अधिकारी बोले वार्ड बाय कर रहे लापरवाही
बालाघाट।
हमेशा सुर्खियों में बने रहने वाला जिला अस्पताल एक बार फिर स्ट्रेचर के मामले को लेकर सुर्खियों में आया है जहां पर वार्ड बॉय की दबंगई के चलते मरीज के परिजनों को काफी परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है, इसके साथ ही करीब आधा से एक घंटा स्ट्रेचर के लिए इंतजार करने के बाद भी मरीज के परिजनों को स्ट्रेचर समय पर नहीं मिल पा रहा है। वही इस पर अधिकारियों का कहना है कि वार्ड बाय जहां स्ट्रेचर लेकर जाते हैं वहीं छोड़ देते हैं जिसके चलते स्ट्रेचर मरीज के परिजनों को जाने एवं लाने में नहीं मिल पाता है।
बता दे की बालाघाट जिला एक आदिवासी नक्सली प्रभाव जिला है जहां की अधिकतर आबादी आदिवासी बाहुल्य क्षेत्र से है जो छोटी-छोटी समस्या एवं गंभीर बीमारियों को लेकर इलाज करवाने के लिए शासकीय जिला अस्पताल बालाघाट पहुंचते हैं लेकिन व्यवस्थाओं के चलते उन्हें निराशा ही हाथ लगती है कई बार जिला अस्पताल व्यवस्थाओं को लेकर सुर्खियों में बना रहा है जिस पर अधिकारियों के द्वारा समय- समय पर निरीक्षण कर व्यवस्थाओं को ठीक करने का प्रयास भी किया गया लेकिन यह दुर्भाग्य कहे कि शासकीय जिला अस्पताल का की अभी तक पूर्ण रूप से जिला अस्पताल व्यवस्थाओं को लेकर दुरुस्त नहीं हुआ है और मरीज और उनके परिजनों को परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
वही मामले में नाराजगी व्यक्त करते हुए मरीज के परिजनों ने जानकारी देते हुए बताया कि वारासिवनी तहसील के अंतर्गत आने वाले ग्राम सीर्रा निवासी अजय गौतम को करीब एक सप्ताह से तबीयत खराब होने पर उन्होंने जिला अस्पताल में मरीज को भर्ती कराया था लेकिन बेहतर सुविधा उन्हें नहीं मिल पाने के कारण उनके स्वास्थ्य में किसी भी प्रकार का कोई सुधार नहीं आया जिसके चलते उन्हें अस्पताल से ही छुट्टी करनी पड़ी इसके बाद उन्हें वाहन तक ले जाने के लिए स्ट्रेचर नहीं मिला जिसका करीब उन्होंने 1 घंटे तक इंतजार किया लेकिन अस्पताल प्रबंधक, स्टाफ नर्स सहित वार्ड बाय ने 1 घंटे तक स्ट्रेचर की व्यवस्था भी नहीं कर पाए जहां मजबूरन परिजनों को मरीज को हाथ में लेकर अपने वाहन तक ले जाना पड़ा।
वार्ड बॉय कर रहे बदतमीजी
वार्ड बाय के द्वारा मीडिया कर्मियों से बदतमीजी करते हुए नजर आया और वार्ड बॉय का ही कहना था कि पूरे जिला अस्पताल में सिर्फ दो ही स्ट्रेचर है जो मरीज को इधर-उधर ले जाने के लिए है।
इनका कहना है
यहां पर कोई व्यवस्था नहीं है समय पर डॉक्टर भी उपलब्ध नहीं हो पाते है और तबियत ठीक तो नहीं हुई लेकिन और अधिक खराब हो गई साथ ही स्टे्रचर के लिए करीब 1 घंटे तक इंतेजार करना पड़ा फिर भी स्टे्रचर नहीं मिला जिससे की मरीज को हाथों में ही उठा कर वाहन तक लाना पड़ा है। जिला अस्पताल में पुरे जिले के लोग आते है यहां पर व्यवस्था अच्छी होनी चाहिए जिससे कि मरीज व परिजनों को कोई परेशानियों का सामना ना करना पड़े।
सत्यम चौहान, मरीज परिजन
तबियत खराब होने पर जिला अस्पताल में लाकर भर्ती कराया गया था लेकिन तबियत ठीक नहीं हुई और चिकित्सकों ने जवाब दे दिया कि नागपुर लेजा लो लेकिन आर्थिक स्थिति ठीक नहीं होने के कारण हम लोग घर लेकर जा रहे है साथ ही मरीज की हालत भी बहुत खराब है। जिले का सबसे बड़ा शासकीय जिला अस्पताल है अब यह हॉल तो सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्रों के क्या हॉल होंगे और स्ट्रेचर के लिए घंटो इंतेजार करना पड़े तो जिला अस्पताल होने का कोई मतलब नहीं है।
हरीश राहंगडाले, मरीज परिजन
जिला अस्पताल में सभी प्रकार की सुविधा है और स्ट्रेचर भी है लेकिन वार्ड बाय जहां लेकर जाते हैं वहीं स्ट्रेचर रख देते हैं इसलिए मरीज के परिजनों को समय पर स्ट्रेचर नहीं मिल पा रहा होगा और स्ट्रेचर की व्यवस्था स्टाफ नर्स एवं वार्ड बाय की होती है जो अपने कार्य को लेकर गंभीर नहीं है उसको लेकर उन्हें सख्त निर्देश दिए जाएंगे और बेहतर से बेहतर मरीजों को सुविधा देने के लिए कार्य किया जाएगा।
डॉक्टर संजय धबडग़ांव, सिविल सर्जन
जिला चिकित्सालय बालाघाट