बालाघाट। अखंड सौभाग्य की कामना के साथ रखा जाने वाला हरितालिका तीज व्रत महिलाओं द्वारा बड़े ही आस्था भाव के साथ रखा गया। महिलाओं द्वारा रखा जाने वाला यह बहुत कठिन व्रत होता है, इसमें महिलाओं द्वारा 24 घंटे का निर्जला व्रत रखा जाता है। सुहागिन महिलाओं के लिए हरितालिका तीज के व्रत का बहुत महत्व है। महिलाएं निर्जला उपवास कर सज धज कर भगवान शिव और पार्वती की पूजा करती हैं। यह व्रत अखंड सौभाग्य प्राप्ति के निमित्त किया जाता है वही कुंवारी कन्याएं मनचाहे वर की प्राप्ति के लिए इस व्रत को रखती हैं।
विधि विधान से की जाती है पूजा अर्चना
इस व्रत में व्रती महिलाएं निर्जला उपवास रख कर भगवान शिव और पार्वती की आराधना में लीन रहती है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार इस कठिन व्रत से देवी पार्वती ने भगवान शिव को प्राप्त किया था इसलिए इस व्रत में शिव पार्वती की पूजा का अपना विशेष महत्व है। सोमवार की सुबह से यह तीजा व्रत प्रारंभ हो गया, महिलाओं द्वारा सुबह ही स्नान कर श्रंगार कर गौर लाया गया तथा उसके पूजा अर्चना विधि विधान के साथ की गई। गौर की पूजा-अर्चना का दौर दिन में भी जारी रहा, शाम के समय विशेष पूजा अर्चना की जाती है तथा रात्रि में महिलाओं द्वारा रात जागरण कर भगवान शिव और माता पार्वती की आराधना किया जाता है। तथा उसके दूसरे दिन सुबह पूजा अर्चना के बाद हरितालिका तीज व्रत का समापन किया जाता है।
पति की लंबी आयु के लिए रखते हैं तीजा व्रत
हरितालिका तीज व्रत रखने वाली महिलाओं ने बताया कि यह व्रत उनके द्वारा पति की लंबी आयु और अखंड सौभाग्य की कामना के साथ परिवार के सुख शांति के लिए किया जाता है। इसमें वे लोग भगवान शिवजी और पार्वती की पूजा करते हैं सुबह के समय गौर निकालते हैं और इस त्यौहार में जो भी विधि पारंपरिक रूप से चली आ रही है उसके अनुसार 5 बार पूजा होती है। महिलाओं द्वारा रात्रि के समय भजन कीर्तन जैसे आयोजन कर रात जागरण किया जाता है।