बालाघाट। हर वर्ष की तरह इस वर्ष भी छठ पर्व पूरे आस्थाभाव के साथ मनाया गया। छठ पर्व को मानने वाले बड़ी संख्या में लोग नगर के वैनगंगा नदी में पहुंचे और पूरी पूजा पद्धति को संपन्न करते हुए डूबते सूर्य को अर्ध्य दिया। इस दौरान बड़ी संख्या में लोग मौजूद रहे। छठ पर्व को मानने वाले लोग पूरे परिवार के साथ डूबते सूर्य को अर्ध्य देने के लिए हर वर्ष पहुंचते हैं वही दूसरे दिन सुबह के समय उगते सूर्य को अर्ध्य देकर छठ पूजा को संपन्न किया जाता है। आपको बताये कि हर साल कार्तिक शुक्ल की षष्ठी को छठ पर्व मनाया जाता है। मुख्य रूप से इस पर्व को बिहार झारखंड और पूर्वी उत्तरप्रदेश में मनाया जाता है। इस पर्व में 36 घंटे निर्जला व्रत रख सूर्य देव और छठी मैया की पूजा की जाती है और उन्हें अर्ध्य दिया जाता है। मान्यता है छठ पूजा करने से हर मनोकामना पूर्ण होती है खासकर इस व्रत को संतानों के लिए रखा जाता है। परिवार की सुख समृद्धि और संतान की खुशहाली के लिए पूजा की जाती है। इसी प्रकार नगर के मोती गार्डन में भी महिलाओ द्वारा पूरे आस्था भाव के साथ छठ पर्व को मनाया गया।
यह बहुत बड़ा त्यौहार होता है - आशा तिवारी
छठ पर्व के संबंध में जानकारी देते हुए श्रीमती आशा तिवारी ने बताया कि छठ पूजा का बहुत बड़ा महत्व है इसमें 3 दिन का उपवास रहता है। पहले दिन हम लोग नहाये खाये करते हैं दूसरे दिन खरना होता है इसमें खीर का प्रसाद होता है और उसके बाद से निर्जला व्रत प्रारंभ होता है, इस पर्व में उगते सूर्य को और डूबते सूर्य को भी अर्ध्य दिया जाता है। बिहारी लोगों का यह बहुत बड़ा त्यौहार होता है परिवार की सुख समृद्धि, खुशहाली और बच्चों की संपन्नता की कामना के साथ इस पर्व को मनाया जाता है। अंतिम दिन उगते सूर्य को अर्घ्य देकर पारण होने के बाद जलपान ग्रहण किया जाता है।