कटंगी। अंतिम संस्कार के लिए नहीं मिल रही लकड़ी
कटंगी। हिन्दू समाज में सदियों से चली आ रही परंपराओं के अनुसार गरीब हो, चाहे अमीर हो बहुतायत संख्या में सभी के शव को दहन कर अंतिम संस्कार कराने की परंपरा रही है. यह परंपरा आज भी जारी है लेकिन अब लकड़ी की किल्लत के चलते शवदाह के लिए लकड़ी भी मयस्सर नहीं हो पा रही है. शुक्रवार को जब कटंगी शहर के वार्ड क्रमांक 02 में एक शख्स की मौत हो गई और उसके अंतिम संस्कार के लिए लकड़ी की आवश्यकता पड़ी तो परिवार को यहां-वहां भटकते देखा गया। दरअसल, अब तक वन विभाग के डिपो में लकड़ी मिल जाया करती थी परंतु वहां भी बीते 2 माह से लकड़ी नहीं है। जिसके चलते परिजनों के द्वारा वार्ड में घर-घर जाकर लकडिय़ां एकत्रित की गई जिसके बाद शव का अंतिम संस्कार यानी की दहन किया गया। वर्तमान में लकडिय़ों की कमी और बदलते समय के साथ कटंगी में विद्युत शवदाह गृह की जरूरत दिखाई दे रही है वहीं लोगों का कहना है कि वन विभाग को अंतिम संस्कार के लिए लकड़ी के बंदोबस्त कराना चाहिए।
वन विभाग के डिपो में नहीं मिल रही लकड़ी
वैसे तो कटंगी में मोक्षधाम के पास ही वन विभाग का डिपो है जहां पर मृतक के परिजनों को आसानी से अंतिम संस्कार के लिए लकड़ी मिल जाया करती थी किन्तु बीते कुछ सालों से लगातार लकड़ी की किल्लत समझ आ रही है। कटंगी में मौत के बाद दो गज की जमीन तो अब भी मिल रही है परंतु लकडियां नसीब हो पाना अब मुश्किल होते जा रहा है। चिता जलाने के लिए मरने वाले के परिजनों को लकड़ी तलाशने के लिए जतन करना पड़ रहा है। सर्वाधिक दिक्कत गरीब वर्ग के साथ हो जाती है। वह आरा मिल से मंहगे दामों में लकड़ी तक नहीं खरीद पाते है। लकडिय़ों के अलावा पालतु मवेशी गाय, बैल, भैंस का पालन भी कम हो चला है जिस कारण गोबर के उपले भी नहीं मिल पाते है। फिलहाल तो किसी के निधन पर कफन की व्यवस्था तो आसानी से हो रही है लेकिन लकडिय़ों की जुगाड़ करना कठिन हो गया है। वर्तमान में कटंगी वासियों की हालात इस कदर खराब हैं कि परिवार में किसी सदस्य के मृत्यु होने पर परिजन को एक तरफ उनके खोने का गम हो सताता है ही दूसरी तरफ उससे कहीं ज्यादा गम उन्हें लकडिय़ों की व्यवस्था करने का हो जाता है।
विद्युत शवदाह गृह बनी जरूरत
फिलहाल तो कटंगी में लकडिय़ों की किल्लत का निराकरण किया जा सकता है। वन विभाग इस ओर ध्यान देकर अभी के लिए लकडिय़ों की व्यवस्था करवा भी दे लेकिन भविष्य की चुनौतियों को ध्यान में रखते हुए कटंगी में विद्युत शवदाह गृह बनाने की जरूरत समझ में आ रही है। इस तरह नगर परिषद और जनप्रतिनिधियों को अभी से ध्यान देने की जरूरत है अन्यथा भविष्य में लकडिय़ों के अभाव में शमशाम में लाश जलने का इंतजार करती रहेगी और परिवार यहां-वहां भटककर लकड़ी का इंतजाम करते दिखेगें।
इनका कहना है
वार्ड में एक शख्स की मौत हो गई थी अंतिम संस्कार के लिए लकड़ी की जरूरत थी लेकिन वन विभाग के डिपो में लकडिय़ां नहीं थी वन विभाग को इस तरफ ध्यान देने की जरूरत है।
योगराज ठाकरे
मेरे भतीजे की मौत हो गई थी डिपो पहुंचा तो लकड़ी नहीं मिली जिसके बाद वार्ड में घर-घर जाकर लकड़ी एकत्रित की और अंतिम दाह संस्कार हो पाया।
मेहतरलाल मृतक के चाचा