बालाघाट। विश्व पटल पर अंकित होगा संग्रहालय का नाम
छह साल बाद रेलवे ने इंजन के लिए दी मंजूरी
100 साल पुरानी छुक-छुक के इतिहास को जान सकेगी आगामी पीढ़ी
बालाघाट। शहर के पुरातत्व शोध संग्रहालय में जल्द ही 100 साल पुरानी ट्रेन का इंजन स्थापित हो। इसके लिए संग्रहालय अध्यक्ष डॉ वीरेन्द्र सिंह गहरवार और टीम पिछले छह वर्षो से कार्य कर थी। अब कही जाकर रेलवे ने 23 अगस्त को एक पत्र जारी कर इंजन को संग्रहालय के लिए प्रदान किए जाने की जानकारी दी है। इस इंजन के संग्रहालय में स्थापित होने के बाद न सिर्फ संग्रहालय और शहर का गौरव बढ़ेगा बल्कि पुरातत्व के क्षेत्र में संग्रहालय का नाम विश्व पटल पर अंकित होगा। जिले की आगामी पीढ़ी भी जिले की 100 साल पुरानी नेरोगेज ट्रेन और उसके इतिहास को जान सकेंगी। बता दें कि बालाघाट जिले में नेरोगेज ट्रेन का काफी पुराना इतिहास रहा है। गोंदिया, बालाघाट से जबलपुर के लिए जिलेवासी इसी ट्रेन में सफर किया करते थे। कम स्पीड में चलने के कारण इस नेरोगेज ट्रेन को जिलेवासी छुक-छुट ट्रेन के नाम से भी जानते हैं। जिले के ग्रामींण अंचलों के स्कूल, कॉलेज के विद्यार्थी भी इसी ट्रेन से आवागमन कर जिला मुख्यालय शिक्षा ग्रहण करने पहुंचा करते थे। इस कारण इस ट्रेन से उनकी बचपन की यादें और भावनाएं जुड़ी हुई है। कारण यहीं है कि लंबे समय से उक्त ट्रेन को धरोहर के रूप में स्थापित किए जाने की मांग की जा रही थी।
छह साल बाद मिली मंजूरी
संग्रहालय अध्यक्ष डॉ गहरवार ने बताया कि इसके पूर्व में नेरोगेज की बोगी की स्थापना को लेकर काफी प्रयास किए गए। तब सन 2017 में तत्कालीन कलेक्टर भरत यादव के समय संग्रहालय को नेरोगेज की बोगी 98242 रुपए में रेलवे ने प्रदान की थी। जिसे जन सहयोग से राशि एकत्रित कर संग्रहालय में स्थापित भी किया जा चुका है। इसके बाद से ही इंजन को भी संग्रहालय में लाए जाने के प्रयास किए जा रहे थे, इसके लिए तत्कालीन कलेक्टर डीवी सिंह, दीपक आर्य व अन्य अधिकारियों ने भी प्रयास किए। वर्तमान में सांसद ढालसिंह बिसेन ने भी इंजन को लेकर रेलवे से प्रत्र व्यवहार किया, तब कहीं जाकर छह बाद रेलवे इंजन देने तैयार हुआ है।
इंजन लाने शुरू की कार्रवाई
रेलवे से जारी किए गए पत्र के अनुसार कलेक्टर डॉ गिरीश मिश्रा के मार्गदर्शन में कार्रवाई शुरू कर दी गई है। डीएटीसी के माध्यम से फाइल को पुटअप कराकर कलेक्टर के माध्यम से रेलवे को प्रेषित किया जाएगा। इसके बाद रेलवे बिलासपुर से बड़े वाहन में इंजन को नागपुर होते हुए बालाघाट लाया जाएगा। इसके बाद संग्रहालय में प्लेट फार्म तैयार कर इंजन स्थापित किया जाएगा।
खास-खास
:- तीन कलेक्टरों से लेकर सांसद तक ने किए प्रयास।
:- पूर्व में रेलवे राशि की कर रहा था डिमांड।
:- सांसद के हस्तक्षेप के बाद अब निशुल्क मिलेगा इंजन।
:- इंजन आने से जिले में पर्यटन को बढ़ावा मिलेगा।
:- जिले की 100 साल पुरानी धरोहर सहेजी जा सकेगी।
:- आगामी पीढ़ी भी 100 साल पुराने नेरोगार के इतिहास को जान व देख सकेंगी।
:- संग्रहालय के साथ जिले की बढ़ेगी ख्याती।
इनका कहना है
यह संग्रहालय परिसर के साथ ही पूरे जिले के लिए भी खुशी की बात और एक उपलब्धि है। पहले इंजन के लिए राशि की समस्या आ रही थी। लेकिन अब रेलवे निशुल्क में रेल इंजन मुहैया करावा रहा है। कलेक्टर सर के निर्देशन में इंजन लाने प्रयास शुरू कर दिए गए हैं।
डॉ वीरेन्द्र सिंह गहरवार, संग्रहालय अध्यक्ष
पुरातत्व टीम ने हमें नेरोगेज इंजन को जिले में धरोहर के रूप में स्थापित किए जाने की बात कही थी। हमने इस मामले को लेकर केन्द्रीय रेलवे मंत्री से चर्चा की थी, वार्ता सफल रही। रेलवे निशुल्क में इंजन मुहैया करवा रहा है। इसके लिए पुरातत्व टीम भी बधाई की पात्र है।
डॉ ढालसिंह बिसेन, सांसद