बालाघाट। फोर्टीफाइड चावल मिलाने को लेकर राइस मिलर्स में आक्रोश
बालाघाट। सरकार की जन कल्याणकारी योजनाओं को धरातल पर लागू कराने के लिए राइस मिलर्स का भी योगदान होता है। गरीबों को राशन उपलब्ध कराया जाता है वही स्कूल एवं आंगनबाड़ी केंद्रों में मध्यान्ह भोजन के लिए चावल भी उपलब्ध कराया जाता है, यह सब राइस मिलर्स के योगदान के मार्फत ही होकर जाता है। लेकिन जिस प्रकार से सरकार द्वारा नई नई नीति लाई जा रही है चावल में फोर्टीफाइड चावल मिलाने की नीति आई है वह राइस मिलर्स के लिए परेशानी का कारण बन गई है। कुछ राइस मिलर्स तो इसके लिए सक्षम देखे जा रहे हैं लेकिन अधिकांश राइस मिलर इसके लिए नाखुश देखे जा रहे हैं, इससे कई राइस मील बंद होने की कगार पर आ गई है। यही कारण है कि प्रधानमंत्री के नाम ज्ञापन मध्यप्रदेश चावल उद्योग महासंघ द्वारा भेजा गया है और इस ज्ञापन के माध्यम से चावल में फोर्टीफाइड चावल मिलाने पर आपत्ति जताई गई है। ज्ञापन के माध्यम से मध्यप्रदेश चावल उद्योग महासंघ के संरक्षक अनिल चतुरमोहता ने बताया कि फोर्टीफाइड राइस कुपोषण हेतु दिया जा रहा है। फोलिक एसिड व विटामिन 12 चाइना से आता है एक लॉबी इसे चावल बेस बनाकर बेचना चाहती है और वर्तमान में यह ताकतवर लॉबी पूरे शासन पर हावी होकर कार्य कर रही है। राइस मिलर्स ने कहा कि वे फोर्टीफाइड राइस के विरोधी नहीं है शासन 1 क्विंटल चावल में फोर्टीफाइड राइस 1 किलो दे रही है। इस लागत में 1 किलो फोर्टीफाइड राइस 5 प्रति किलो में जिस पैकिंग चाहे उस पैकिंग में देने को तैयार है, जिसकी क्वालिटी जांच आसानी से की जा सकती है यह प्रत्येक परिवार में आसानी से वितरण किया जा सकता है। वर्तमान में फोर्टीफाइड राइस एक प्रतिशत से 1.2 प्रतिशत से ज्यादा होने पर हमारा 10 लाख का लाट फेल हो जाता है और पास कराने के नाम हमें कई कठिनाई होती है। इस कारण धान कस्टम मिलिंग की गति अवरुद्ध होती है, आज मध्यप्रदेश में 15 लाख क्विंटल धान खुले मैदान में खराब हो रहा है। सरकारी कर्मचारी हमें नई-नई मशीन खरीदने हेतु अपने व्यक्तिगत हित में मजबूर कर रहे हैं उस मशीन की कीमत 5 लाख रुपए हैं और इस फोर्टीफाइड की जांच नहीं की जा सकती है और यह विधि अवैज्ञानिक है। राइस मिलर्स ने यह भी कहा है कि बड़े मिलर्स तो यह सब कर रहे हैं पर छोटे मिलर्स इनकी ज्यादती से परेशान होकर अपनी मिले बंद कर रहे हैं पूर्व में भी इस तरह का सारटेक्ट्स हेतु किया गया। राइस मिलर्स ने कहा है कि छोटे धान उत्पादक किसान, कृषि, राइस उद्योग एवं गरीबों को 2 रूपये प्रति किलो चावल तक की योजना एवं चावल निर्यात की योजना पर विचार करने की आवश्यकता है। निश्चित है यह एक अत्यंत महत्वपूर्ण ग्रामीण विकास की योजना है, अगर इस पर सरकार ध्यान दे और सही नीति निर्धारण करें तो यह सभी के लिए लाभकारी होगा तथा राइस मिलर्स भी पहले की तरह अपना कार्य कर सकेंगे।