बालाघाट। राशि आई लेकिन नही हुआ रंगरोगन
ट्राइबल विभाग के हॉस्टल के लिए हर वर्ष आती है राशि, अधिकारी मौन
बालाघाट। सरकार द्वारा आदिवासी विकास विभाग के कार्यों के लिए राशि दिए जाने में किसी प्रकार की कोताही नहीं की जाती है लेकिन इन क्षेत्रों में कार्यों के लिए जो राशि आती है उस राशि का उन कार्यों के लिए उपयोग न होकर राशि का बंदरबांट कर दिए जाने के मामले समय-समय पर सामने आते रहते हैं। ऐसी ही कुछ जानकारी रंगरोगन कार्य के लिए आने वाली राशि की बताई जा रही है सरकार द्वारा ट्राइबल विभाग के छात्रावासों के लिए रंगरोगन कार्य कराने कुछ माह पूर्व राशि जारी की गई थी उस राशि का छात्रावास प्रमुखों द्वारा उपयोग ही नहीं किया गया। जो जानकारी सामने आई है उसके अनुसार दिसंबर जनवरी माह में रंगरोगन कार्य के लिए राशि आई थी यह राशि किसी हॉस्टल को 50,000 तो किसी हॉस्टल को 30,000 मिली थी इस राशि से छात्रावास में रंगरोगन कार्य कराया जाना था। लेकिन छात्रावास अधीक्षक द्वारा यह कार्य न कराते हुए उस राशि को अन्य कार्य में उपयोग में ले लिया गया या यह कह सकते हैं कि उस राशि को चपत करने का कार्य किया गया।
कलेक्टर ने इस राशि के संबंध में ली थी जानकारी
बताया जा रहा है कि रंगरोगन कार्य के लिए जो राशि ट्राईवल विभाग के छात्रावासों के लिए जो भेजी गई थी उस राशि का उपयोग छात्रावास द्वारा किया गया या नहीं इसके संबंध में पूर्व में कलेक्टर द्वारा जानकारी ली गई थी तथा अधिकारियों को यह निर्देश भी दिए गए थे हॉस्टल अधीक्षको को इसके निर्देश देकर रंगरोगन कार्य करवाये जाये। इसके बावजूद भी कई छात्रावासों में रंगरोगन कार्य न कराया जाना घोर लापरवाही को दर्शाता है। वरिष्ठ अधिकारी के निर्देश होने पर भी विभागीय अधिकारी मौन बने हुये है।
मंडल संयोजक को जांच करने की दी गई थी जिम्मेदारी
वरिष्ठ अधिकारी द्वारा इसका संज्ञान लिए जाने पर ट्राइबल विभाग के वरिष्ठ अधिकारी द्वारा रंगरोगन कार्य हॉस्टल में हुआ है या नहीं इसकी जांच करने के लिए मंडल संयोजक को निर्देश दिया गया था, इसके बावजूद भी बहुतायत छात्रावासों में रंगरोगन कार्य कराया जाना अभी भी बाकी है। यदि विभागीय अधिकारी इस पर ध्यान नहीं देंगे तो यह राशि उपयोग में नहीं लाई जाएगी और हॉस्टल अधीक्षक रंगरोगन कार्य हो जाना बताकर उसे अपने इस्तेमाल में ला लिया जाएगा। इसमें गौर करने वाली बात यह है कि दूर अंचल के हॉस्टल में इस राशि का उपयोग होना या नहीं होना यह माना जा सकता है लेकिन जिला मुख्यालय में ट्राइबल विभाग के जो हॉस्टल है उनमें इस राशि का उपयोग किया गया है या नहीं इसका आकलन तो विभागीय अधिकारियों द्वारा किया जा सकता था लेकिन अधिकारियों द्वारा इस पर ध्यान नहीं दिया गया।
रंगरोगन कार्य की जांच करने विभागीय सीओ को लगाया गया - उपयंत्री सिन्हा
इसके संबंध में चर्चा करने पर आदिवासी कल्याण विभाग के उपयंत्री श्री सिन्हा ने बताया कि छात्रावास के लिए हर वर्ष राशि जारी होती है हॉस्टलों के खातों में राशि सीधे जाती है। छात्रावासों में रंगरोगन कार्य के लिए यह राशि नवंबर माह में आई थी, किसी छात्रावास को 50000 तो कहीं 30000 रुपये आती है रंगरोगन कार्य कराया गया या नहीं इसकी जांच करने विभागीय सीओ को लगाया गया था। जिले में तीन मंडल संयोजक है जिन्हें जांच करने का अधिकार रहता है उन तीनों विभागीय सीओ नोटिस जारी हुआ था छात्रावास में जाकर जांच करें। जिले में ऐसे 114 छात्रावास है जो ट्रायवल के अंतर्गत आते है। पूर्व में जो जानकारी मिली थी उसके अनुसार कुछ छात्रावासों में रंगरोगन कार्य कराया गया तथा कुछ में नहीं कराया गया, जिसकी जांच करने के लिए निर्देश दिए गए हैं।