बालाघाट। वर्षा ऋतु में प्रदूषित पेयजल से हैजा, उल्टी दस्त, पेचिस, खसरा, पीलिया जैसी बीमारियां होती है। वर्षा के मौसम में नदी, तालाब जैसे जल स्त्रोतों के आसपास ग्रामीणों के मल त्याग करने से मानव मल में मौजूद रोगाणु पानी में मिल जाते है साथ ही नदी तालाबों में पशुओं को नहलाने से भी अनेक रोगाणु पानी में फैल सकते है। जब यही पानी पीने के लिए या भोजन बनाने में प्रयोग में लाते है तो ये रोगाणु शरीर में प्रवेश कर के लोगों को कई प्रकार की बीमारियों से पीड़ित करते है। इन्हीं रोगाणुओं से मुख्य रूप से दस्त, हैजा, टाइफाइड, पीलिया, खूनी पेचिस, तथा आंव दस्त जैसी कई बीमारियां होती है। जिसके चलते ही मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डा मनोज पांडेय ने जिले की जनता से वर्षा ऋतु में जलजनित रोगों से बचाव के लिए आवश्यक सावधानियां बतरने व स्वच्छता का पालन करने की अपील की है।

शुद्ध जल का करें उपयोग

मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी ने इस संबंध में कहा है कि हमें हमेशा शुद्ध जल स्त्रोत का प्रयोग करना चाहिए। पानी को हमेशा दोहरे कपड़े से छानकर इस्तेमाल करने से कई प्रकार की बीमारियों से बचा जा सकता है। कुओं के पानी में नियमित ब्लीचिंग पाउडर डाला जाना चाहिए। पीने के पानी का रख रखाव इस प्रकार से हो कि पीने के पानी को हमेशा साफ बर्तन में ही रखा जाए, प्रतिदिन पानी के बर्तन को साफ करें ताकि उसमें काई न जमने पाए। पीने के पानी को हमेशा ढककर रखें। बर्तन में से पीने का पानी निकालने के लिए लंबे हैंडिल वाले बर्तन का प्रयोग करें। पीने के पानी में हाथ नहीं डालना चाहिए। एक घड़े या मटके में एक क्लोरिन गोली पीसकर डालना चाहिए। आधे घंटे तक इसे ढककर रखने के बाद ही पानी पीने के लिए उपयोग करना चाहिएए यह गोलियों प्रत्येक स्वास्थ्य कार्यकर्ता व ग्राम की आशा कार्यकर्ता के पास निश्शुल्क उपलब्ध है।

तत्काल करें बचाव का ये उपाय

मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी ने बताया कि दूषित पानी से होने वाली बीमारियों में दस्त रोग प्रमुख है। उल्टी दस्त होने पर ओआरएस पैकेट एक लीटर स्वच्छ व शुद्ध पानी में घोलकर रोगी को पिलाना शुरू कर देना चाहिए। दस्त लगने के 24 घंटे के अंदर यह घोल अधिक से अधिक मात्रा में पिलाना चाहिए व 24 घंटे के बाद बचा हुआ घोल फैक कर अगले दिन दूसरे पैकेट का घोल बनाना चाहिए। मां का दूध पीने वाले शिशु को दूध पिलाना बंद नहीं करना चाहिए। दस्त के साथ उल्टियां शुरू होने पर शीघ्र ही स्वास्थ्य कार्यकर्ता या चिकित्सक को बताकर उपचार लेना चाहिए। ओआरएस पैकेट सभी स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं, आंगनवाड़ी कार्यकर्ता व आशा कार्यकर्ताओं के पास निश्शुल्क उपलब्ध रहते है।