कटंगी। पूरक परीक्षा देने के बाद एटीकेटी आने का मामला-
कटंगी। महाविद्यालयों में वैसे ही परीक्षाएं करीब 06 माह विलंब से हो रही है। जिससे विद्यार्थियों का अतिरिक्त समय बर्बाद हो रहा है और 04 साल में होने वाला कोर्स अब करीब साढ़े 05 साल में पूरा होगा। इस बीच पूरक परीक्षाएं देने वाले विद्यार्थियों के भविष्य के साथ अनोखे तरीके से खिलवाड़ किया जा रहा है ऐसा आरोप विद्यार्थियों ने लगाया है।मामला छिंदवाड़ा यूनिवर्सिटी के अधीन शासकीय राजा भोज महाविद्यालय कटंगी का है। यहां बीए, बीकॉम, बीएससी में प्रथम सत्र में नियमित और प्राइवेट तौर अध्ययनरत करीब 200 से अधिक विद्यार्थियों को एटीकेटी के परीक्षा में फेल कर दिया गया है।जिस कारण इनके सामने आगे की पढ़ाई कैसे पूरी करे इसे लेकर संकट मंडरा रहा है। जानकारी अनुसार आधार विषय (फाउंडेशन कोर्स) हिंदी, अंग्रेजी, योगा और पर्यावरण में पूरक लगने के बाद एलेड टू कीप टम्र्स यानी की एटीकेटी आ गई थी।जिसके बाद इन विद्यार्थियों ने एटीकेटी की परीक्षा दी और अब इसके जो परिणाम आए है वह भी बेहद चौकानें वाले है। परीक्षा में शामिल 50 प्रतिशत विद्यार्थियों को फिर से फेल कर दिया गया है। दरअसल, बुधवार की देर शाम एटीकेटी के परीक्षा परिणाम सामने आए आज सुबह जब विद्यार्थियों ने अपना परिणाम देखा तो हतप्रभ रह गए।कटंगी महाविद्यालय से परीक्षा में शामिल करीब 50 प्रतिशत विद्यार्थियों को फिर से फेल कर दिया गया। गुरुवार को इन विद्यार्थियों ने महाविद्यालय पहुंचकर जमकर विरोध प्रकट किया। कुछ छात्र प्राचार्य के पास इस समस्या लेकर पहुंचे तो प्राचार्य से उन्हें कोई संतोषजनक जवाब नहीं दिया।विद्यार्थियों के अनुसार इस पूरे मामले में छिंदवाड़ा यूनिवर्सिटी और राजा भोज महाविद्यालय की तरफ से लापरवाही बरती गई है। फिलहाल तो जांच के बाद ही पता चल पाएगा कि लापरवाही कहां से हुई है क्या वाकई में विद्यार्थियों ने प्रश्न पत्र ठीक से हल नहीं किया या फिर प्रश्न पत्र जांच के दौरान लापरवाही बरती गई है।
महाविद्यालय से मिली जानकारी अनुसार शासकीय राजा भोज महाविद्यालय में आधार विषय (फाउंडेशन कोर्स) में चार विषय शामिल है।हिन्दी साहित्य, अंग्रेजी, पर्यावरण और योगा। प्रथम वर्ष में जब विद्यार्थियों ने इन सभी विषयों की परीक्षा अगस्त 2022 में दी और नवंबर माह में परीक्षा परिणाम आए तो करीब 50 फीसदी विद्यार्थी फेल हो गए तो उन्हें जुन-जुलाई में पूरक परीक्षा देने का अवसर मिला। एटीकेटी की परीक्षा में प्राइवेट और नियमित के कुल मिलाकर करीब 415 विद्यार्थी परीक्षा में शामिल हुए। जिनमें 50 प्रतिशत विद्यार्थियों को फिर फेल कर दिया गया। जिससे विद्यार्थियों में भयंकर आक्रोश है। विद्यार्थियों का कहना है कि या तो फेल कर देना था या पास। इस तरह से उनके भविष्य के साथ खिलवाड़ नहीं करना था। अब इन बच्चों के साथ हालात कुछ ऐसे हो गए है कि यह आगे की पढ़ाई भी नहीं कर पा रहे है। इन विद्यार्थियों में बेहद गुस्सा है। जानकार और भी हैरानी होगी कि जिन विद्यार्थियों को फेल किया गया है उनमें ऐसे भी विद्यार्थी शामिल है जिन्होंने एटीकेटी की परीक्षा में शामिल होकर परीक्षा दी। मगर, उन्हें परीक्षा में गैर मौजूद बताया गया और फेल कर दिया गया है.
अब बात करते है महाविद्यालय के राजनीतिक पहलू पर जहां से लगातार जनभागीदारी समिति अध्यक्ष गौरव पारधी अपनी राजनीति चमकाते रहे है। गौरव पारधी छिंदवाड़ा यूनिवर्सिटी के सदस्य भी है और अब भारतीय जनता पार्टी से कटंगी-खैरलांजी के प्रत्याशी भी। उनके साथ कुछ युवा घुम-घुम कर उन्हें जनता और युवाओं का हितैषी बता रहे है। अगर वाकई में गौरव पारधी युवाओं के इतने हितैषी है तो फिर जिस कॉलेज में वह जनभागीदारी समिति के अध्यक्ष है उसकी हालत और वहां विद्यार्थियों का भविष्य बर्बाद हो रहा है इसका जवाबदार कौन है यह सवाल खड़ा हो रहाहै। बता दें कि बीते दिनों आदर्श आचार संहिता लगने से पहले गौरव पारधी ने कॉलेज में प्रथम सत्र में प्रवेश लेने वाले विद्यार्थियों के सम्मान के लिए सम्मेलन का आयोजन करवाया था तब वह सरकार की योजनाओं का बखान कर रहे थे लेकिन उन्होंने बच्चों के भविष्य के साथ हो रहे खिलवाड़ को बहुत ही चालाकी से छिपा लिया। कॉलेज के विद्यार्थियों को यह बात उस वक्त समझ ही नहीं आई कि मंच पर चिकनी-चुपड़ी और युवाओं की बातें की करने वाले जन भागीदारी समिति अध्यक्ष उनके हित से अधिक अपनी राजनीतिक जमीन तैयार कर रहा है।