वारासिवनी। रामपायली में मिट्टी के रावण का राजपूतों ने किया वध
वारासिवनी। असत्य पर सत्य की विजय का यह पर्व विजयदशमी के अवसर पर ग्राम राजपूत समाज द्वारा समस्त शस्त्र अस्त्रों का विधि विधान से पूजन कर मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम मां जगत जननी नव दुर्गे को नमन किया गया। कार्यक्रम का श्रीगणेश ठाकुर चैनसिंह बैस के प्रांगण में संपन्न हुआ। जहां राजपूत क्षत्रिय समाज के महिला, पुरुष, बच्चों ने एकत्रित होकर इस उत्सव को धूमधाम से मना कर असत्य पर सत्य की विजय प्रतीक विजयदशमी पर्व मनाया गया।
मिट्टी से निर्मित रावण का किया वध
सर्वप्रथम राजपूत क्षत्रिय समाज के अध्यक्ष ठाकुर राजेंद्र सिंह चौहान द्वारा भगवान श्रीराम व मां दुर्गे का पूजन विधि विधान से पंडित खेलोधर प्रसाद तिवारी द्वारा कराया गया। इस अवसर पर नगर में दशहरा स्थल पर मिट्टी से निर्मित रावण का वध राजपूत वंशज के प्रत्येक व्यक्ति प्रतिवर्ष करता है। इस बार समाज की बैठक में राजेश सिंह चौहान को रावण मारने का सर्वसम्मति से निर्णय लेकर उन्हें तिलक वंदन कर दशहरा स्थल तक ले जाया गया, जहां उन्होंने रावण का वध किया। यह परंपरा वर्षो से चली आ रही है जिसका भली भांति निर्वहण किया गया। इस शस्त्र पूजन में क्षत्रिय समाज एवं क्षत्राणियों ने मिलकर पूजन में भाग ले लिया।
शांति व सद्भाव का दिया संदेश
कार्यक्रम को संबोधित करते हुए ठाकुर रविंद्र सिंह बैंस द्वारा भगवान मर्यादा पुरुषोत्तम श्रीराम के आदर्श जीवन पर प्रकाश डालते हुए सर्व समाज को शांति सद्भाव के लिए प्रेरित किया गया। कार्यक्रम का संचालन ठाकुर चैनसिंह बैंस द्वारा किया गया। आभार प्रदर्शन ठाकुर नरेंद्र सिंह द्वारा किया गया।
यह रहे उपस्थित
कार्यक्रम में प्रमुख रूप से राजपूत क्षत्रिय समाज अध्यक्ष ठाकुर राजेंद्र सिंह चौहान, ठाकुर नरेंद्र सिंह चौहान, रविंद्र सिंह बैस, चैनसिंह बैस, शैलेंद्र सिंह बैस, प्रशांत सिंह चौहान, सचिन सिंह चौहान, जगपाल सिंह चौहान, शैलेंद्र सिंह चौहान, संतोष सिंह चौहान, सौरभ सिंह चौहान, आयुष बैस, राजकुमार सिंह ठाकुर, विशाल सिंह चौहान, श्रीमती शांति बैस, श्रीमती सुनीता बैस, श्रीमती माधुरी बैस, श्रीमती विनीशा बैस, श्रीमती अभिलाषा चौहान, श्रीमती आरती चौहान, रितेश सिंह चौहान, योगेश सिंह चौहान, प्रशांत सिंह बैंस, किरण सिंह बैंस, श्रीमती पदमा बैस, कुमारी पगवी बैस, सुशांत सिंह चौहान, शक्ति सिंह बैस, संजय प्रताप सिंह सिसोदिया आदि लोग प्रमुख रूप से उपस्थित रहे।