कटंगी। क्षेत्र में बीते कुछ दिनों से संजीवनी 108 एंबुलेंस के समय पर नहीं पहुंचने के मामले लगातार सामने आ रहे है। जिस कारण मरीजों से लेकर सड़क हादसों में घायल होने वाले लोगों को समय पर प्राथमिक उपचार नहीं मिल पा रहा है बीते एक सप्ताह में करीब आधा दर्जन सड़क हादसों के बाद जब कॉलर के द्वारा 108 में डॉयल किया गया तो यहीं बताया रहा है कि एंबुलेस नहीं है। जिस कारण सड़क हादसों में घायल लोगों को अन्य प्राईवेट वाहनों से सरकारी अस्पताल पहुंचाया जा रहा है जबकि दूसरी तरफ कटंगी-वारासिवनी सड़क मार्ग पर ग्राम जाम में पॉवर हाउस के पास सरकारी एंबुलेस 5 दिनों से लावारिस हालत में खड़ी है। दरअसल, 5 दिन पहले ग्राम जाम में पावर हाउस के पास एंबुलेंस अनियंत्रित होकर पलटकर उलटी हो गई थी। जिसे जैसे-तैसे फिर से पहियों पर खड़ा तो कर लिया गया है परंतु इसकी मरम्मत के लिए आज तक इसे ले जाया नहीं गया है और इधर, एंबुलेस की सुविधा नहीं मिलने से लोग परेशान हो रहे है। गौर करने वाली बात तो यह है कि इस ओर ना तो स्वास्थ्य विभाग का ध्यान है और ना ही ठेकेदार यानी की जेएईएस प्रोजेक्ट (आई) प्राइवेट लिमिटेड कंपनी का जिसके जिम्मे एंबुलेंस के परिचालन की जिम्मेदारी है।
गौरतलब हो कि 81 ग्राम पंचायत वाले कटंगी विकासखंड में मात्र 3 एंबुलेस है जिसने दो एंबुलेस सरकारी अस्पताल कटंगी और एक प्राथमिक उपस्वास्थ्य केन्द्र तिरोड़ी से संचालित होती है। जिसमें दो बीएलएस यानी की बुनियादी जीवन समर्थन और एक एएलएस यानी उन्नत जीवन समर्थन कहा जाता है। इसमें एएलएस वाहन अधिक संसाधनों से विकसित किया गया एंबुलेस वाहन है जो सड़क हादसे का शिकार होने के बाद बीते 05 दिनों से सड़क के किनारे लावारिस हालत में खड़ा है। स्वास्थ्य विभाग और कंपनी का दावा है कि एएलएस एंबुलेंस में एडवांस उपकरण जैसे वेंटिलेटर, डिफिब्रिलेटर, जरूरी दवाओं के साथ-साथ एक प्रशिक्षित मेडिकल टेक्नीशियन मौजूद रहता है। जीवन रक्षक उपकरणों से लैस यह एंबुलेंस मरीजों की जान बचाने का काम करती है। मगर, इसकी कितनी सच्चाई है यह बात किसी से छिपी नहीं है। तमाम सड़क हादसों के बाद जब एएलएस एंबुलेस की जरूरत पड़ती है तो एंबुलेस नहीं मिल पाती है और घायल को बीएलएस एंबुलेस में ही ले जाया जाता है।
सरकारी अस्पताल कटंगी को छोड़ दिया जाए तो क्षेत्र में स्वास्थ्य सुविधाओं की स्थिति बड़़ी दयनीय है। मॉयल नगरी तिरोड़ी, महकेपार, गोरेघाट, सिरपुर, कन्हडग़ांव, जराहमोहगांव सहित अन्य ग्रामीण इलाकों में खोले गए स्वास्थ्य केंद्र में चिकित्कसीय अमले के अलावा उपकरणों की भारी कमी हैं। जिस कारण ग्रामीणां को महानगरों में इलाज के लिए जाना पड रहा है और अपनी मेहनत की गाड़ी कमाई इलाज के नाम पर महंगा उपचार में खर्च करनी पड़ रही है। दावे से नहीं कहा जा सकता कि कटंगी क्षेत्र के किसी भी सरकारी अस्पताल में मरीजों को अच्छा और बेहतर उपचार मिल रहा है। ग्रामीण इलाकों में मेडिकल की सुविधाएं झोलाछाप संभाले हुए हैं। जिनके प्रति लोगों का नजरिया अब बदल गया है इसकी एक बड़ी वजह कोरोना काल है जब सरकारी चिकित्सक मरीजों को हाथ पकडऩे से भी डर रहे थे तब यहीं झोला छाप मरीजों का घर-घर जाकर इलाज कर रहे थे। जिसके बाद से ग्रामीण इन्हें ही अपना भगवान मान चुके है। सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र कटंगी के अंतर्गत संचालित कई उप स्वास्थ्य केंद्रों की हालत तो मरणासन्न हो गई हैं। अब गौर कीजिए कि बीते दिनों जब विधानसभा चुनाव संपन्न हुए तो स्थानीय नेताओं ने बेहतर स्वास्थ्य सेवा उपलब्ध कराने का दावा किया है चुनाव परिणाम 3 दिसंबर को आने वाले है और फिर देखना है कि स्वास्थ्य सेवाओं में किस तरह का बदहाल हुआ है।