बालाघाट। विधानसभा चुनाव आगामी महीनों में होने है जिसमे दावेदारी को लेकर तेजी से चर्चाएं जारी है। बालाघाट जिले की बात करे तो यहां कांग्रेस की स्थिति मजबूत है। वर्तमान में प्रदेश में भाजपा की सरकार है सरकार काबिज रखने उनके विधायक बने इसके लिए भाजपा पूरा दमखम लगा रही है वहीं कांग्रेस अपनी सरकार बनाने के लिए सभी सीटों पर कड़ी मेहनत कर रही है। जिले में 3 सीट पर कांग्रेस मजबूत स्थिति में है वही 3 सीट पर कड़ा मुकाबला होने की बात सूत्रों द्वारा कही जा रही है। जिन 3 सीटों को कांग्रेस के लिए मजबूत माना जा रहा है उनमें विधानसभा लांजी, बैहर एवं बालाघाट को माना जा रहा है। बालाघाट की सीट को मजबूत पूर्व नगरपालिका अध्यक्ष श्रीमती अनुभा मुंजारे के कांग्रेस में शामिल होने के बाद से माना जा रहा है। जिस दिन श्रीमती अनुभा मुंजारे ने कांग्रेस की सदस्यता ली उसी दिन से लोगों की जुबां पर यही आने लगा कि अब बालाघाट की सीट कांग्रेस के कब्जे में आ गई हैं। शायद प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ जी की दूरदृष्टि ही है उन्होंने लगातार हारने वाली सीट को जिताऊ सीट बनाने श्रीमती अनुभा मुंजारे को चुना है। लेकिन यह भी कुछ कांग्रेसियों को खटकने लगा है, इसके लिए सोशल मीडिया को माध्यम बनाकर भ्रामक जानकारी जनता के बीच परोसने का कार्य किया जा रहा है। जबकि जिले की जनता और जिले के राजनीतिक जानकार भलीभांति यह जानते हैं कि आयोग अध्यक्ष गौरीशंकर बिसेन या फिर उनके द्वारा खड़े किए गए उम्मीदवार को हराना बिल्कुल असंभव है इसको देखते हुए ही श्रीमती अनुभा मुंजारे को लाया गया है।
बालाघाट सीट पर कांग्रेस के पास दूसरा चेहरा भी नहीं
बालाघाट सीट के लिए यह चर्चा बड़ी तेजी से फैलाई जा रही है कि अभी कांग्रेस की लहर है कोई भी उम्मीदवार होगा वह कांग्रेस से जीत जाएगा। जबकि पूर्व चुनाव में भी कांग्रेस की लहर थी लेकिन बालाघाट सीट पर कांग्रेस की जमानत ही जप्त होते आई है। यह कहने में कोई हर्ज नहीं कि गौरी भाऊ को मुकाबला देने वाला बालाघाट में कोई सशक्त चेहरा ही नहीं है, चाहे निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में ही क्यों ना हो श्रीमती अनुभा मुंजारे ही भाजपा को टक्कर देते आई है। बालाघाट सीट के लिए कह सकते है कांग्रेस के पास श्रीमती मुंजारे के अलावा दूसरा कोई विकल्प भी नहीं है।
वारासिवनी, कटंगी और परसवाड़ा में रोचक होगा मुकाबला
वारासिवनी, कटंगी और परसवाड़ा इन 3 सीटों पर काफी कड़ा मुकाबला होगा। बात अगर परसवाड़ा की करें तो यहां मंत्री रामकिशोर कावरे भाजपा से मजबूत उम्मीदवार होंगे, वही कांग्रेस भी इस बार इस सीट को वापस अपने कब्जे में लाने के लिए एड़ी चोटी का जोर लगाएगी। यहां पूर्व विधायक मधु भगत और शेषराम राहंगडाले पूरी मजबूती के साथ चुनावी तैयारी कर रहे हैं, दोनों ही नेता क्षेत्र में जमे हुए हैं तथा पार्टी स्तर पर भी अपनी दावेदारी दमखम के साथ रख रहे हैं। वारासिवनी विधानसभा सीट में त्रिकोणीय मुकाबला भी देखा जा सकता है यदि खनिज निगम अध्यक्ष एवं वर्तमान विधायक प्रदीप जायसवाल को कांग्रेस या बीजेपी से टिकट नहीं दी गई तो। फिलहाल इनको उक्त दोनों ही प्रमुख राजनीतिक दलों की ओर से टिकट दिए जाने की बात भविष्य की गर्त में है, टिकट नहीं दिया जाना या पार्टी में शामिल नहीं किया जाना यह कहना भी पूरी तरह गलत होगा क्योंकि राजनीति में कुछ भी हो सकता है। गुड्डा भैया को अगर किनारा कर दे तो कांग्रेस के पास विवेक विक्की पटेल को मजबूत चेहरे के रूप में देखा जा रहा है क्योंकि इनके द्वारा पूर्व में पूरी दमदारी के साथ और मुखर होकर बयान दिए जाते रहे हैं। इनके अलावा लोमहर्ष बिसेन, गोकुल गौतम और रामकुमार नगपुरे का भी नाम आ रहा है। वही कटंगी विधानसभा क्षेत्र की बात करें तो यह सीट वर्तमान में कांग्रेस के पास ही है फिर भी इस सीट को टक्कर वाली ही बताया जा रहा है। इस सीट से किसे प्रत्याशी बनाया जा सकता है यह क्लियर नहीं है लेकिन यदि दावेदारी की बात करें तो सबसे प्रमुख नाम श्रीमती केसर बिसेन का ही आ रहा है। इनका नाम इसलिए भी आ रहा है क्योंकि यह पिछले कई वर्षों से लगातार जिला पंचायत सदस्य रही है तथा यह क्षेत्र का जाना माना चेहरा भी है। इन्हें वरिष्ठता के बावजूद भी जिला पंचायत अध्यक्ष की सीट से हटना पड़ा था, टिकट वितरण के दौरान कांग्रेस यह पक्ष भी जरूर देखेगी। इनके बाद जो नाम सामने आ रहे हैं उनमें जिला पंचायत अध्यक्ष सम्राट सिंह सरस्वार व प्रशांत भाऊ मेश्राम का भी नाम शामिल है।
टिकट वितरण से होगी स्थिति साफ
वारासिवनी, कटंगी एवं परसवाड़ा सीट में कांग्रेस विधानसभा चुनाव में किस स्थिति में रहेगी यह टिकट वितरण के साथ ही स्पष्ट हो जाएगा। पार्टी किस चेहरे पर भरोसा जताएगी यह तो वरिष्ठ नेतृत्व ही तय करेगा। वही पार्टी से जुड़े वरिष्ठ कांग्रेसियों की ओर से यही बात सामने आ रही है कि इन सीटों पर कांग्रेस को पूरा विश्लेषण करने के बाद ही निर्णय लिए जाने की आवश्यकता है, वरन जो कांग्रेस की लहर चलने की बातें फैलाई जा रही है वह कांग्रेस को ही भारी न पड़ जाए।