कोषालय के सॉफ्टवेयर में सेंध लगाकर पत्नी भाई और दोस्तों के खातों में भेजी गई थी रकम

बालाघाट। जिले में लंबे समय से फर्जीवाड़े की जानकारी लगातार सामने आते रही है लेकिन वह उजागर नहीं हो पा रहा है। हाल ही में शिक्षा विभाग से जुड़ा एक बड़ा फर्जीवाड़ा सामने आया है जिसमें हुई जांच में बड़ा भ्रष्टाचार निकला। यह फर्जीवाड़ा विकासखंड शिक्षा अधिकारी कार्यालय बालाघाट में किया गया है जो कोषालय के सॉफ्टवेयर में सेंध लगाकर किया गया, जिसमें एक करोड़ 25 लाख का गबन किया जाना जांच में बताया जा रहा है यह गबन की गई राशि पत्नी भाई और दोस्तों के खातों में भेजी गई है। यह फर्जीवाड़ा बालाघाट विकासखंड शिक्षा अधिकारी की आईडी से की गई है, जीवित और मृत कर्मचारियों के नाम की राशि को कोषालय के सॉफ्टवेयर में सेंधमारी कर अपने नाम करने वाले मास्टरमाइंड का खुलासा भी हो गया है। बताया जा रहा है कि फर्जीवाड़ा करने वाले व्यक्ति द्वारा 130 बार ट्रांजैक्शन कर राशि अपने खाते में ट्रांसफर कर ली गई, यहां तक की पत्नी भाई और दोस्तों के खातों में भी लाखों रुपए भेजे गए। आपको बताएं कि यह फर्जीवाड़ा पिछले कुछ वर्षों से चल रहा था लेकिन बिल्कुल सामने नहीं आ रहा था। हल्की सी भनक पड़ने पर कोश एवं लेखा शाखा जबलपुर की टीम द्वारा इस मामले को जांच में लिया गया और पिछले दिनों करीब डेढ़ माह तक बालाघाट जिले के विकासखंड शिक्षा अधिकारी कार्यालय में इसकी जांच चलती रही। कोषालय के एकीकृत वित्तीय प्रबंधन प्रणाली में सेंधमारी का यह मामला जैसे ही सामने आया शिक्षा विभाग में इसकी खासी चर्चा रही। लोगों की नजरे टिक गई कि आखिर इस मामले में अब शासन प्रशासन द्वारा क्या कार्यवाही की जाती है।
5 साल से चल रहा था यह फर्जीवाड़ा
विकासखंड शिक्षा अधिकारी कार्यालय बालाघाट में यह फर्जीवाड़ा कुछ महीनो से नहीं बल्कि पिछले 5 साल से चल रहा था। इस पूरे खेल का मास्टरमाइंड विकास खंड शिक्षा अधिकारी बालाघाट और एक लिपिक को बताया जा रहा है। जो जानकारी सामने आ रही है उसके अनुसार इनके द्वारा दो से तीन विकासखंड शिक्षा अधिकारियों की आईडी पासवर्ड का उपयोग किया गया, अधिकारियों ने भरोसे में लिपिक दुर्गेश को अपने नाम की आईडी दी थी जो कि विकासखंड कार्यालय में अकाउंटेंट का कार्य करता था। जांच में पता चला है कि लिपिक ने अपने भाई के खाते में 52 लाख रुपए भेजे, पत्नी के खाते के अलावा निकटतम मित्रों के खातों में अलग-अलग समय पर लाखों रुपए ट्रांसफर किये।
जांच शुरू होने पर खातों में वापस की राशि
बताया जा रहा है कि जैसे ही इस मामले की जांच शुरू हुई तो डर के मारे आरोपी द्वारा खातों में राशि वापस भेजना शुरू कर दिया गया। जांच पूरी होने से पहले ही 90 लाख रुपए खातों में वापस कर दिए जाने की जानकारी सामने आई है। बताया जा रहा है कि यह भी जांच में सामने आया है इनके द्वारा फर्जी बिल लगाकर राशि निकालना, मृत कर्मचारियों की जीपीएफ या अन्य भुगतान के बिलों में हेराफेरी कर राशि अपने खाते में कर लेना। यही नहीं इनके द्वारा 21 सेवानिवृत कर्मचारियों के फर्जी क्लेम तैयार किए गए, पकड़े न जाए इसलिए कैश बुक और बिल ही तैयार नहीं किया गया। जो कर्मचारी काम ही नहीं करते थे उनके नाम पर बिल भुगतान कर लिया गया, एरियर्स की राशि मृत कर्मचारियों की पत्नी के खाते की जगह अपना खाता डालकर राशि निकालने जैसा कृत्य किया जाना सामने आया है।
जांच कमेटी ने शासन को भेज दी रिपोर्ट
वरिष्ठ अधिकारियों से मिली जानकारी के अनुसार इस मामले की जांच पूरी हो चुकी है और जांच होने के पश्चात संयुक्त संचालक कोश एवं लेखा कार्यालय की जांच कमेटी द्वारा तैयार की गई रिपोर्ट शासन को भेज दी गई है। इस मामले में जो भी लोग संलिप्त पाए जाएंगे या कार्यवाही के दायरे में आ रहे हैं उन सभी के खिलाफ बालाघाट कलेक्टर कार्यालय के स्तर से एफआईआर जैसी कार्रवाई होने के आसार बताए जा रहे है। अभी तक जो नाम सामने आए हैं उनमें उक्त दो नामो के अलावा पूर्व जिला शिक्षा अधिकारी, डीईओ कार्यालय एवं बीईओ कार्यालय में अकाउंट का कार्य देखने वाले बाबू व कुछ तत्कालीन प्राचार्य भी संलिप्त होने की बात कहीं जा रही है।
आगामी दिनों में किये जाएंगे नाम उजागर
जो जानकारी सामने आ रही है उसके अनुसार इस मामले में एक दर्जन से अधिक लोग कार्रवाई के दायरे में आने की बात कही जा रही है। अभी तक करीब आधा दर्जन नाम इस फर्जीवाड़े से जुड़े मामले से संबंधित सामने आ चुके हैं, आने वाले दिनों में इस फर्जीवाड़े में संलिप्त रहे सभी के नाम उजागर किए जाएंगे।
अपराध दर्ज किए जाने की कार्यवाही प्रस्तावित है - परस्ते
इस मामले के संबंध में चर्चा करने पर कोश एवं लेखा कार्यालय जबलपुर के जांच अधिकारी श्री परस्ते ने बताया कि इस मामले की रिपोर्टिंग पूरी हो गई है इसकी फाइल भोपाल और कलेक्टर बालाघाट को चली गई है। अभी जो बालाघाट में चुनाव से संबंधित कोई मामला चल रहा है हो सकता है उसके कारण देरी हो रही हो। जहां तक कार्यवाही से संबंधित नामो की बात है तो इसकी लंबी लिस्ट है इसमें कुछ प्रत्यक्ष एवं अप्रत्यक्ष नाम भी है, एक करोड़ 25 लाख रुपए का गबन है। गबन की गई राशि जमा तो कर दी गई लेकिन आपराधिक कृत्य तो हो चुका है इसी बेस पर पूरी रिपोर्टिंग हुई है। इस मामले में अपराध दर्ज किए जाने की कार्यवाही प्रस्तावित है जो गड़बड़ी हुई उस पर कार्यवाही तो होना ही है।