कर्राहे के लगातार बढ़ते ग्राफ से विरोधी दलों के लोगों में भी चर्चाएं गर्म

लांजी। विधानसभा चुनाव की तैयारी का बिगुल बज चुका है चुनावी सरगर्मियां तेज हो गई है भाजपा की 39 सीटों की घोषणा हो चुकी है, जिनमे बालाघाट जिले की दो सीट शामिल है। इसके बाद कहीं खुशी कहीं गम की स्थिति निर्मित हो गई है उन्हीं में से एक विधानसभा लांजी है जहां रमेश भटेरे की टिकट काटकर राजकुमार कर्राहे को दे दी गई है जो भटेरे को नागवार गुजर रही है। तरह-तरह के हथकंडे अपनाकर विरोध जताया जा रहा है ऐसा दिखाया जा रहा है जैसे कोई टिकट नहीं कटी बल्कि कोई पहाड़ टूट गया हो। भाजपा के झंडे तले कुछ कार्यकर्ताओं को बुलाकर सभाएं लेना ऐसी कुछ स्थिति से क्षेत्र की जनता बहुत ही असमंजस के दायरे में खड़ी है टिकट राजकुमार कर्राहे को मिली है या रमेश भटेरे को। इस रस्साकशी से जनता के बीच राजकुमार कर्राहे का ग्राफ दिनों दिन बढ़ते जा रही है।
जनता का मानना है की टिकट किसी को भी मिले प्रत्याशी तो कमल फूल का ही है फिर नाराजगी कैसी। पार्टी का सिपाही बनकर काम करना ही समर्पण भाव है जो भाजपा की संस्कृति है। इतना शोर मचाने से जनता भी आश्चर्यचकित है पार्टी तो एक है फिर मतभेद और मनभेद का कहीं स्थान नहीं रह जाता है। पार्टी हित में आपसी सामंजस्य तथा तालमेल से ही पार्टी प्रत्याशी को विजयश्री दिलवाई जा सकती है, ऐसी जनमानस की सोच है। पार्टी के अंदर आरोप प्रत्यारोप की झड़ी लगाई जाती है तो कहीं न कहीं यह पार्टी को कमजोर बनाने का ही काम होगा। क्षेत्र की जनता खुले दिल से राजकुमार कर्राहे को अपना प्रत्याशी मान बैठी है जिन्हे जनता का भरपूर सहयोग तथा भरपूर समर्थन भी प्राप्त हो रहा है। पार्टी का प्रत्याशी जीत के कगार में खड़ा है जनता जनार्दन का आशीर्वाद प्राप्त हो रहा है इसमें किसी प्रकार का संशय नहीं है दिशाहीन राजनीति का दृश्य न बनकर सच्चे सिपाही का रोल अदा करें जिससे छवि बरकरार रहे एवं पार्टी की भी मर्यादा को कोई ठेस ना पहुंचे यह क्षेत्र के बुद्धिजीवियों का भी तर्क है।
फिलहाल लांजी क्षेत्र में भाजपा मजबूत स्थिति में पहुंच चुकी है रमेश भटेरे की 5 साल की मेहनत भी रंग ला रही है जिन्होंने बढ़-चढ़कर मेहनत की है इसका लाभ भी पार्टी में समझ आ रहा है, उदारता शालीनता ही भाजपा का मूल मंत्र है।
जनचर्चा के माध्यम से सुना जा रहा है कि क्षेत्र में पहली बार भाजपा की टिकट लांजी मुख्यालय पहुंची है इसे बरकरार रखते हुए भाजपा के विजय हित में चिंतन मनन करने की आवश्यकता है। वैसे लांजी पूर्व से ही भाजपा का गढ़ माना जाता रहा है सेंधमारी के चलते भाजपा गई थी, लेकिन वर्तमान में भाजपा को लांजी सीट से पुनः वापस होने के कयास लगाए जा रहे हैं जो भाजपा के नजरिया से एक अच्छा संकेत है। बस जरूरत है आपसी एकता और सामंजस्य की, इस आपाधापी में भाजपा के शीर्ष नेतृत्व की क्या भूमिका रहेगी जिसका जनता जनार्दन इंतजार कर रही है। जनमानस का मानना है कि भाजपा का आलाकमान तत्काल हस्तक्षेप कर भाजपा के हित में सार्थक पटाक्षेप कर भाजपा की जीत का मार्ग प्रशस्त करें।