बालाघाट। ट्राफिक सिग्नल को बजट का इंतजार
लगने के कुछ समय तक भी नहीं मिल पाया लाभ
बालाघाट। शहर की सुंदरता को बढ़ाने और यातायात व्यवस्था बनाए रखने शहर में ट्राफिक सिग्नल तो लगाए गए, लेकिन लगने के कुछ समय बाद से ही यह ट्राफिक सिग्नल बंद होकर शोपीस बने हुए हैं। बताया गया कि शासन प्रशासन की अन्य व्यवस्थाओं और योजनाओं की भांति इस सिग्नल व्यवस्था को भी प्रशासनिक लापरवाही का ग्रहण लग गया है। कारण यहीं है बंद होने के महिनों बाद भी इन्हें सुचारू किए जाने न कोई पहल की जा रही है और न ध्यान दिया जा रहा है। जानकारी के अनुसार बढ़ते वाहनों से बिगड़ती यातायात व्यवस्था को सुधारने और वाहन चालकों को यातायात नियमों का पालन कराने के उद्देश्य से नगरीय क्षेत्र के कालीपुतली चौक व हनुमान चौक में वर्ष 2017 में करीब 13 लाख की लागत से यहां ट्रैफिक सिग्नल लगाए गए थे। इसके बाद इन सिग्नलों का पालन हो सके इसके लिए जेब्रा क्रासिंग भी तैयार की गई। कुछ दिनों तक कालीपुतली चौक पर इस व्यवस्था के तहत यातायात व्यवस्था सुचारु रूप से करवाई गई। वहीं हनुमान चौक में लगने के बाद एक बार भी इस व्यवस्था का उपयोग नहीं हो पाया। अब नगरपालिका प्रशासन द्वारा बजट का इंतजार किया जा रहा है बजट उपलब्ध होते ही ट्रैफिक सिग्नल का कार्य करवाया जाएगा।
शोपीस बने हुए सिग्नल
नगरपालिका से जुड़े जानकारों की माने तो 2017 में इन सिग्नलों का टेंडर इंदौर की इलेक्ट्रो एंड कंपनी को दिया गया था। लेकिन इनके लगने के बाद शहर की जनता को इसका लाभ मिल पाता, इसके पूर्व ही सिग्नल बंद पड़ गए। नगरपालिका को इसके मेंटेनेंस का जिम्मा था, लेकिन जिम्मेदारों ने इस कार्य को ठीक तरह से नहीं निभा पाए। परिणाम यह रहा है कि वर्तमान समय में ये सिग्नल महज शोपीस के तौर पर ही दिखाई दे रहे है। वहीं इसे दोबारा से सही तरीके से सुचारू रूप से संचालित किए जाने को लेकर भी ठोस प्रयास नहीं किए जा रहे हैं।
बिगड़ रही यातायात व्यवस्था
सिग्नलों के चालू नहीं होने का खामियाजा इन चौक चौराहों से गुजरने वालों को उठाना पड़ रहा है। वाहन चालक फर्राटे से वाहन दौड़ते हुए इन चौराहों को क्रास करते हैं। ऐसे में पैदल चलने वाले राहगीर और आस पास के दुकानदार वाहन निकलने की राह ताकते देखे जाते हैं। सिग्नल नहीं होने से खासकर स्कूली समय में इन चौराहों में काफी आवाजाही रहती है। ऐसे में पैदल स्कूल कॉलेज जाने वाले विद्यार्थियों को भी परेशानी उठानी पड़ती है। खासकर कालीपुतली चौक में जाम की स्थिति रहने से अवंतीबाई चौक और भटेरा रोड तक में जाम की स्थिति निर्मित होते देखी जा सकती है।
रास नहीं आ रही व्यवस्था
सिग्नलों को लेकर शहर के वाहन चालकों और एसोसिएशन के पदाधिकारियों के भी अपने मत है। जिनका कहना है कि हमारे शहर का क्षेत्रफल काफी छोटा है। वहीं हनुमान चौक और कालीपुतली चौराहे भी इतने बड़े नहीं है कि यहां सिग्नल का पालन करवाया जा सकें, बल्कि सिग्नलों के कारण अधिक जाम की स्थिति निर्मित होती है, वहीं वाहन चालक भी इनका पालन करना नहीं चाहते हैं। इस कारण प्रशासन की यह व्यवस्था इन चौराहों पर फेल साबित हो रही है। इस लिहाज से देखा जाए तो शासन के लाखों रुपए फिजूल खर्ची में नजर आते हैं।
सिग्नलों के लगने से खासकर फर्राटा भरने वाले वाहनों से कुछ हद तक राहत मिलती थी। वहीं स्कूली बच्चों और राहगीरों को भी चौराहे पार करने में दुर्घटना का खतरा नहीं रहता था। नपा को इनकी ओर ध्यान देना चाहिए।
मुन्ना उके, जागरूक युवा
इन चौराहों के क्षेत्रफल और ट्राफिक व्यवस्था के मान से यहां ट्राफिक सिग्नल को सही नहीं ठहराया जा सकता है। सिग्नलों के कारण यातायात व्यवस्था सुचारू होने के बजाए और बाधित है। इस लिहाज से यहां से सिग्नलों का हटा दिया जाना ही उचित कदम होंगे।
इकबाल एहमद कुरैशी, अधिवक्ता
नगर में लगे ट्रैफिक सिग्नल शुरू करवाने को लेकर डीपीआर एक माह पूर्व ही करवाया गया है यह विषय टीएल की बैठक में भी उठा था। वर्तमान में इसको लेकर नगरपालिका में बजट नहीं है बजट का इंतजार किया जा रहा है। बजट उपलब्ध होते ही ट्रैफिक सिग्नल शुरू करवाने के संबंध में कार्य करवाया जाएगा।
निशांत श्रीवास्तव सीएमओ नगरपालिका बालाघाट