बालाघाट। मोतीतालाब के संवर्धन पर नहीं जिम्मेदारों का ध्यान
दूषित पानी निकासी के नहीं किए कोई इंतजाम
बालाघाट। नगर के मोती तालाब को सुंदर बनाने एवं एक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किए जाने की कवायद पर ग्रहण लग चुका है। मोती तालाब के विकास और उसके सौंदर्यकरण के लिए कई बार कार्ययोजना बनाई जा चुकी है लेकिन उन कार्ययोजना पर अब तक पूर्ण रूप से अमल नहीं किया गया है। जिसके चलते जहां एक ओर मोतीतालाब को संवारने की कार्ययोजना सरकारी दफ्तरों की शोभा बढ़ा रही है तो वहीं दूसरी ओर मोती तालाब में जहां-तहां गंदगी नजर आने लगी है। विशाल रकबे में फैले मोतीतालाब के सौन्दर्यकरण के लिए अब तक 50 लाख से अधिक रुपए खर्च किए जा चुके हैं लेकिन मोतीतालाब की सुंदरता अभी कोसों दूर है वहीं जिला प्रशासन व जनप्रतिनिधियों ने भी अब इस ओर ध्यान देना छोड़ दिया है। अब मोती तालाब के सौंदर्यकरण की बात महज बैठकों तक ही सीमित हो गई है। मोती तालाब के सौंदर्यकरण के लिए कई बार बैठकें की जा चुकी हैं उन बैठकों में कई बार कार्ययोजना बनाई गई है लेकिन उन कार्ययोजना को अब तक शुरू तक नहीं किया गया है वहीं कई कार्ययोजना के तहत थोड़ा बहुत काम कराकर उसे बंद कर दिया गया है जिसके चलते मोतीतालाब को मोती की माफी चमकाने और उसे पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किए जाने का सपना महज सपना बनकर रह गया है।
मोतीतालाब का पानी हो रहा दूषित
मोतीतालाब के अंदर फेकी की जा रही गंदगी एवं कूडा करकट के चलते लगातार तालाब का पानी दूषित हो रहा है इसके चलते जहां एक ओर मोतीतालाब का सौंदर्यकरण खराब हो रहा है तो वहीं दूसरी ओर तालाब जगह-जगह से प्रदूषित नजर आ रहा है। इसकी प्रमुख वजह जिम्मेदारियों का उदासीन रवैया बताया जा रहा है और जनप्रतिनिधियों ने भी इस ओर ध्यान देना बंद कर दिया है।
पहले मायल ने की थी मदद
बात अगर मोतीतालाब के सौंदर्यकरण की करें तो मोतीतालाब का सौन्दर्यकरण कर उसे मोती की तरह चमकाने के लिए पहले मायल द्वारा मदद की गई थी ।वही जनभागीदारी और जिला प्रशासन व नपा द्वारा इसकी दशा और दिशा सुधारने का दावा किया गया था लेकिन यह दावा भी चुनावी वादों की तरह खोखला साबित हुआ ।
कार्ययोजना के मुताबिक महज लगी गैलरी
मोती तालाब के सौंदर्यीकरण के लिए वहां महज गैलरी लगाकर छोड़ दिया गया है जबकि प्रस्तावित तौर पर तालाब में बोटिंग व अन्य सुविधाएं करने की बात कही गई थी जो अब हवा हवाई साबित हो रही है। इसके पूर्व भी समय-समय पर विभिन्न जनप्रतिनिधियों, राजनेताओं, जिला प्रशासन व नगरपालिका द्वारा कई बार मोतीतालाब का सौंदर्यकरण किए जाने के दावे किए गए हैं लेकिन ये दावे भी खोखले साबित हो रहे हैं। कहने को तो यहां मोती तलाब एक प्राचीन तालाब है जो विशाल रकबे में फैला हुआ है लेकिन रखरखाव एवं जिम्मेदार जनप्रतिनिधियों की उदासीनता के चलते यह अपना अस्तित्व खोता नजर आ रहा है।
सफाई अभियान से भी हो गया मोहभंग
जब चुनाव नजदीक आता है उस दौरान विभिन्न राजनीतिक पार्टी के जनप्रतिनिधियों व नेताओं द्वारा नगर में स्वच्छता अभियान चलाया जाता है। इस स्वच्छता अभियान के तहत दिखावे के लिए मोतीतालाब की साफ सफाई की जाती है और मोतीतालाब को सवारने, उसका संवर्धन व संरक्षण करने का संकल्प लिया जाता है लेकिन वह संकल्प सिर्फ चुनाव तक ही सीमित रहता है। चुनाव का मौसम जाते ही ना तो वहां जनप्रतिनिधि नजर आते हैं और ना ही उनका संकल्प। शायद यही वजह है कि मोतीतालाब का अब तक उद्धार नहीं हो पाया है जिसके लिए यहां के जनप्रतिनिधि भी जिम्मेदार हैं।
मोतीतालाब में जा रहा दीनदयाल पुरम का दूषित पानी
मोतीतालाब के सौंदर्यीकरण के लिए वैसे तो जिला प्रशासन के द्वारा अनेकों योजनाएं चलाकर एवं बहुत ही स्वयंसेवी संस्थाओं के द्वारा अपना श्रमदान कर मोतीतालाब को स्वच्छ एवं सुंदर बनाने के लिए समय-समय पर अपने-अपने स्तर से कार्य किया है। किंतु देखा यह जा रहा है कि दीनदयाल पुरम से निकलने वाले नालियों का पानी अभी भी मोती तालाब के पानी में मिल रहा है जिससे तालाब का पानी दूषित हो रहा है। आपको बता दें कि इसके पूर्व में भी इसी प्रकार की घटना मोती तालाब में देखने को मिली थी जब दीनदयाल पुरम का सारा पानी मोतीतालाब में जा रहा था जिसको लेकर के एक बार मोतीतालाब की मछलियां मर गई थी जिसे देखते हुए नगरपालिका प्रशासन के द्वारा दीनदयाल पुरम का सारा पानी एक नाले के माध्यम से डायवर्ट कर दिया गया था। किंतु कुछ ही समय बीता की समस्या ज्यों की त्यों हो गई एवं जिसकी जानकारी नगरपालिका को अभी तक नहीं है कि दीनदयाल पुरम से जो पानी निकल रहा है वह पानी जा कहां रहा है। बताया जा रहा है कि बरसात के बाद से यह पानी मोती तालाब में ही जा रहा है जिस पर नगर पालिका या जिम्मेदारों का कोई ध्यान नहीं है ।
अब तक किसी ने क्यों नहीं दिया ध्यान
आपको बता दें कि इसके पूर्व में भी नगरपालिका के द्वारा मोती तालाब और मोती गार्डन की साफ सफाई की गई थी एवं बड़ी-बड़ी फोटो खिंचवाकर श्रमदान किया गया था। वही अभी कुछ दिन पहले स्वयंसेवी संस्थान द्वारा भी श्रमदान के माध्यम से मोतीतालाब की सफाई की गई थी किंतु किसी के भी द्वारा इस ओर ध्यान नहीं दिया गया कि दीनदयाल पुरम का जो पानी तालाब में आ रहा है यह क्यों आ रहा है क्या यहा पानी निकासी की व्यवस्था नहीं बनाई गई है। आपको बता दें कि ऐसा ही एक मामला मेहरा तालाब में भी देखने को मिला था जहां पर वार्ड की नालियों का गंदा पानी तालाब में जा रहा था जिसकी शिकायत व्यक्ति विशेष द्वारा की गई थी जिस पर त्वरित एनजीटी द्वारा संज्ञान में लेकर नगरपालिका पर फाइन भी किया गया था। जिसके बाद नगरपालिका जागा एवं उस पर नगरपालिका द्वारा काम भी किए गए थे लेकिन वर्तमान समय की बात करें तो अभी नगर पालिका के द्वारा तालाबों को लेकर इस प्रकार की कोई व्यवस्था देखने को नहीं मिल रही है।