बालाघाट। अतिथि विद्वानों ने हाथों में काली पट्टी बांधकर जताया विरोध, सौंपा ज्ञापन
बालाघाट। प्रदेश सरकार द्वारा विभिन्न संगठनों की महापंचायत बुलाकर उनके हितों में लगातार घोषणाएं की गई है, तो वहीं सरकार के अधीनस्थ कार्य करने वाले विभाग ही मुख्यमंत्री की घोषणाओं को नजर अंदाज करने में जुट हुए है।जिसका एक नजारा शनिवार को नगर के शासकीय कमला नेहरू कन्या महाविद्यालय में देखने को मिला, यहां वर्षों से कार्य कर रहे अतिथि विद्वानों ने उच्च शिक्षा विभाग द्वारा शुक्रवार को जारी किए गए आदेश पर नाराजगी जाहिर करते हुए अपने हाथों में काली पट्टी बांधकर जारी आदेश का जमकर विरोध किया। जिन्होंने मुख्यमंत्री की घोषणाओं पर अमल न होने पर अपनी नाराजगी व्यक्त करते हुए जल्द से जल्द उच्च शिक्षा विभाग द्वारा जारी किए गए आदेश को निरस्त कर घोषणाओं के अनुरूप आदेश जारी किए जाने की मांग की है। उन्होंने मांग पूरी न होने पर प्रदेश संगठन के आह्वान पर आंदोलन की आगामी रणनीति बनाए जाने की चेतावनी दी है।
यह है पूरा मामला
मनीता चौबे अतिथि विद्वान शासकीय कमला नेहरू कन्या महाविद्यालय ने बताया कि वर्षों से लंबित अपनी विभिन्न सूत्रीय मांगों को लेकर संघर्ष कर रहे अतिथि विद्वानों की मांगों को देखते हुए मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा विगत 11 सितंबर को मुख्यमंत्री निवास भोपाल में अतिथि विद्वानों की महापंचायत बुलाई गई थी। जिसमें स्वयं मुख्यमंत्री ने अतिथि विद्वानों की प्रमुख मांगों में से 6 सूत्रीय मांगों को पूरा किए जाने की घोषणा की थी। जिसमें उन्होंने विभिन्न महाविद्यालय में पदस्थ अतिथि विद्वानों को फिक्स 50 हजार वेतन देने, शासकीय विद्वानों के समान सुविधा व अवकाश दिए जाने सहित अन्य घोषणाएं की थी।उन घोषणाओं के आदेश जल्द ही उच्च शिक्षा विभाग के माध्यम से जारी किए जाने की बात कहीं थी। मुख्यमंत्री की इस घोषणा के 25 दिन बाद उच्च शिक्षा विभाग ने शुक्रवार को अतिथि विद्वानों के लिए एक आदेश जारी तो किए लेकिन विभाग ने अपने इस आदेश में मुख्यमंत्री की किसी भी घोषणा का पालन नहीं किया। जहा घोषणा के अनुरूप एक भी आदेश जारी ना कर उच्च शिक्षा विभाग ने मुख्यमंत्री की घोषणाओं को नजर अंदाज किया है।जिससे अतिथि शिक्षक और उनके संगठन नाराज हो गए। जिसके चलते उन्होंने इस आदेश के विरोध में हाथों में काली पट्टी बांधकर विरोध प्रदर्शन किया गया है और ज्ञापन सौंपा गया है। उन्होंने बताया कि उनकी मांग पूरी नहीं होगी तो वे लोग आगाम आंदोलन की रणनीति बनाकर आंदोलन करेंगे, जिसकी जिम्मेदारी शासन-प्रशासन की होगी।