बालाघाट। निजीकरण की तरह ठेका पद्धति का भी सरकारी सिस्टम पर काफी असर पड़ा है। पहले शासकीय विभाग ही निर्माण कार्यों को पूरा किया करते थे लेकिन कुछ वर्षों से सारे निर्माण कार्य ठेका पद्धति से किए जा रहे हैं, जिसके कारण इसका कुछ विभागों पर बहुत विपरीत असर पड़ा है। ठेका पद्धति के कारण कुछ विभागों के पास कोई काम ही नहीं है जिसके कारण वह विभाग बंद होने की कगार पर आ गए हैं। हम बात कर रहे हैं विद्युत यांत्रिकी भारी मशीनरी जल संसाधन विभाग की, इस विभाग के पास पहले करोड़ों की मशीने हुआ करती थी जिसके जरिए निर्माण कार्यों को कराया जाता था लेकिन अब जिस प्रकार से सारे कार्य ठेका पद्धति से दिए जाते हैं उससे यहां की मशीनों का इस्तेमाल ही नहीं हो पा रहा है। ऐसे में विभागीय अमला पूरी तरह खाली हो गया है, लेकिन इस ओर शासन पूरी तरह मौन नजर आ रहा है। आपको बताये कि यह वही विभाग है जिसके पास पांच सैकड़ा की संख्या में विभागीय अमला हुआ करता था, यहां की मशीने इतने विशाल स्वरूप में होती थी जिसे लोग देखा करते थे लेकिन वह मशीने अब समय के साथ पूरी तरह डिस्पोज हो गई है।
स्पेयर पार्ट्स की रखवाली करने का काम करता है विभागीय अमला
पहले निर्माण कार्य हुआ करते थे तो उसमें विभागीय अमला लगता था लेकिन अब इस विभाग के पास कोई काम ही नहीं है ऐसे में वह अमला वर्कशॉप में रखे गए स्पेयर पार्ट्स की रखवाली करने का ही काम कर रहा है जो कि वर्तमान में यह स्पेयर पार्ट्स कबाड़ की स्थिति में आ चुके हैं। बताया जाता है कि 30 वर्ष पहले इस विभाग के पास बहुत काम होते थे लेकिन वह काम ठेका पद्धति आने के बाद इस विभाग से दूर हो गए। यहां जो स्क्रैपर ग्रेंडर सहित अन्य मशीने मौजूद रहती थी वह मशीने भेज दी गई। अब सिर्फ उन मशीनों में उपयोग आने वाले स्पेयर पार्ट्स ही शेष बचे हैं जो वर्तमान समय में कबाड़ में तब्दील हो चुके हैं। पुराने रेट और वर्तमान की तुलना करें तो इसे इस दृष्टि से ही देखा जाएगा। वर्कशॉप में रखे गए स्पेयर पार्ट्स की कीमत करीब 1 करोड रुपए आंकी जा रही है।
करीब 5 सैकड़ा था अमला
बताया जा रहा है कि विद्युत यांत्रिकी भारी मशीनरी विभाग में 25 वर्ष पहले करीब 5 सैकड़ा की संख्या में विभागीय अमला मौजूद था। धीरे-धीरे यह अमला घटते गया और वर्तमान में यहां सिर्फ 50 का ही अमला शेष रह गया है जिनमें कार्यपालन यंत्री, एसडीओ, दो उपयंत्री एवं विभागीय कर्मचारियों के अलावा हेल्पर वगैरह शामिल है। वर्तमान में विभाग के पास 7 कंपेक्सन मशीन बची है।
आधा दर्जन से अधिक बार निकाला जा चुका है नीलामी के लिए ओपन टेंडर
जिस प्रकार से यहां रखी गई सामग्री उपयोगहीन है उसको देखते हुए विभाग द्वारा पिछले तीन-चार वर्षो से ओपन टेंडर नीलामी के लिए निकलने की प्रक्रिया की जा रही है। अभी तक 7 से 8 बार ओपन टेंडर निकाला जा चुका है लेकिन रेट फिट नहीं बैठने के कारण टेंडर प्रक्रिया नहीं हो पा रही है।
साल में एक बार ही मिला कम
यह भी जानकारी सामने आई है कि इस विभाग को बहुत कम काम मिल पाते हैं यह कहे कि साल में एक बार ही काम मिल पाता है। इस सत्र में उकवा समनापुर में रानी जलाशय का काम मिला है जो की चल रहा है। अधिकारियों का कहना है कि सिविल संरचना की मांग के अनुसार इस विभाग को काम मिलते हैं, माइनर टैंक लघु जलाशयो में मिट्टी डालने के काम किसी विभाग द्वारा किए जाते हैं।
काम नहीं रहा तो बंद हो सकता है विभाग - ठाकुर
इसके संबंध में चर्चा करने पर विद्युत यांत्रिकी भारी मशीनरी जल संसाधन विभाग संभाग बालाघाट के कार्यपालन मंत्री एस एस ठाकुर ने बताया कि अभी मशीन लघु जलाशयो के कार्य के लिए है। इस संभाग में पांच सब डिवीजन है उनमें सिवनी छिंदवाड़ा जबलपुर डिंडोरी एवं बालाघाट शामिल है। इस विभाग के पास पहले बहुत मशीने हुआ करती थी वह सब राइटअप हो गई है, उसका स्टोर है बालाघाट सर्कल में उसमें पुराना स्पेयर पार्ट्स रखा हुआ है। यह भवन काफी पुराना हो चुका है उसके मेंटेनेंस की जरूरत है यदि विभाग के पास काम नहीं रहेगा तो यह बंद भी हो सकता है, इस विभाग में पहले जैसे काम नहीं चल रहे हैं।