बालाघाट। स्कूलों में अध्ययनरत छात्र छात्राओं का वर्तमान शैक्षणिक स्तर जानने की मंशा से शासन द्वारा स्टेट एजुकेशनल अचीवमेंट सर्वे परीक्षा का आयोजन किया गया है। यह परीक्षा जिले के 432 स्कूलों में हुई, बच्चो ने प्रतियोगी परीक्षा की तरह ओएमआर सीट को भरकर परीक्षा दी। जिन स्कूलों में परीक्षा होनी है उनका चयन एनसीईआरटी दिल्ली द्वारा किया गया है जिसमें कक्षा तीसरी छठवीं एवं नवमी के बच्चो ने शामिल होकर परीक्षा दी। परीक्षा दो पालियों में हुई परीक्षा देने बच्चो में खासा उत्साह दिखाई दिया। इस परीक्षा में खास बात यह है कि इस परीक्षा सेंटर का जिम्मा अधिकारी नहीं बल्कि मौके पर रहकर क्षेत्र अन्वेषको ने संभाला तथा क्षेत्र अन्वेशक किसी अधिकारी को नहीं बल्कि डीएड बीएड का प्रशिक्षण लेने वाले छात्र-छात्राओं को बनाया गया। स्कूलों में यह परीक्षा अपने टाइमिंग के अनुसार निर्धारित की गई अधिकारियों द्वारा स्कूलों का निरीक्षण कर परीक्षा का जायजा लिया गया एवं परीक्षा केदो की मॉनिटरिंग की जाती रही।
एक कक्षा से तीस बच्चे किए गए चयनित
आपको बताएं कि इस परीक्षा के लिए जिले में 432 परीक्षा केंद्र बनाए गए है, प्रत्येक स्कूल से कक्षा वार 30 बच्चो को चयनित किया गया। बच्चो के चयन से लेकर परीक्षा संपन्न कराने तक पूरा कार्य डीएड बीएड के बच्चो द्वारा संभाला गया। कक्षा तीसरी के 30 छटवी के 30 और कक्षा नवमी के 30 बच्चों का चयन किया गया, कक्षाओं में अधिक बच्चे होने की स्थिति में बच्चों का चयन स्थानीय पिन कोड के आधार पर किया गया। ज्ञात हो कि कक्षा नवमी की परीक्षा के लिए डेढ़ घंटा, कक्षा छठवीं की परीक्षा के लिए सवा घंटा तथा कक्षा तीसरी की परीक्षा के लिए 1 घंटे का समय निर्धारित किया गया था।
शासन की चयन प्रक्रिया से बच्चे हुए निराश
परीक्षा शुरू होने से पहले सभी परीक्षा केदो में बच्चों के चयन की प्रक्रिया की गई। यह चयन प्रक्रिया परीक्षा के एक-दो दिन पहले भी कराई जा सकती थी लेकिन शासन से यह निर्देश थे कि बच्चों की परीक्षा केंद्र में उपस्थिति के आधार पर ही छात्र-छात्राओं का चयन किया जाना था। जिन परीक्षा केंद्रों में संबंधित कक्षा के 30 बच्चे थे उनमें चयन करने की जरूरत नहीं पड़ी लेकिन जिन कक्षाओं में 30 से अधिक बच्चे रहे उनमें पिन कोड के आधार पर क्षेत्र अन्वेषक द्वारा स्कूल के प्रधान पाठक या प्राचार्य व शिक्षकों की सहायता से छात्र-छात्राओं का चयन किया गया। इस दौरान उन बच्चों को निराश देखा गया जिन्हें चयन प्रक्रिया में शामिल ही नहीं किया गया। इसमें स्कूल की या क्षेत्र अन्वेषक की खामी तो नहीं दिखी क्योंकि यह निर्देश शासन स्तर से ही पहुंचे थे, शासन स्तर से जो नियम बताए गए थे उसी का परिपालन क्षेत्र अन्वेषक द्वारा किया गया। जिन कक्षाओं में 100 से अधिक बच्चे थे और उन छात्र-छात्राओं को दो या तीन सेक्शन में विभाजित किया गया था, ऐसी स्थिति में एक या दो सेक्शन को पूरी तरह चयन प्रक्रिया से अलग ही रखा गया, यह कहे कि उन कक्षाओं के छात्र-छात्राओं को इस परीक्षा की चयन प्रक्रिया से पूरी तरह बाहर रखा गया। सिर्फ एक ही सेंक्शन के बच्चों को चयन प्रक्रिया में लिए जाने से अन्य सेक्शन के बच्चों में नाराजगी देखी गई।
बच्चों की शिक्षा का स्तर जानने आयोजित की गई परीक्षा - सुषमा सुलाखे
स्थानीय उत्कृष्ट माध्यमिक विद्यालय में क्षेत्र अन्वेषक का कार्य संभाल रही सुषमा सुलाखे ने बताया कि यह स्टेट एजुकेशनल अचीवमेंट सर्वे परीक्षा है यह पूरे देश भर में सर्वे के रूप में हो रही है। बच्चों की शिक्षा का स्तर क्या है तथा स्कूलों में कैसी पढ़ाई हो रही है यह जानने परीक्षा के माध्यम से सर्वे किया जा रहा है। इस परीक्षा केंद्र में 30 बच्चे कक्षा छठवीं के बैठे, शासन से जो निर्देश आए थे उसके आधार पर पिनकोड का माध्यम बनाकर बच्चों का चयन किया गया। शिक्षा विभाग के अधिकारियों द्वारा निरीक्षण कर परीक्षा केंद्र का जायजा लिया गया।
विषय शिक्षकों और संस्था प्रमुख ने भी ओएमआर शीट को भरा है - प्राचार्य
इसके संबंध में चर्चा करने पर उत्कृष्ट विद्यालय बालाघाट की प्राचार्य राजलक्ष्मी नायडू ने बताया कि यह स्टेट एजुकेशनल सर्वे परीक्षा है कक्षा तीसरी छठवीं और नवमी के बच्चों की पढ़ाई का सर्वे किया जा रहा है यह जानने के लिए की बच्चों का शैक्षणिक एवं बौद्धिक स्तर कितना है। विद्यालय के कक्षा तीसरी छठवीं और नवमी के 30 बच्चों का चयन किया गया है, क्षेत्र के पिन कोड के आधार पर बच्चों को सिलेक्ट किया गया, जिन विषयों की परीक्षा हुई उसके संस्था प्रमुख द्वारा भी ओएमआर शीट को भरा गया है।