारी बीते कई सालों से आर्थिक मंदी की मार झेल रहे हैं. पहले कोरोना के समय यहां लकड़ी का कारोबार ठप हुआ, कोरोना काल खत्म हुआ तो रूस-यूक्रेन और इजरायल-हमास के बीच युद्ध छिड़ गया, जिसकी वजह से सैकड़ों करोड़ के ऑर्डर फंस गए. किसी तरह फिर से ये कारोबार पटरी पर आया तो अब अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने टैरिफ बढ़ाकर लकड़ी कारोबार को संकट के डाल दिया है.

सालाना कितने का है वुड कार्विंग का कारोबार?

सहारनपुर वुड कार्विंग का सालाना कारोबार लगभग 1,300 से 1,600 करोड़ रुपए का है. इसमें सालाना 1,100 से 1,200 करोड़ रुपए का सालाना निर्यात भी शामिल है. पिछले करीब कई वर्षों से करोना काल, रूस-यूक्रेन युद्ध और इजराइल-हमास के युद्ध के चलते समूचा वुड कार्विंग उद्योग मंदी की बड़ी मार से जूझ रहा था. इतने वर्षों की मंदी झेलने के बाद अब कारोबारियों को कुछ उम्मीद जागी तो अब अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लगाए गए रेसिप्रोकल टैरिफ की घोषणा ने वुड कार्विंग उत्पादों के निर्यात को एक बड़ा जोर का झटका दिया है. इससे काष्ठ हस्तशिल्प उद्योग की मुसीबत और बढ़ गई है. दरअसल, अमेरिका के कई आयातकों ने पहले से लगभग 250 से 300 करोड़ रुपए के ऑर्डर होल्ड पर कर रखे हैं.

50 प्रतिशत तक अमेरिका में होता है निर्यात

सहारनपुर के कुल काष्ठ हस्तशिल्प उत्पादों के निर्यात में करीब 50 प्रतिशत अमेरिका की हिस्सेदारी रहती आई है. वुड कार्विंग उद्योग से जुड़े सहारनपुर के एक बड़े एक्सपोर्टर परविंदर सिंह बताते हैं कि अमेरिकी राष्ट्रपति डाेनाल्ड ट्रंप की भारतीय उत्पादों पर टैरिफ लगाने की घोषणा से हमारे वुड कार्विंंग उत्पादों के निर्यात को एक बड़ा झटका लगा है. 16 से 19 अप्रैल तक ग्रेटर नोएड़ा में लगने वाले अंतरराष्ट्रीय मेले में हमारे दो ग्राहकों ने आना कैंसिल कर दिया है, जिसके चलते हमारे लाखों डॉलर के कई बड़े ऑर्डर होल्ड कर दिए गए हैं.

एक्सपोर्टर अब सरकार से उम्मीद लगाए हुए हैं कि सरकार इस उद्योग को बचाने के लिए कोई बड़ा कदम उठाए नहीं तो सारा उद्योग बर्बाद हो जाएगा. एक्सपोर्टर का यह भी कहना है कि जब डाेनाल्ड ट्रंप राष्ट्रपति बने थे, तब उनसे हम लोगों को बहुत उम्मीद थी, लेकिन उनके फैसलों से हमारे उद्योग को बड़ा नुकसान झेलना पड़ रहा है.