बालाघाट। स्थानीय प्रशासन की अज्ञानता के कारण चौराहा में नहीं है सूचक मार्ग बोर्ड
बालाघाट। विकास की चर्चा जब-जब भी होती है तो लांजी के विकास की चर्चा अवश्य होती है जिसके तहत कहा जाता है कि लांजी के विकास को सांप सुघ गया है लोगों का मानना है कि लांजी के सुभाष चौक में चौराहा है लेकिन यह विभाग द्वारा किसी प्रकार के बोर्ड नहीं लगाए गए हैं यहां बताना यह मुनासिब होगा कि उक्त सुभाष चौक से दुर्ग, आमगांव, बालाघाट,साले टेकरी मार्ग है लेकिन बाहर से आए हुए लोगों को यह जानकारी नहीं रहती है कि कौन सा मार्ग कहां जाता है लोग इससे उससे पूछते नजर आते हैं यह एक भारी विडंबना है।
लांजी में सभी दलों का दबदबा है लेकिन विकास के नाम पर लांजी की ओर किसी का ध्यान आकर्षित नहीं है ऐसी स्थिति में लांजी विकास से कोसों दूर नजर आ रहा है यहां बकरामुंडी में प्रदेश का सबसे बड़ा बास डिपो है लेकिन यहां कागज के कारखाना खुलवाने की पहल किसी के द्वारा नहीं की जा रही है जबकि यहां का बास बाहर जा रहा है जहां विकास तीव्र गति से हो रहा है लेकिन लांजी ही प्राकृतिक आपदा से परिपूर्ण है फिर भी विकास से अछूता है वहीं दूसरी ओर लांजी में काम नहीं होने के कारण यहां के स्थानीय लोग लांजी से पलायन कर रहे हैं यहां किसी प्रकार के लघु उद्योग नहीं होने के कारण बेरोजगारी भी लगातार बढ़ते जा रही है कहने का आशय यह है कि चौराहा में बोर्ड नहीं लग सकता तो विकास के बात करना नादानी होगी लांजी ऐतिहासिक दृष्टि से भी अपनी पहचान बने हुए हैं लेकिन ऐतिहासिक धरोहर भी उचित रखरखाव के अभाव धाराशाही हो रही है लांजी का किला भी अपनी दुर्दशा पर आंसू बहा रहा है ऐसी स्थिति में लांजी के विकास का बुरा हाल है अपने-अपने निजी स्वार्थ के फायदे लेने में ही जवाबदार लोग मशगूल है जन चर्चा यह है कि स्थानीय प्रशासन को सुभाष चौक बस स्टैंड में चार मार्गों का समावेश है वहां स्थानीय प्रशासन द्वारा सूचक बोर्ड ना लगाना प्रशासन की कार्य शैली पर एक प्रश्न चिन्ह है ऐसी स्थिति में लांजी का स्थानीय प्रशासन अपने अधिकारों एवं कर्तव्यों के प्रति कितना सजक है सहज अंदाजा लगाया जा सकता है तथा प्रशासन की जवाब देही पर भी सवालिया निशान है कहीं ना कहीं प्रशासन की कार्य प्रणाली की जांच होना निहायत आवश्यक है वहीं दूसरी ओर नगर परिषद लांजी का भी ध्यान इस ओर ना होना काफी शंका कुसंकाओं को जन्म देता है तथा उनकी कार्य शैली पर प्रश्न चिन्ह उठ रहे व्यवस्था में तत्काल सुधार कर जनहित में प्रशासन कार्य करें ताकि लोगों को असुविधा का सामना ना करना पड़े।