रंग लाया जनपद सदस्य हरिशंकर बनवारी का संघर्ष

ग्राम नगपुरा के 3 तालाबों को लेकर बालाघाट कलेक्टर का ऐतिहासिक फैसला
लालबर्रा।
ग्राम पंचायत नगपुरा को प्राप्त होने वाली राजस्व राशि  एवं ग्रामीण लोगों के निस्तार के 3 तालाब माता तालाब बेल तालाब और चमार तालाब को जो वर्षों से शासन द्वारा ग्राम पंचायत के माध्यम से मत्स्य उत्पादन एवं सिंघाड़ा की फसल लगाने के लिए ग्राम के ही मछुआ समूह को उनकी आजीविका बढ़ाने एवं जीवन स्तर सुधारने  हेतु पट्टे पर दिया जाता था जिसे वर्ष 2001 से ग्राम के ही प्रतापपुरी गोस्वामी नामक व्यक्ति द्वारा अपने आपको दशनाम सन्यासी संप्रदाय का चेला बताते हुए न्यायालय से प्राप्त कर लिया था द्य जिसे पैतृक संपत्ति बताकर अपने जीवन काल में ही अपने पुत्रों को बटवारा देते हुए दो तालाब अपने पुत्रों  डोमारपुरी,अर्जुनपुरी के नाम कर दिया था उक्त व्यक्तियों के द्वारा तालाबों पर अधिकार कर लिया गया था और पंचायत को प्राप्त होने वाली राजस्व राशि भी वे स्वयं रखते थे क्योंकि वे स्वयं इन तालाबों में मत्स्य पालन व सिंघाड़ा लगाने का कार्य करते थे और लाभ अर्जित करते आ रहे थे चूंकि मामला विवादित होने के साथ-साथ गंभीर भी था, शासन हित और मछुआरों को रोजगार दिलाने की दृष्टि से नगपुरा के नवनिर्वाचित जनपद सदस्य हरिशंकर  बनवारी द्वारा लंबी कानूनी लड़ाई व संघर्ष के बाद अंतत: ग्राम  पंचायत नगपुरा  के तीन विवादित तालाबों को शासन को दिलाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई जो कार्य शासन को करने चाहिए थे उस कार्य को करने जनपद सदस्य आगे आए और विभाग के  जिम्मेदार अधिकारियों को मामले से अवगत कराते हुए आवेदन पर आवेदन दिए गए, उक्त तालाब जो वर्षों से  सन्यासी संप्रदाय के स्वामित्व में था, जिसमे हिंदू उत्तराधिकारी अधिनियम कानून लागू ही नहीं होता, फिर भी अर्जुन पुरी के द्वारा अपनी पैत्रक संपत्ति बताते हुए कूट रचित दस्तावेज तैयार कर शासन की आंखों में धूल झोंक ते हुए लालबर्रा विकासखंड के  ग्राम नगपुरा में स्थित भूमि खसरा नक्शा 205, 262 /1 रकबा 2.05 10  1.3030 हे. भूमि जिसमें तालाब स्थित है अपने नाम करा लिया मामले को संज्ञान में लेकर इस पर माननीय कलेक्टर महोदय गिरीश मिश्रा के निर्देश पर माननीय अनुविभागीय अधिकारी वारासिवनी के अनुपालन में माननीय तहसीलदार लालबर्रा के द्वारा नगपुरा के तालाब को मध्यप्रदेश शासन भूजल में दर्ज कर आदेश पारित कर दिया गया एवं पटवारी हल्का नंबर 5/ 17 के द्वारा रिकॉर्ड दुरुस्त  करते हुए मध्यप्रदेश शासन भूजल में दर्ज कर दिया गया बालाघाट कलेक्टर के द्वारा दिए गए ऐतिहासिक फैसले में ग्रामीणों व मछुआ समिति में हर्ष का माहौल है।