स्मार्टफोन इंडस्ट्री पर नजर रखने वाले विश्लेषकों के मुताबिक, अमेरिका में Apple iPhone 16 Pro की कीमतों में औसतन 30% तक इजाफा हो सकता है। इसकी वजह चीन पर 54% और भारत पर 26% टैरिफ बढ़ोतरी को माना जा रहा है। एक्सपर्ट्स का मानना है कि अगर अमेरिका चीन द्वारा जवाबी टैरिफ वापस न लेने की स्थिति में अतिरिक्त 50% ड्यूटी और लगाता है, तो कुल शुल्क 104% तक पहुंच सकता है। ऐसे में कीमतों में 50–60% तक बढ़ोतरी संभव है।

iPhone 16 Pro की कीमत $300 बढ़ेगी!

काउंटरपॉइंट रिसर्च के रिसर्च डायरेक्टर तरुण पाठक ने कहा, “कीमतों में बढ़ोतरी इस बात पर निर्भर करेगी कि डिवाइस कहां असेंबल हो रहा है।” उन्होंने बताया, “उदाहरण के तौर पर ब्राजील में टैरिफ सिर्फ 10% है, लेकिन वहां अतिरिक्त उत्पादन संभालने की क्षमता नहीं है। मौजूदा हालात को देखते हुए, 30% कीमत बढ़ना एक वास्तविक अनुमान है। इससे एक $1,000 वाला iPhone 16 Pro करीब $1,300 का हो सकता है।” काउंटरपॉइंट अब भी यह आकलन कर रहा है कि चीन पर लगाए गए भारी टैरिफ का अंतिम कीमतों पर कितना असर पड़ेगा।

iPhone की कीमतों में बदलाव तुरंत नहीं होगा

इंडस्ट्री अनुमानों के अनुसार, अगर ड्यूटी 104% तक पहुंचती है, तो iPhone 16 Pro की कीमत $1,500 से $1,600 तक हो सकती है। हालांकि, पाठक का कहना है कि कीमत तय करना इतना सीधा नहीं होता। Apple लागत बढ़ने का कुछ हिस्सा खुद वहन कर सकता है और कीमतों में बदलाव तुरंत नहीं होगा, क्योंकि कंपनी ने अगले कुछ महीनों के लिए पहले से ही इनवेंट्री स्टॉक में रखी हुई है।

उन्होंने यह भी कहा कि Apple एक समान ग्लोबल बेस प्राइस (स्थानीय टैक्स और टैरिफ को छोड़कर) बनाए रख सकता है और अमेरिका में कीमत बढ़ने का असर बाकी बाजारों में फैलाकर दबाव को कम कर सकता है। कीमतों में तेज उछाल से अमेरिका में मांग प्रभावित हो सकती है, जिसे क्यूपर्टिनो स्थित यह कंपनी टालना चाहेगी।

टैरिफ से भारत को फायदा मिलने की संभावना

हालांकि भारत का iPhone एक्सपोर्ट में हिस्सा लगातार बढ़ रहा है, लेकिन अब भी ज्यादातर यूनिट्स चीन में ही असेंबल होती हैं। इसकी वजह है वहां पिछले कई दशकों में तैयार हुई मज़बूत सप्लाई चेन।भारत में iPhone की कीमत पहले से ही चीन की तुलना में करीब 20% ज्यादा है, क्योंकि यहां उत्पादन लागत अधिक है। हालांकि प्रोडक्शन-लिंक्ड इंसेंटिव (PLI) स्कीम के तहत मिलने वाले प्रोत्साहनों की वजह से यह अंतर कुछ हद तक कम हुआ है। अगर टैरिफ का अंतर और बढ़ता है तो भारत, चीन के मुकाबले एक अधिक आकर्षक विकल्प बन सकता है—हालांकि यह बदलाव एकदम से नहीं होगा।