कब रुकेगा.. जंगल के नालो से रेत का अवैध उत्खनन.. नाले हो रहे छलनी.
लालबर्रा।
इन दिनों वन विकास निगम परी क्षेत्र लालबर्रा का जंगल काफी सुर्खियों में नजर आ रहा है आए दिन लालबर्रा परी क्षेत्र में वन संपदा की तस्करी जैसे सागौन, इमारती लकड़ी या एवं रेत की चोरी के मामले अखबार की सुर्खियां बटोर रहे हैं, जंगल में अवैध सागौन सतकटा प्रजाति के वृक्षों की अवैध  कटाई चरम पर है पर इसे रोकने वाला कोई नहीं, सवाल यह है कि  क्या.. वन विभाग की बगैर अनुमति के रेत या वनसंपदा की चोरी होना  संभव है जो विचारणीय प्रश्न है। वन विकास निगम परीक्षेत्र लालबर्रा अंतर्गत आने वाले वन से लगे ग्राम कंजई, मौसमी भाण्डामुर्री मानुटोला, धारावासी, रानीकोठार, साल्हेबर्री, टेंगनीखुर्द, बगदेही सेल्वा, डोहरा, के जंगलों से प्रवावित होने वाले नालों को माफियाओं द्वारा छलनी किया जा रहा है। जंगल नालों में बड़े-बड़े गड्ढे देखे जा रहे हैं, मिली जानकारी के अनुसार सुबह से लेकर रात  तक जंगल नालो से रेत की चोरी होना आम सी बात हो गई है, वन विभाग के जिम्मेदार रेंजर डिप्टी रेंजर बिडगार्ड, चौकीदार सब के सब  लापरवाह हो चुके हैं, माफियाओं को खुला संरक्षण दे रहे हैं और जंगल मे प्रतिदिन गश्ती भी नहीं कर रहे हैं, जिसके कारण जंगल के नालो से रेत की चोरी चरम पर है, नालो में बड़े-बड़े गड्ढे दिखाई दे रहे हैं वन विभाग द्वारा  उसे रोकने का प्रयास भी नहीं किया जा रहा है विश्वसनीय सूत्र बताते हैं कि रेत माफियाओं द्वारा रेत की  चोरी करने वन विभाग को  बकायदा नजराना अदा कर रेत की खुलेआम चोरी कर ट्रैक्टरों से रेत का परिवहन किया जा रहा है और वन अधिकारी माफियाओं को खुला संरक्षण दे रखे है या यूं कहे की मौन स्वीकृति दे दी गई है। हजारों ट्रैक्टर जंगल से रेत निकाली जा चुकी हैद्य परंतु वन विभाग के द्वारा आज तक कभी कोई बड़ी कार्रवाई नहीं की गई लेनदेन करके ट्रैक्टरों को छोड़ दिया गया द्य वन विकास निगम के द्वारा ठोस कार्रवाई नहीं होने के चलते रेत माफियाओं के हौसले बुलंद है द्य वन विभाग के संरक्षण में वन संपदा का दोहन हो रहा है उच्च अधिकारी इस पर अंकुश लगाए।
मुरूमनाला के पास कक्ष क्रमांक 400,401 के नाले को खोखला कर रहे माफिया
मुरूमनाला  से लगा कक्ष  क्रमांक 400,401 से प्रवावित होने वाले नाले को रेत माफिया खोख़ला करने में लगे हुए हैं, चाहे  दिन का उजाला हो या रात का अंधेरा, जंगल  के नालो से रेत का उत्खनन रुकने  का नाम नहीं ले रहा है वन विभाग का कोई भी कर्मचारी या अधिकारी रेत के उत्खनन व परिवहन पर प्रतिबंध नहीं लगा पा रहा है जानकारी मिली है कि बीट गार्ड और चौकीदार के संरक्षण में रेत माफिया जंगलों को लूट रहे हैं और  मालामाल हो रहे हैं क्या..नाले से हो रही रेत चोरी की जानकारी वन विभाग को नहीं है. वन विभाग  जान के भी तो अनजान बना बैठा है विभाग के कर्मचारियों को पता है फिर भी अंकुश नहीं लगा पा रहे हैं जिससे यह कहना लाजिमी होगा कि चोर-चोर मौसेरे भाई की तर्ज पर वन विभाग के कर्मचारी अधिकारी और रेत माफिया आपसी सांठगांठ से रेत का काला कारोबार चला रहे हैं और  जिले में बैठे  ना तो जंगल पहुंच रहे हैं ना निरीक्षण कर रहे हैं जिससे यह साफ  हो जाता है कि निचले तबके से लेकर ऊपरी तबके तक अधिकारी अपनी जिम्मेदारी का निर्वहन नहीं कर पा रहे हैं जिससे वन संपदा बर्बाद हो रही है।
लालबर्रा परी क्षेत्र के जंगलों की हो जांच.. हो जाएगा दूध का दूध  और पानी का पानी..
वन विकास निगम के लालबर्रा परीक्षेत्र अंतर्गत रेत की चोरी, सागौन और इमारती लकडिय़ों  की अवैध कटाई का सिलसिला बदस्तूर जारी है और अपने पूरे शबाब पर है, प्रतिदिन अनगिनत ट्रैक्टर रेत भरकर जंगल की चोरी करते देखे जा सकते हैं लेकिन वन विभाग नदारद रहता है और क्यों ना रहे क्योंकि माफिया जो जेब गर्म कर देते हैं अगर लालबर्रा परी क्षेत्र सभी कंपार्टमेंट  की  उच्च स्तरीय विभागीय जांच हो जाए तो अवैध कटाई रेत की चोरी व ऐसे अनेकों वन अपराध उजागर हो सकते हैं द्य बीते दिनों समाचार पत्रों द्वारा सालेबर्री गांव के निकट कक्ष क्रमांक 397 एवं 390  एवं  भाण्डामुर्री कालीमाटी के करीब  कक्ष क्रमांक 399 में अवैध तरीके से मोटे सागौन की कटाई की गई थी और उसको परिवहन भी किया जा चुका था उक्त गंभीर मामलो पर लामता परियोजना मंडल बालाघाट की  संभागीय प्रबंधक प्रतिभा अहिरवार मौन है मीडिया द्वारा अनेकों वन अपराध से संबंधित विषय उनके संज्ञान में लाए जाते आ रहे  हैं, पर मैडम है कि कोई भी मामले को गंभीरता से नहीं लेती है,उनके उदासीन रवैया के चलते वन एवं पर्यावरण को नुकसान पहुंच रहा है, अवैध कटाई, रेत की चोरी चरम पर पहुंच चुकी है फिर भी कोई ठोस कार्यवाही नहीं की जा रही है, सिर्फ मामले पर लीपापोती कर पल्ला झाड़ दिया जाता है होता रहे जंगल बर्बाद।
इनका कहना है
आप मेरे व्हाट्सएप पर सभी मामले
लिखकर भेजें, मैं सभी मामले पर जल्द ही जांच करवाता हूं।
सत्येंद्र भूषण,  उपाध्यक्ष वन विकास निगम लिमिटेड भोपाल