बालाघाट। जिलामुख्यालय सहित अन्य ग्रामीण अंचलों में सोमवार का दिन भक्ति मय माहौल में नजर आया। जहां जगह-जगह विभिन्न कार्यक्रमों के आयोजन किए गए। प्रतिवर्ष के अनुसार इस वर्ष भी 17 जुलाई दिन सोमवार को सूर्यपुत्र भगवान शनिदेव का जन्मोत्सव हर्षोल्लास के साथ मनाया गया। इसके अलावा जिवती और हरियाली अमावस्या पर्व को लेकर ग्रामीण अंचलों में खासा उत्साह नजर आया। जहां इन धार्मिक आयोजनों को लेकर पूरा दिन जिले में लोग भक्ति के माहौल में नजर आए।
शनि जन्मोत्सव पर विभिन्न कार्यक्रमों के किए गए आयोजन
प्रतिवर्ष के अनुसार इस वर्ष भी सूर्य पुत्र भगवान शनि का जन्मोत्सव सोमवार को हर्षोल्लास के साथ मनाया जाएगा। जिसके तहत जिले भर में विभिन्न कार्यक्रमों के आयोजन किए गए। नगर में भी भगवान सूर्यदेव के पुत्र शनिदेव का जन्मोत्सव धूमधाम के साथ मनाया गया और शनिदेव से हर बला को दूर करने की प्रार्थना की गई। इस अवसर पर नगर के सराफा बाजार स्थित शनिदेव मंदिर व प्रेम नगर में स्थित शनिदेव मंदिर में जन्मोत्सव के अवसर पर विविध कार्यक्रमों का आयोजन किए गए। शनि जन्मोत्सव के दौरान भक्तों की भारी उपस्थिति और बरसात को देखते हुये मंदिर परिसर के बाहर त्रिपाल लगाकर बड़े पंडाल की व्यवस्था की गई थी। वहीं मंदिर को आकर्षक रौशनी से सजाया गया था। नगर के नया सराफा बाजार स्थित शनि मंदिर देव स्थान में शनि महाराज की 129 वें जन्मोत्सव पर प्रात: 7 शनिदेव का पुष्प श्रृंगार एवं आरती 7.30 बजे तेलाभिषेक, 10 बजे नवगृह पूजन व शनि शांति हवन, 1 बजे भंडारा एवं महाप्रसाद, रात्रि 8 बजे शनिदेव भगवान का जन्म एवं महाआरती, रात्रि 9 बजे शनि देव जागरण सहित विभिन्न कार्यक्रमों के अयोजन किए गए।
ग्रामीण अंचलों में हरियाली अमावस्या जिवती पर्व की दिखी धूम
जिला मुख्यालय सहित अन्य ग्रामीण अंचलों में हरियाली अमावस्या और जिवती पर्व की धूम देखने को मिली। इन पर्व को लेकर ग्रामीण अंचलों में खासा उत्साह नजर आया। सोमवार को हरियाली अमावस्या और जिवती पर्व पर जगह-जगह विभिन्न कार्यक्रमों के आयोजन किए गए। बताया जा रहा है कि हरियाली अमावस्या जिवती पर्व मुख्यता: किसानों का प्रमुख त्योहार है। हरियाली अमावस्या में जिवती का पर्व मनाया जाता है। ग्रामीण क्षेत्र में ऐसे वर्ग से यह जिवती जुड़ी है जो इस दिन घर-घर जाकर जिवती लगाने का कार्य कर दक्षिणा प्राप्त करते हैं। खासकर बढ़ई, सोनी, लोहार, ढीमर सहित कुछ ऐसे वर्ग के लोग इस त्योहार को बहुत ही धूमधाम के साथ मनाते है। जो इस वर्ष भी देखने को मिला। वहीं किसानों द्वारा भी इस पर्व को मनाया गया। बल्कि इस दिन वे खासकर बैलों को खेत की जुताई करने के लिये लेकर नहीं गए और सुबह बैलों को विशेष भोजन कराकर पाव पखारन किया गया। इस दिन खेल व खलियान में धन-धान्य की मंगलकामनाए की गई। वहीं फसलों को सुरक्षित रखने के लिए किसानो ने प्रार्थनाए की हिंदु धर्मावलंबियों में अखाडी अर्थात गुरूपूर्णिमा के पहले त्योहार के पश्चात हरियाली अमावस्या दूसरा प्रमुख त्योहार कहलाता है। जिसे ग्रामीण अंचलों में धूमधाम व हर्षोल्लास के साथ मनाया जाता है जहां प्रतिवर्ष के अनुसार इस वर्ष भी 17 जुलाई को वर्षों से चली आ रही इसी परंपरा को भक्ति भाव के साथ निभाया गया।
वृक्षारोपण के साथ मनाया गया हरियाली महोत्सव प्रकृति को एक नया रूप देने वाली हरियाली अमावस्या पर अबकी बार दुर्लभ संयोग बना हैं। इस साल की हरियाली अमावस्या पर एक साथ चारो उत्सवों का विशेष संयोग देखने को मिल रहा है। सावन का दूसरा सोमवार, सोमवती अमावस्या, जिवती और शनि जन्मोत्सव भी सोमवार को ही मनाया गया। जिससे पर्यावरण संरक्षण का संदेश देने वाली हरियाली अमावस्या का महत्व दोगुना हो गया है। मान्यता अनुसार जो भी व्यक्ति इस दिन पौधरोपण करता है। वो सारे कष्टों और दोषों से मुक्त हो जाता है, चंद्रमास गणना के अनुसार हरियाली अमावस्या का दिन पर्यावरण का दिन माना जाता है। इस दिन अपने नक्षत्र के अनुसार पौधारोपण करना उनकी सेवा एवं सुरक्षा के संकल्प लेने से विशेष पुण्य फल की प्राप्ति होती है, इसके साथ ही पितृदोष की शांति स्वास्थ्य लाभ, धन ऐश्वर्य की वृद्धि भी होती है। जिसे ध्यान में रखते हुए धर्मावलंबियों द्वारा विधि विधान के साथ पूजा अर्चना कर विभिन्न अनुष्ठान संपन्न कराए गए।