रामपायली। नगर में सरकारी बांस बल्ली डिपो मौजूद है जिस पर लगभग आधा दर्जन ग्राम पंचायत के हजारों नागरिक आश्रित है लेकिन यहां बेचने के लिए बांस बल्ली लकड़ी विगत लंबे समय से मौजूद नहीं होने के कारण लोग अंतिम संस्कार के लिए भी लकड़ी के लिए भटक रहे हैं। ज्ञात हो कि रामपायली ग्राम पंचायत में सरकारी तौर पर बांस बल्ली लकड़ी की सरकारी दुकान जहां सरकारी दर पर लकड़ी बांस बल्ली आम उपभोक्ताओं को प्राप्त होती है किंतु विगत लंबे समय से लकड़ी का यहां अकाल सा हो गया है। परेशानी इस बात की बढ़ गई है कि नगर एवं आसपास की पंचायतों में किसी के अंतिम संस्कार के लिए लकड़ी की आवश्यकता है तो यहां लकड़ी मौजूद नहीं होने पर दुखी परिवार और दुख में चला जाता है यह नगर का दुर्भाग्य है। इसे जनप्रतिनिधि अथवा अधिकारियों की घोर लापरवाही कहेंगे जिनका इस पर ध्यानाकर्षण न होना शर्मसार मालूम पड़ता है, इस सरकारी लकड़ी दुकान में 1 या 2 कर्मचारी अधिकारी तैनात है जो हाथी दांत साबित हो रहे हैं क्योंकि यहां बेचने के लिए सामान ही लंबे समय से नदारद है और उच्च अधिकारी की उदासीनता अपने चरम पर आने का आक्रोश नगर में अब उग्र आंदोलन के लिए बढ़ता जा रहा है। इस दिशा में जनपद पंचायत वारासिवनी के सदस्य जगदीश बंसोंड ने बताया कि विगत 15 दिनों से लगातार संबंधित विभाग के उच्च अधिकारियों के संपर्क में मौखिक रूप से निवेदन कर रहे हैं कि रामपायली डिपो में बांस बल्ली और लकड़ी की आपूर्ति की जाए, जिससे गैस की बढ़ती तादाद से निजात पाते हुए लकड़ी पर आश्रित लोग अपने घर का दो टाइम का चूल्हा जला सके और जिन घरों में अचानक गमी का माहौल हो जाता है उनके लिए दाह संस्कार के लिए लकड़ी की महती आवश्यकता रहती है इसकी पूर्ति के लिए भी यहां लकड़ी का मौजूद न होना उच्च अधिकारियों की घोर लापरवाही को उजागर करता है। अनेक बार मौखिक लिखित शिकायत देने के बावजूद भी प्रशासनिक तौर पर किसी प्रकार की कार्रवाई का न होना शासन प्रशासन की घोर उदासीनता को उजागर करता है। शासन आम जनता के लिए बड़े बड़े दावे साबित करने में लगी है वही नगर की ऐतिहासिक श्री रामनगरी में विगत लंबे समय से लकड़ी का न होना और उस पर अंतिम संस्कार के लिए भी लकड़ी का न मिलना शासन प्रशासन की घोर लापरवाही को उजागर करता है। केवल झूठे सब्जबाग दिखाकर शासन प्रशासन चलाया जा रहा है इसकी हकीकत ग्रामों में पहुंचकर देखी जा सकती है। वरिष्ठ कांग्रेस नेता नंदलाल परिहार ने बताया कि राम पायली जिले की सबसे बड़ी पंचायत में शुमार है और इस पंचायत में जनहित सुविधाओं का हमेशा अभाव दिखाई देता है। शासन प्रशासन केवल अपनी डफली अपना राग अलापते रहती है जबकि हकीकत ग्रामीण अंचल से मिल सकती है जहां मूलभूत सुविधाओं का नितांत अभाव सदैव बना रहता है। रामपायली भगवान श्रीराम की नगरी है जहां हजारों लोग अंतिम संस्कार के बाद के कार्यक्रमों के लिए आते हैं जिन्हें लकड़ी की आवश्यकता होती है, इसके अलावा आए दिन समाज में अंतिम संस्कार का अवसर आ जाता है जिसके लिए लकड़ी की आवश्यकता अधिक हो जाती है लेकिन रामपायली सरकारी लकड़ी डिपो में विगत लंबे समय से लकड़ी का न होना शासन प्रशासन की घोर लापरवाही को उजागर करती है। रामपायली डिपो में कम से कम 100 चट्टे लकड़ी हमेशा रहना चाहिए जिसकी बिक्री लगातार होती रहती है, लेकिन यहां 10 या 20 चट्टे लकड़ी भिजवाकर प्रशासन खानापूर्ति कर लेता है और यह दस बीस चट्ठे समय रहते बिक्री हो जाने के बाद लकड़ी डिपो खाली हो जाता है और आम उपभोक्ता परेशान होता रहता है इस दिशा में शासन प्रशासन का रवैया जनहित में न होकर केवल वाहवाही लूटने में दिखाई देता है। डिपो में अविलंब लकड़ी नहीं आई तो नगर कांग्रेस आंदोलन के लिए बाध्य हो सकता है जिसकी जवाबदारी शासन प्रशासन की होगी।