कटंगी। धान उपार्जन केन्द्रों के स्थानों में परिवर्तन
कटंगी। 1 दिसंबर से समर्थन मूल्य पर धान की खरीदी शुरू हो चुकी है परंतु मौसम की बेरुखी के चलते उपार्जन केंद्रों में सन्नाटा छाया हुआ है. खलिहानों में किसानों की फसल पर संकट के बादल मंडरा रहे है. यहां विकासखंड कटंगी के किसी भी उपार्जन केन्द्र में धान की खरीदी शुरू नहीं हो पाई है। इस बीच उपार्जन केंद्र बनेरा, उपकेंद्र कटेरा और उप केंद्र भजियापार के स्थान में परिवर्तन की जानकारी सामने आई है। जिसके बाद करीब 15 गांवों के किसानों में इस बात को लेकर बेहद आक्रोश है। गुरुवार को बनेरा में किसानों ने समिति कार्यालय के बाहर एकत्रित होकर उपार्जन केन्द्र के स्थान परिवर्तन को लेकर जमकर विरोध किया और फिर तमाम गांवों के किसान एकत्रित होकर कटंगी मुख्यालय पहुंचें। जहां उन्होंने एसडीएम मधुवंतराव धुर्वे को ज्ञापन सौंपते हुए खरीदी केंद्रों को यथावत रखने की मांग की है। बता दें की उपार्जन केंद्र बनेरा और उपकेंद्र कटेरा में पंजीकृत किसानों को फसल बेचने के लिए करीब 8 किलोमीटर दूर चिकमारा केप जाना होगा। वही भजियापार में पंजीकृत किसानों को 5 किलोमीटर दूर सिरपुर उपार्जन केंद्र में जाना पड़ेगा। ऐसे में किसानों पर धान के परिवहन का अतिरिक्त आर्थिक बोझ बढ़ेगा और छोटे किसानों के लिए खेती घाटे का सौंदा साबित होगी इसीलिए किसानों की मांग है कि धान खरीदी केन्द्रों को यथास्थान ही पर रखा जाए।
परिवहन की बताई जा रही समस्या
किसानों के अनुसार उपार्जन केंद्रों के स्थान परिवर्तन के पीछे की वजह खरीदी के बाद धान परिवहन की समस्या को बताया गया है। दरअसल, बनेरा, कटेरा और भजियापार में समर्थन मूल्य पर धान खरीदी के बाद धान को सुरक्षित स्थान (गोदामों) तक पहुंचाया जाता है धान का परिवहन मुख्य सड़क से होता है किन्तु करीब 02 साल पहले कटंगी-लालबर्रा रोड़ पर उजाड़बोपली में चंदन नदी पर निर्मित पुलिया क्षतिग्रस्त हो गया। जिससे आवागमन प्रभावित हो रहा है। हालांकि इस पुलिया के पास आवागमन के लिहाज से वैकल्पिक मार्ग बनाया गया है किन्तु यह पूरी तरह से सुरक्षित है इसका दावा भी नहीं किया जा सकता। कर्मचारियों का कहना है कि धान का परिवहन करने में परेशानी होगी लेकिन किसानों को कहना है कि गत वर्ष भी इसी पुलिया का हवाला देते हुए केन्द्रों को बदला गया था लेकिन किसानों के विरोध के बाद यथावत कर दिया गया और इन तीनों ही खरीदी केन्द्रों के धान को दूसरे रास्ते लालबर्रा पहुंचाया गया तो इस वर्ष केन्द्रों को बदलने का कोई औचित्य ही नहीं है। वर्तमान की बात करें तो क्षतिग्रस्त पुलिया के पास जो वैकल्पिक मार्ग बनाया गया है उससे हर दिन यात्री बस, डंपर और ट्रकों का आना-जाना हो रहा है। सरकारी अनाज के वाहन भी इसी रास्ते से होकर जा रहे है निश्चित तौर पर यह खतरनाक हो सकता है। बावजूद इसके आवागमन तो हो रहा है। यहीं वजह है कि किसानों की मांग है कि खरीदी यथावत केन्द्रों पर हो और इसी रास्ते धान का परिवहन भी किया जाए।
इन गांवों के किसानों को होगी परेशानी
उपार्जन केन्द्र बनेरा और उपकेन्द्र कटेरा के स्थान को परिवर्तन कर चिकमारा ओपन केप में खरीदी केन्द्र बनाया जा रहा है। बनेरा और कटेरा से चिकमारा की दूरी करीब 08 किमी। है। इन दोनों ही उपार्जन केन्द्रों पर बनेरा, कटेरा, कोसमी, जमुनिया, रैयतवाड़ी, बोपली, सिंगोड़ी, लोहमारा, नहलेसरा और वनग्राम कछार के किसान अपनी फसल लाकर बेचते है। अगर केन्द्रों के स्थान में परिवर्तन होता है तो इन सभी गांवों के किसानों को लंबी दूरी तय करनी पड़ेगी। भजियापार खरीदी केन्द्र में टेकाड़ी, भजियापार, जडख़रीद और चिरचिरा इन गांवों के किसानों के द्वारा धान बेचा जाता है। बता दें कि बनेरा, कटेरा और भजियापार उपार्जन केंद्र का धान लालबर्रा सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया जाता है। ऐसे में परिवहन की भी कोई समस्या नहीं है। अगर इन तीनों ही केन्द्रों को बदलकर कटंगी चिकमारा केप में धान उपार्जन केन्द्र बनाया जाता है तो किसानों को भी वहीं समस्या होगी। जिसका जिक्र अधिकारी कर रहे है किसान भी अपनी उपज लेकर कटंगी चिकमारा केप नहीं आ पाएगा। किसानों ने चेतावनी दी है कि अगर केन्द्रों को यथावत नहीं रखा गया तो आंदोलन किया जाएगा जिसकी सारी जवाबदारी शासन-प्रशासन की होगी।
लाखों रुपए की लागत से बनाए गए केप
ज्ञात हो कि बनेरा, कटेरा और भजियापार में शासन ने कई लाख रुपए खर्च कर धान खरीदी के लिए केप का निर्माण किया है। किसानों से धान खरीदी करने के बाद इन केपों में धान का भंडारण किया जाता है जहां से फिर धान को सुरक्षित स्थान पर पहुंचाया जाता है। किसानों का कहना है कि जब लाखों रुपए खर्च कर केप बनाए गए है तो खरीदी केन्द्र बदलने की जरूरत क्यों आ गई। किसानों ने आरोप लगाया कि खरीदी करने वाले कुछ कर्मचारियों की नियत साफ नहीं है। वह अपनी मनमानी करते है। बता दें कि गत वर्ष बनेरा खरीदी केन्द्र ने धान खरीदी में बड़ा नुकसान होना बताया है यहीं हाल अन्य खरीदी केन्द्रों का भी रहा है जबकि जिन केन्द्रों में स्व सहायता समूह ने खरीदी की वहां से इस तरह की कोई समस्या नहीं आई है।
कितना मिलेगा समर्थन मूल्य
1 दिसंबर से समर्थन मूल्य पर धान की खरीदी शुरू हो चुकी है और मौसम खराब होने की वजह से कृषि कार्य प्रभावित हुआ है खरीदी केंद्रों में खरीदी शुरू नहीं हो पाई है। वहीं दूसरी तरह किसानों को कितना समर्थन मूल्य मिलेगा इस पर संशय बना हुआ है। चुकिं इस बार प्रदेश में विधानसभा चुनाव के दौरान भाजपा ने अपने संकल्प पत्र 31 सौ रुपए प्रति क्विंटल धान खरीदने वादा किया है चुनाव के बाद भाजपा को पूर्ण बहुमत मिला है हालांकि अभी शपथ ग्रहण होना बाकी है और उपार्जन केंद्रों में खरीदी शुरू हो चुकी है ऐसे में किसानों के बीच चर्चा है कि धान की कीमत कितनी मिलेगी।
इनका कहना है
परिवहन में परेशानी का हवाला देते हुए उपार्जन केन्द्रों को बदला जा रहा है जो बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। हम सभी किसानों की मांग है कि केन्द्रों को यथावत रखा जाए। अन्यथा आंदोलन किया जाएगा।
नंदकिशोर बिसेन
किसानों को चिकमारा केप तक धान ले जाने में बहुत परेशानी होगी एक बोरी के परिवहन के पीछे 25 से 30 रुपए का खर्च आएगा। ऐसे में छोटे किसानों के लिए खेती घाटे का सौदा बन जाएगी।
संजय सोनी
बीते कई सालों से बनेरा, कटेरा और भजियापार में धान की खरीदी हो रही है जिससे किसानों को कोई समस्या नहीं है। मगर अब अचानक से केन्द्रों में परिवर्तन किया जा रहा है जिससे किसान परेशान होगा।
रामदयाल राहंगडाले