बालाघाट। कछुए की चाल से बन रहे करोड़ों के पुल
जिले के विकास कार्यों में कौन बन रहे बाधक
बालाघाट। यह बात सही है कि जिले में काफी विकास कार्य कराए जा रहे हैं और यह विकास कार्य करोड़ों की लागत के बड़े पैमाने पर बालाघाट जिले में चल रहे है। निश्चित ही यह विकास कार्य पूर्ण हो जाते हैं तो जिले का स्वरूप अच्छा दिखने लगेगा और इससे जनता को आवागमन में बहुत सहूलियत भी होगी। हम बात कर रहे हैं नदियों पर बनाए जा रहे पुलों की जो की करोड़ों की लागत के बन रहे हैं। हम अगर लांजी मार्ग पर बन रहे पुलों की बात करें तो बालाघाट से लांजी के बीच दो पुलों का निर्माण किया जा रहा है वहीं लांजी से आमगांव मार्ग पर पडऩे वाली नदी में दो पुलों का निर्माण किया जा रहा है। वैसे तो इनमें किरनापुर के पहले नदी पर बन रहा पुल किसी और ठेकेदार के पास है लेकिन उसके बाद जो तीन पुलों का निर्माण हो रहा है उन सभी फूलों का निर्माण एक ही कंपनी द्वारा किया जा रहा है। इनका कार्य लगभग अभी तक पूर्ण हो जाना था लेकिन कार्य में लेटलतीफी के कारण यह कार्य पूर्ण होने में अभी काफी समय लगने की बात कहीं जा रही है, यह कहे कि जनता को इन नये पुलों से आवागमन करने के लिए अभी और इंतजार करना पड़ेगा।
28 फरवरी तक है निर्माण पूर्ण होने की अवधि
आपको बताये कि ग्राम बिनौरा के समीप सोन नदी पर बन रहा पुल तथा ग्राम सिंगोला के निकट बन रहे दो पुल, इस प्रकार 3 पुलों का निर्माण एक ही कंपनी द्वारा किया जा रहा है। इसका टेंडर जबलपुर की कंपनी को मिला है और सुंदरानी ठेकेदार द्वारा इसका निर्माण कार्य कराया जा रहा है। इन तीनों ही निर्माण कार्य के पूर्ण होने की अवधि 28 फरवरी रखी गई थी लेकिन अभी कार्य बहुतायत बाकी है जिसके चलते कहा जा सकता है कि अभी इन पुलों का निर्माण कार्य पूर्ण होने में 6 माह से भी अधिक समय लगेगा।
20 करोड़ से अधिक की लागत से बनाए जा रहे हैं तीन पुल
इन तीनों पुलो की लागत मिलाकर यह तीनों ही काम एक ही कंपनी को दिया गया है इस प्रकार इस कंपनी द्वारा करीब 20 करोड़ की लागत से तीन पुलों का निर्माण किया जा रहा है। ठेकेदार द्वारा शुरू से ही कार्य में तेजी नहीं दिखाई गई, जब भी अधिकारियों द्वारा प्रेशर दिया गया तब बीच-बीच में रफ्तार से कार्य चला। अगर अधिकारियों द्वारा इस पर ध्यान नहीं दिया गया तो तीनों पुलों के निर्माण कार्य पूर्ण होने में बहुत इंतजार करना पड़ेगा।
कलेक्टर द्वारा भी लगाई जा चुकी है फटकार
सूत्रों से जो जानकारी सामने आई है उसके अनुसार इन तीनों पुलों के निर्माण कार्य की कलेक्टर द्वारा जानकारी ली गई तो अभी तक काफी कार्य अपूर्ण होना ही सामने आया। जिस पर कलेक्टर द्वारा ठेकेदार को बुलाकर फटकार लगाया जाना भी बताया जा रहा है तथा उन्हें निर्देश दिए गए की कार्य को जल्द से जल्द पूर्ण करें। इसके बावजूद भी कार्य में उतनी तेजी नहीं देखी जा रही है।
कार्य लेट होने के पीछे कोई कारण तो नहीं
इन तीनों निर्माण कार्यों में यह बात जरूर स्पष्ट हो रही है कि कार्य काफी धीमी रफ्तार से कराया जा रहा है तथा ठेकेदार द्वारा इस कार्य को तेजी के साथ पूर्ण कराने में रुचि नहीं दिखाना यह बताया जा रहा है। लेकिन इसमें यह भी देखना आवश्यक है कि ठेकेदार द्वारा निर्माण कार्य को पूर्ण कराने में आखिर रुचि क्यों नहीं दिखाई जा रही है। ठेकेदार से यह भी पूछे जाने की आवश्यकता है कि बांटने के चक्कर में कहीं उनके पास बजट की समस्या तो नहीं खड़ी हो गई है क्योंकि कई बार ठेकेदारों को इस समस्या के लिए परेशान होते हुए भी देखा गया है। अफसरों और नेताओं को खुश करने के चक्कर में राशि राशि खत्म हो जाने की स्थिति में पूर्व में कुछ ठेकेदारों द्वारा निर्माण कार्य अधूरा छोड़ दिए जाने जैसे वाकये भी सामने आ चुके हैं इसलिए विकास कार्य में इस प्रकार की बाधाये सामने न आये, इस ओर जिला प्रशासन को ध्यान दिए जाने की आवश्यकता है।
कोरोना कॉल का दिया जा रहा हवाला
यह जो पुल बनाए जा रहे हैं वे सभी पुल का निर्माण कार्य वर्ष 2021 से शुरू किया गया है। कोरोना कॉल को समाप्त हुए काफी समय हो चुका है और अधिकारियों द्वारा निर्माण कार्य में लेटलतीफी के पीछे कारण कोरोना काल को बताया जा रहा है। इसमें सवाल यह भी उठता है कि पुलों का निर्माण कार्य कराया जा रहा है तो उनमें भी पुलों का टेंडर अलग-अलग कंपनी को दिया जाना था ताकि निर्माण एजेंसी अपना निर्माण कार्य समय पर पूर्ण कराने उत्सुकता के साथ कार्य करें। एक ही ठेकेदार को तीनों कार्य दे दिए जाने के कारण यह लेटलतीफी जैसी समस्या सामने आ रही है।