बालाघाट। त्यौहार मनाने लौट रहे मजदूर
बालाघाट। शासन द्वारा विभिन्न जनकल्याणकारी योजनाएं ग्रामीण क्षेत्रों में निवासरत लोगों के लिए शुरू की गई है ताकि ग्रामीणों को उनके गांव में ही रोजगार उपलब्ध हो और उन्हें बाहर पलायन करने की आवश्यकता न पड़े। इसके बावजूद भी जिले से पलायन रुकने का नाम नहीं ले रहा है, चाहे कोई भी मौसम हो जिले के ग्रामीण अंचलों से लोग बड़ी संख्या में बड़े शहरों की ओर रोजगार की तलाश में पलायन करते हैं यह सिलसिला बदस्तूर जारी है। यह इसलिये कहां जा रहा है क्योंकि अभी होली का त्योहार आ रहा है और जो लोग पलायन करते हैं वो त्योहारों के समय में अपने ग्रह ग्राम की ओर वापस त्यौहार मनाने लौटते हैं। पिछले दो-तीन दिनों से रेलवे स्टेशन और बसस्टैंड में बाहर से आने वाले ग्रामीणों की काफी भीड़ देखी जा रही है अपने सामान लेकर वापस लौटते मजदूर सुबह से लेकर रात्रि तक बसस्टैंड और रेलवे स्टेशन में लगातार देखे जा रहे हैं, जो यह बता रहे है कि जिले से हजारों लोग दूसरे बड़े शहरों में कमाने के लिए जाते हैं।
मनरेगा योजना के तहत काम कराए जाते हैं गांवो में
आपको बताये कि ग्रामीणों को उनके गांव में ही रोजगार उपलब्ध कराने के लिए केंद्र सरकार द्वारा महात्मा गांधी रोजगार गारंटी योजना शुरू की गई है जिसके तहत ग्रामीण जनता को उनके गांव में ही साल में डेढ़ सौ दिन रोजगार उपलब्ध कराने का नियत है। इसके बावजूद भी क्यों ग्रामीणों को दूसरे राज्यों में रोजगार की तलाश में जाना पड़ता है, इस ओर जिला प्रशासन को मंथन करने की आवश्यकता है। जबकि वास्तविकता यह है कि शासन-प्रशासन लाख दावे करें लेकिन ग्रामीणों को डेढ़ सौ दिन रोजगार उनके गांव में उपलब्ध नहीं हो पाता है बहुत कम लोग ही होते हैं जिन्हें उनके गांव में ही रोजगार मिल पाता हो।
वनांचल क्षेत्र के लोग अधिकांश करते हैं पलायन
जिले से बाहर पलायन तो वैसे जिले के विभिन्न तहसीलों से किया जाता है लेकिन सबसे ज्यादा पलायन वनांचल क्षेत्र से ही होता है जिनमें लांजी बैहर बिरसा परसवाड़ा क्षेत्र शामिल है इसके अलावा महाराष्ट्र सीमा से लगे हुए खैरलांजी कटंगी क्षेत्र के ग्रामीणों को भी पलायन करते हुए देखा जा रहा है। इनमें अधिकांश लोगों को तेलंगाना हैदराबाद पुणे नासिक सहित अन्य बड़े महानगरों की ओर पलायन करते देखा जाता है।
अपने गांव की ओर लौट रहे मजदूरों का कहना है कि उन्हें गांव में पर्याप्त काम नहीं मिल पाता है इसी कारण उन्हें बाल बच्चों को लेकर बाहर अन्य शहरों की ओर रोजगार की तलाश में जाना पड़ता है यदि उन्हें उनके गांव में ही काम मिलेगा तो उन्हें बड़े महानगर की ओर काम करने जाने की जरूरत ही नहीं पड़ेगी। वनांचल क्षेत्र में कई गांव ऐसे हैं जिसमें गांव के 40 फ़ीसदी से अधिक लोग बड़े महानगरों में काम करने के लिए जाते हैं।