बालाघाट। शैक्षणिक सत्र बीतने पर मिल रहा बच्चों को गणवेश
बालाघाट। सरकार द्वारा शिक्षा पर विशेष जोर दिया जाता है स्कूलों में सारी सुविधाएं उपलब्ध कराई जाती है लेकिन विभागीय अधिकारियों की लापरवाही के चलते बच्चों को सही समय पर शासन की सुविधाओं का लाभ नहीं मिल पाता। यही स्थिति स्कूली बच्चों को वितरित किए जाने वाले गणवेश में भी सामने आया है जो गणवेश बच्चों को शैक्षणिक सत्र प्रारंभ होने की दौरान मिलना था वह शैक्षणिक सत्र बीत जाने के बाद मिल रहा है। इसमें भी खामियां ही नजर आ रही है स्कूलों में स्व सहायता समूह के माध्यम से गणवेश पहुंचे हैं लेकिन कई बच्चों को वह गणवेश साइज में फिट नहीं बैठे हैं जिसके चलते कई बच्चों ने उस ड्रेस को लेने से इनकार कर दिया है और अपने साइज के ड्रेस दिलवाए जाने की स्कूल प्रबंधन से मांग की है। आपको बताये कि बच्चों को गणवेश स्कूल प्रारंभ होने के दौरान जुलाई-अगस्त माह में मिलने का था लेकिन पूरा सत्र बीत गया फिर भी बच्चों को स्कूल ड्रेस नहीं मिला, जिसके चलते बच्चे पूरे वर्ष भर पुरानी ड्रेस में तथा कुछ रंग-बिरंगे कपड़ों में स्कूल आते रहे। इसके पीछे कारण यह है कि गरीब वर्ग से आने वाले बच्चे सरकारी स्कूलों में अध्ययन करते हैं इसलिए सरकार द्वारा बच्चों को सुविधाएं प्रदान की जाती है, लेकिन सरकारी तंत्र की लेटलतीफी कार्यप्रणाली के कारण बच्चों को सही समय पर शासन की सुविधाओं का लाभ नहीं मिल पाता।
आखिर क्यों लगा ड्रेस वितरण में इतना समय
ड्रेस वितरण करना सरकारी अमले के लिए इतना बड़ा भारी काम नहीं था। शासन द्वारा इसके आदेश पिछले वर्ष शैक्षणिक सत्र शुरू होने के दौरान ही कर दिया गया था लेकिन शैक्षणिक सत्र के पूरे 10 माह बीतने पर भी बच्चों को ड्रेस उपलब्ध नहीं हुआ। यह सभी लोग भलीभांति जानते हैं कि यदि किसी मंत्री का दबाव आ जाए तो कोई मुश्किल काम भी रहे तो अधिकारी उस काम को बिना देरी किए कुछ दिनों में ही पूर्ण कर देते हैं, लेकिन बालाघाट जिले में आखिर ऐसी क्या वजह थी की स्कूली गणवेश बच्चों को दिलाने में इतना विलंब किया गया।
ड्रेस की राशि का भी अता पता नहीं
ज्ञात हो कि कक्षा पांचवी में अध्ययनरत बच्चों को गणवेश के बजाय उसकी राशि 600 रुपये अभिभावकों के बैंक खाते में डाले जाने की बात कही गई थी। जिस पर अधिकारियों द्वारा कहा गया था बच्चों के गणवेश की राशि उनके अभिभावकों के खाते में डाल दी गई है लेकिन उस राशि का भी अता पता नहीं है। अधिकांश अभिभावकों द्वारा यही बताया जा रहा है कि उनके खाते में गणवेश की राशि नहीं पहुंची है, विभाग को इस ओर ध्यान देकर कार्यवाही किए जाने की आवश्यकता है।
ड्रेस का साइज बच्चों को फिट नहीं बैठ रहा - संदीप पंडेल
डाइट प्राथमिक स्कूल शाला प्रबंधन समिति के सदस्य संदीप पंडेल ने बताया कि इस स्कूल में उनके दो बच्चे पढ़ते हैं ड्रेस संबंधित आदेश हुआ था स्कूल के प्रधान पाठक से ड्रेस के लिए आने के संबंध में। जो ड्रेस आया है शासन की तरफ से वह ड्रेस का साइज कई बच्चों को फिट नहीं बैठ रहा है। 32 के साइज से ड्रेस बने हैं प्रधान पाठक को कहा गया है जिस साइज के ड्रेस बने हैं वह साइज फिट नहीं हो रहा है इसलिए ड्रेस का साइज बढ़ाकर बनाया जाए।
बच्चों व अभिभावकों की समस्या का समाधान हो जाएगा - रानी फुलसूंघे
इसके संबंध में चर्चा करने पर उज्ज्वला आजीविका स्व सहायता समूह की रानी फुलसूंघे ने बताया कि हमें बालाघाट डाइट प्राथमिक स्कूल यूनिफॉर्म का काम दिया गया, सिलाई के लिए 510 यूनिफार्म का आर्डर दिया गया था। अभी हमने 365 कपड़े जमा कर दिए हैं 145 कपड़े दिया जाना बाकी है। उसे दो-तीन दिन में जमा कर देंगे क्योंकि अभी बच्चों के स्कूल खुले नहीं हैं। बच्चों के लैगी की समस्या है बच्चों के नाप से कपड़े बनाएंगे, बच्चों व अभिभावकों की समस्या का समाधान हो जाएगा। अभी 32 साइज के कपड़े बने हैं बच्चों को साइज में कपड़े छोटे पड़ रहे हैं इसलिए 34 और 36 साइज के भी कपड़े बनाएंगे।