बालाघाट। शासन स्तर से यह नियम है कोई भी अधिकारी एक जगह पर 3 वर्ष से ज्यादा समय तक पदस्थ नहीं रहता उनका स्थानांतरण किया जाता है ताकि शासकीय कार्य में पारदर्शिता बनी रहे एवं कार्य निर्बाध रूप से चलते रहे। यह जो शासन के नियम है यह प्रथम श्रेणी अधिकारियों के लिए तो लागू होते हैं, 3 वर्ष का जैसे ही अधिकारी का कार्यकाल पूर्ण होता है उस बड़े अधिकारी का स्थानांतरण कर दिया जाता है लेकिन जो सेकंड क्लास ऑफिसर होते हैं उनके तबादले नहीं किए जा रहे हैं। कुछ अधिकारियों के तबादले होते हैं लेकिन ज्यादातर अधिकारियों के तबादले नेतागिरी एवं पहुंच के चलते नहीं हो पाते और वह लंबे समय तक एक ही जगह टिके रहते हैं। ऐसा बालाघाट जिले में लंबे समय से देखने मिल रहा है लेकिन वरिष्ठ अधिकारियों की चाटुकारिता एवं राजनीतिक एप्रोच लगाए जाने के कारण कुछ अधिकारी जिला मुख्यालय में उस विभाग की बपौती बनकर बैठ गए हैं और उनका तबादला चाहे दूसरे ब्लाकों में हो या अन्य जिलों में नहीं किया जा रहा है।
30 जून तक होने हैं तबादले
आगामी कुछ माह बाद विधानसभा के चुनाव होने हैं उसके पूर्व अधिकारियों के तबादले किये जाने की प्रक्रिया को पूर्ण किया जा रहा हैं। मध्यप्रदेश शासन द्वारा तबादलों पर से प्रतिबंध हटा दिया गया है 15 जून से 30 जून तक तबादलों पर से रोक हटा दी गई है इस दौरान उन अधिकारियों का तबादला किया जाएगा जो एक ही स्थान पर लंबे समय से पदस्थ है, इसकी प्रक्रिया जिला प्रशासन द्वारा शुरू कर दिया जाना बताया जा रहा है।
कई विभागों में अधिकारी लंबे समय से जमे हुए
बताया जा रहा है कि शासन का यह नियम एसडीओ एवं उपयंत्री स्तर के अधिकारियों के लिए भी लागू होता है। बालाघाट मुख्यालय में हीं देखे तो कई उपयंत्री एवं एसडीओ स्तर के अधिकारी एक ही विभाग में लंबे समय से पदस्थ है और उनके स्थानांतरण की प्रक्रिया लगभग ठंडे बस्ते में पड़ी हुई है। इनका स्थानांतरण नहीं किए जाने के संबंध में पता करने पर यही जानकारी सामने आती है कि उनके ऊपर वरिष्ठ अधिकारियों का वरदहस्त रहता है जिसके कारण इनका जिले के अन्य ब्लॉकों में तक भी स्थानांतरण नहीं हो पाता। डीपीसी कार्यालय, पीएचई कार्यालय, सेतु निगम, सिंचाई विभाग, आरईएस जैसे कई विभाग है जिनमें अधिकारी एक ही जगह में बैठकर कई वर्षों से कार्य कर रहे हैं।
एक जगह पदस्थ रहने से कार्य होते हैं प्रभावित
अक्सर यह देखने में आया है कि जिन विभागों में ऐसे अधिकारी जो लंबे समय से वहां पर पदस्थ है उनकी उस विभाग में अच्छी खासी वजनदारी रहती है, जिसके कारण उनके वरिष्ठ अधिकारी भी उन्हें कुछ बोल नहीं पाते। ऐसी स्थिति में यह कहे कि चाहे निर्माण कार्यों में गड़बड़ी या विभागीय गड़बड़ी होने की संभावनाएं ज्यादा बढ़ जाती है। यही कारण है कि मध्यप्रदेश शासन द्वारा विधानसभा चुनाव के पूर्व एक ही जगह में वर्षों से पदस्थ अधिकारियों के तबादले की प्रक्रिया की जा रही है।