बालाघाट। घेऊन जा री नारबोद ....... जिले भर में धूमधाम से मनाया गया मारबत पर्व
उपनगरीय क्षेत्र बूढ़ी में युवाओं की टोली ने निकाली मारबत
बालाघाट। घेऊंन जा री नारबोद... के नारे के साथ लोगों ने बीमारियों को गांव की सीमा से बाहर करने मारबत का पुतला फूंका। पोला पर्व के दूसरे दिन जिले में मारबत पर्व खास परंपरा के साथ मनाया जाता है। महाराष्ट्र के विदर्भ से लगे बालाघाट जिले में यह त्योहार कई पीढ़ियों से लोग मना रहे हैं। इस दिन परंपरा अनुसार मारबत (पूतना) का पुतला बनाया जाता है जिसे गांव-बस्ती की सीमा से बाहर ले जाकर जलाने की परंपरा का लोगों ने निर्वाहन किया।
ऐसी मान्यता है कि इस पुतले को गांव से बाहर ले जाते समय लोग अपनी समस्याओं और बुराईयों के साथ बीमारियों को भी गांव की सीमा से बाहर खदेड़ते हैं।
बूढ़ी के युवाओं ने परंपरा अनुसार निकाली मारबत
हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी उपनगरीय क्षेत्र बूढ़ी के युवाओं ने मारबत के पुतले का नगर की सीमा से बाहर ले जाकर दहन किया। यह त्योहार जिले में मिनी होली के रुप में मनाया जाता है। वैसे तो इस दिन दान देने की भी खास परंपरा है, लेकिन यह महज उमंग और उत्साह का ही नहीं, बल्कि मस्ती और हुड़दंग का त्योहार भी है। इस दिन जहां लोग रिश्तेदारों के घर जाकर तरह-तरह से मेहमान नवाजी करते कराते हैं। वहीं दूसरी तरफ इस दिन जहां-तहां विवाद भी सबसे अधिक होते हैं जिसके चलते इसे मिनी होली भी कहा जाता है।
गांव की सीमा से बाहर ले जाकर किया जाता है मारबत का दहन
प्राचीन मान्यता है कि पोला पर्व के पश्चात् नारबोद इसलिए मनाया जाता है कि बारिश के मौसम में कई तरह की मौसमी बीमारियों व महामारियों का डेरा जम जाता है। जिन्हें नष्ट करने के लिए गांव-शहर से बाहर निकालने के लिए लोग एक पुतला बनाकर गांव के बाहर ले जाकर जला देते है। किंवदंती है कि इस दिन कृष्ण ने पूतना का विष स्तनपान किया था और पूतना के मर जाने से आसूरी शक्ति का दमन हो गया था। इसलिए इसे आसूरी शक्ति पर विजय के प्रतीक पर्व के रूप में मनाया जाता है। पूतना के पुतले को मारबत कहा जाता है। जिसे इस दिन गांव-बस्ती की सीमा से बाहर ले जाकर जलाया जाता है।
ग्रामीण क्षेत्रों में भी रहती है मारबत पर्व की धूम
इस परंपरा की कड़ी में मंगलवार को सीमावर्ती रजेगांव में भी युवाओं ने जिला ही नहीं राज्य की सीमा से बाहर ले जाकर मार्बत का पुतला जलाया। ज्ञात हो कि एस त्योहार के अवसर पर सुबह होते ही बच्चों एवं युवाओं द्वारा मार्बत को उनके क्षेत्र से बाहर ले जाने की परंपरा का निर्वहन किया जाता है और इसके लिए जोर जोर से आवाज भी लगाई जाती है। ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों द्वारा इसे अलग-अलग प्रकार से मनाया जाता है यह कहे कि ग्रामीण क्षेत्रों में भी मार्बत पर्व की बहुत धूम रहती है।
महंगाई रूपी मारबत को ले जाने का संदेश दिया - राजकुमार मरठे
इसके संबंध में बूढ़ी निवासी युवाओ ने बताया कि नारबोद पर्व वे लोग हर वर्ष धूमधाम से मनाते हैं। कल बच्चों द्वारा चंदा जमाकर सामान खरीदकर मारबत बनाया गया, सभी युवक सुबह 4:30 बजे एकत्रित होते हैं और सुबह 5:00 बजे मारबत का पुतला बनाकर निकालते हैं। वार्ड नंबर 11- 12 का भ्रमण करते हुए भटेरा चौकी तरफ ले जाते हैं और वहां मारबत का दहन किया जाता है।