प्रदेश अध्यक्ष कुर्राम व अजाक्स जिला अध्यक्ष परते ने की निष्पक्ष जॉच की मॉग
बालाघाट। आदिवासियों के तथाकथित अपमान के मामले ने अब पूरा राजनीतिक रंग ले लिया हैं। गुुरुवार को कुछ भाजपा के नेताओं के साथ शिकायत करने के लिए एसडीएम कार्यालय आए ग्राम बकेरा के पिता-पुत्र घनश्याम टेकाम व राम टेकाम अपने घर से लापता हैं और उनके परिजनों ने आदिवासी समाज के प्रदेश अध्यक्ष को पैर चटवाने जैसी कोई घटना होने से ही इंकार कर दिया हैं।
आरोप झूठे पाने पर साजिश में शामिल लोगों पर और सच पाने पर आरोपियों पर हो कार्यवाही
       इस मामले में अब आदिवासी समाज के प्रदेश अध्यक्ष भुवनसिंह कुर्राम व अजाक्स के बालाघाट जिला अध्यक्ष घनश्याम परते ने अधिकारियों से इस प्रकरण की निष्पक्ष जॉच करवा कर दोषियों पर सख्त कार्यवाही करने की मॉग कर डाली हैं। उनका कहना हैं कि यदि प्रकरण में सगााई मिलती हैं, तो दोषियों पर कड़ी कार्यवाही हो और यदि झूठ पाया जाता हैं, तो जिन लोगों ने आदिवासी समुदाय को बदनाम करने के लिए साजिश रची हैं, उन पर कड़ी कार्यवाही की जाये। वहीं इस मामले में जिला पंचायत सदस्य लोमहर्ष बिसेन भी एक महत्वपूर्ण निभाते हुए नजर आ रहे हैं।
प्रदेश में आदिवासी समुदाय में रोष की लहर
उल्लेखनीय हैं कि जनपद पंचायत वारासिवनी की ग्राम पंचायत बकेरा में बकरी चोरी के मामले में आदिवासी पिता-पुत्र घनश्याम टेकाम व राम टेकाम से पैर चटवाने की खबरे सोशल मीडिया व अखबारों में प्रकाशन के बाद पूरे प्रदेश के आदिवासी समाज में रोष की लहर व्याप्त हो गई हैं।
प्रदेश अध्यक्ष कुर्राम ने किया बकेरा का दौरा
इस मामले को लेकर आदिवासी समाज के प्रदेश अध्यक्ष भुवनसिंह कुर्राम ने ग्राम बकेरा का दौरा किया और पीडि़त परिवार से मिलने का प्रयास किया। लेकिन दोनों पिता-पुत्र उन्हें नहीं मिले, लेकिन उनके परिजनों ने उन्हें बताया कि पैर चटवाने जैसी कोई भी घटना ग्राम में नहीं घटी हैं। बकरी चोरी का मामला जरुर हुआ हैं, जिसमें मारपीट भी नहीं हुई, सिर्फ गाली गलौच हुई हैं।
फर्जी ज्ञापन तैयार करने की बात आई सामने
उन्हें पता चला कि बकरी के गुमने की घटना की शिकायत हुई थी और बकरियॉ मिल भी गई थी। चूॅकि गॉव के कुछ लोगों ने राजनैतिक लाभ के लिए जिस प्रकार से पिता-पुत्र घनश्याम टेकाम और राम टेकाम को मोहरा बनाया और बहला फुसला कर ले जाया गया और उन्हें बताया गया कि जमीन के मामले या आदिवासी कार्यक्रम में ले जाने लिए कहा गया और विजय बिसेन, मनोज बोपचे, चौबे वकील द्वारा फर्जी तरीके से ज्ञापन तैयार किया गया और षडयंत्र के तहत एसडीएम के पास पेश किया गया और उसे वायरल किया गया। जिससे पूरे देश के आदिवासी समाज को आघात पहुचाया गया है। जिसके लिए आदिवासी समाज पर हुए अत्याचार के मामले में सभी जगह से फोन आ रहे हैं, कि आपके गृह जिले में क्या हो रहा है? इसीलिए वह ग्राउंड जीरो पर मामले की हकीकत जानने पहुॅचे थे।
षडय़ंत्र रचने वालों पर हो एक्स्ट्रो सिटी एक्ट के तहत कार्यवाही
उन्होंने कहा कि आदिवासी समाज के लोगों को मोहरा बनाकर षडयंत्र रचने वाले लोगों पर जॉच उपरांत कड़ी कार्यवाही करते हुए दोषियों पर एस्ट्रो सिटी एक्ट के तहत कार्यवाही की जानी चाहिए। श्री कुर्राम ने बताया कि इस मामले में आदिवासी परिवार को मोहरा बना कर आदिवासियों को बदनाम करने का प्रयास किया गया हैं। इसीलिए हमने एसडीएम वारासिवनी से मिलकर उनसे मामले की निष्पक्ष जॉच करने के लिए कहने आए थे। लेकिन एसडीएम नहीं हैं। इसीलिए कलेक्टर बालाघाट से मिलकर मामले की निष्पक्ष जॉच की मॉग की जायेगी।
बकेरा घटना की हो निष्पक्ष जॉच - परते
        इस संबंध में डॉ घनश्याम परते ने कहा कि परिजनों से मिलने पर समझ आया कि एैसी कोई घटना नहीं घटी हैं। मीडिया के माध्यम से पता चला कि एक आदिवासी के साथ जो सीधी में हुआ था, वहीं घटना बकेरा में घटित हुई हैं। इसमें दो प्रकार की बातें सामने आ रही हैं, जिसमें कितनी सत्यता हैं, ये तो अधिकारियों द्वारा जॉच के बाद ही पता चल पायेगा। लेकिन कल के मामले ने आदिवासी समाज को पूरे प्रदेश व जिले में बदनाम कर दिया हैं। इस पर तथ्यता के साथ कार्यवाही होना चाहिए और जो भी सत्यता पाई जाती हैं, उसके अनुसार कार्यवाही होनी चाहिए।
उपसरपंच, जनपद सदस्य व भगत ने आरोपों को बताया झूठा
वहीं दूसरी ओर अपने खिलाफ लगाए गए आरोपों को लेकर ग्राम पंचायत बकेरा के उपसरपंच प्रकाश बिसेन, जनपद सदस्य सोमेन्द्र भौतिक, बकरी मालिक बलीराम भगत भी अपने साथ ग्राम के आदिवासियों व अपने समर्थकों को लेकर एसडीएम कार्यालय आए थे। लेकिन उन्हें भी कोई अधिकारी नहीं मिला। इस दौरान पूर्व जनपद सदस्य सोमेन्द्र भौतिक ने भी उन पर लगाए गए आरोपों को निराधार व झूठे बताया। उन्होंने कहा कि इन आदिवासियों को मनोज बोपचे द्वारा बहकाया गया हैं, उनके द्वारा आदिवासी लोगों का उपयोग किया जा रहा हैं।
कल जंगल की भूमि का मामला बताकर लाया गया था-अक्षय उइके
     वहीं गुरुवार को आदिवासियों के साथ आए ग्राम बकेरा के एक युवक अक्षय उइके ने बताया कि मुझे यह बोलकर लाया गया थ कि उनके जंगल वाली भूमि का मामला हैं, जंगल वालों ने उनकी भूमि पर रोक लगा दी थी। मुझे आने में देर हो गई थी, जब मैं पहुॅचा, तो यह लोग चौबे वकील के घर में बैठे थे, वहॉ पर हमारे समुदाय के कुछ लोग बैठे हुए थे। जहॉ पर मनोज बोपचे व विजय बिसेन ने वकील चौबे से कह रहे थे कि इनको ऐसे बोलने बोलना कि मेरे को पैर चटवाए, मारपीट किए। फिर मैने आवेदन पढ़ा, तो उसमें लिखा था कि मारपीट किए गाली गलौच किए, तो मैने इसका विरोध किया। अक्षय ने कहा कि इस बात की जानकारी मैंने गॉव में जाकर ग्रामीणों को दी कि यह दोनों आदिवासी को गलत बात में फॅसा रहे हैं। ऐसा नहीं होना चाहिए।  
मामले की निष्पक्ष जॉच की सगााई ला सकती हैं सामने?
 फिलहाल यह मामला पूरी तरह से उलझ गया हैं, इस मामले की प्रशासन द्वारा निष्पक्ष रुप से जॉच करवाने पर ही सगााई सामने आ सकती हैं कि वास्तव में ग्राम बकेरा में आदिवासियों के साथ हुआ क्या है? क्या वह किसी साजिश का शिकार हो गए हैं या फिर उनके द्वारा की गई शिकायत वास्तव में सही हैं?