बालाघाट। छिप गया मिल का पत्थर
बालाघाट। किसी भी शहर में उसका एक बिंदु होता है जिसे मील का पत्थर कहा जाता है। यह वही स्थान होता है जहां से सभी मार्गों की दूरी तय होती है। बालाघाट नगर मुख्यालय में भी यह मील का पत्थर स्थित है लेकिन इसकी जानकारी बहुयायत लोगों को नहीं है, न हीं यह मील का पत्थर नजर आता है इसके पीछे कारण यह है कि यह मील का पत्थर लगभग छिप सा गया है। बालाघाट नगर मुख्यालय में यह मील का पत्थर कालीपुतली चौक के समीप जिला सहकारी केंद्रीय बैंक के गेट के समीप है यह कहे कि बिल्कुल अहिंसा द्वार के पास में है। यह ऐसा स्थान है इसकी जानकारी अधिक से अधिक लोगों को होनी चाहिए तथा यह स्थान भी लोगों के आकर्षण का केंद्र के रूप में हो इसके लिए वहां यह लिखा जाना चाहिए यह मील का पत्थर वाला स्थान है। यह न करते हुए उसके आसपास यातायात विभाग के ट्राफिक पॉइंट वाले अवरोधक रख दिए गए हैं जिससे यह मील का पत्थर बिल्कुल छिप सा गया है।
प्रमुख चौराहों पर लिखा होना चाहिए मार्गो के नाम
बालाघाट शहर विकास की ओर बढ़ तो रहा है लेकिन अभी भी कई दृष्टि से अन्य शहरों से पीछे हैं। बालाघाट नगर में बाहर से बहुतायत लोग आते हैं जो बालाघाट नगर से पूरी तरह अनजान होते हैं उन्हें सिर्फ एरिया मोहल्ले का नाम पता होता है, ऐसे में वे पूरी तरह सोच में पड़ जाते हैं कि आखिर वे अपने गंतव्य स्थल तक कैसे पहुंचे। बालाघाट नगर के किसी भी चौराह में मार्ग का नाम या उस चौराहा से जो रास्ता जा रहा है वह किधर जा रहा है उसका नाम लिखा हुआ नहीं है जिसके कारण लोगों को अपने वाहन रोककर पूछना पड़ता है। कई बार रात्रि के समय इसके लिए काफी दिक्कत भी होती है जबकि बड़े शहरों में हर चौराहो में लिखा होता है कि जो रास्ता दिखाई दे रहा है वह कहां जाएगा।
रात्रि के समय परेशान होते रहे राहगीर
अपने निर्धारित स्थान पहुंचने को लेकर परेशान होने की बात सिर्फ अभी की नहीं है बल्कि यह स्थिति राहगीरों के सामने आती ही रहती है। मंगलवार की रात्रि में एक चौपहिया वाहन चालक को अपना निर्धारित स्थान जहां वैवाहिक कार्यक्रम चल रहा था वहां तक पहुंचने के लिए शहर में इधर से उधर भटकना पड़ा। उन लोगों में भी यही सवाल था की यहां कहीं भी यह लिखा नहीं है कि रास्ता किधर जाता है जिसके कारण उन्हें परेशान होना पड़ा है।
प्रशासन ने देना होगा ध्यान
आपको बताये कि बालाघाट में महाराष्ट्र छत्तीसगढ़ सहित अन्य राज्यों से भी लोग पहुंचते रहते हैं। कई लोग ऐसे होते हैं जो किसी को रास्ता पूछने से संकोच करते हैं ऐसे में चौराहों में बोर्ड पर लिखे हुए नाम ही उनके लिए काफी मददगार साबित हो सकते हैं। नगर में यह जिम्मा नगरपालिका का है या लोकनिर्माण विभाग का प्रशासन द्वारा इस पर ध्यान दिए जाने की आवश्यकता है।