बालाघाट। उपेक्षित हट्टा की बावड़ी को जीर्णोद्धार की दरकार
पुरातत्व विदों ने प्रस्ताव बनाकर कलेक्टर के समक्ष प्रस्ताव रखने की कही बात
बालाघाट। जिले की पुरातत्व धरोहरों और पर्यटन स्थलों को विकास की दरकार है। दशकों से मरम्मतीकरण नहीं होने के कारण ये धरोहरें अपना मूल स्वरूप खोकर इतिहास के पन्नों में सिमटने की कगार पर हैं। वर्षो से शासन-प्रशासन के उपेक्षा पूर्ण रवैए के कारण इनका जीर्णोद्वार नहीं हो पाया है, परिणाम स्वरुप इनके अस्तित्व पर खतरे के बादल मंडरा रहे हैं।
जिले के प्रमुख पुरातत्व पर्यटन स्थल की बात करें तो सबसे पहले हट्टा की बावली का नाम सामने आता है। जिले के नाम को चार चांद लगाने वाली हट्टा की बावली भी अब इतिहास के पन्नों में सिमटने की स्थिति में है। राजा हटेसिंह के कार्यकाल में बनाई गई तीन मंजिला इस बावली में दो मंजिल तक हमेशा पानी भरा होता है। इस बावली में हर साल एक जनवरी को तीन दिन का मेला लगता है। इस दौरान हजारों की संख्या में पर्यटक यहां पहुंचते हैं। लेकिन प्रशासन की बेरुखी के चलते अब पर्यटकों की भीड़ कम होती जा रही है। बावली के पानी की भी वर्षो से सफाई नहीं हो पाई है, इस कारण बावली का पानी कंदला और जहरीला होने लगा है। सफाई व्यवस्था के अभाव में भी बावड़ी अपना मूल स्वरूप खो रही है।
पुरातत्व विद ने दिए सुझाव
इतिहास एवं पुरातत्व शोध संस्थान संग्रहालय अध्यक्ष और वरिष्ठ पुरातत्व विद डॉ वीरेन्द्र सिंह गहरवार की माने तो बावली को लेकर अब भी ठोस प्रयास किए जाने की दरकार है। उन्होंने बताया कि वे रामटेक गए हुए थे, वहां की बावली की तर्ज पर यहां भी काम किए जाने चाहिए। इन्होंने बताया कि बावली के पानी को खाली कर उसकी सफाई कर दी जाए। वहीं बावली के कुएं में मोटर लगा दी जाए ताकि बावली के पानी का नित्य उपयोग हो सकें तो पानी कभी कंदला या खराब नहीं होगा। इसके अलावा स्वयंसेवकों के साथ सफाई अभियान चलाया जा सकता है। विशेष मौकों पर बावली में कार्यक्रम किए जाने चाहिए, ताकि इसका रख रखाव हो सकें। ऐसा कर बावली को पुर्नजीवित किया जा सकता है।
कलेक्टर से करेंगे चर्चा
डॉ गहरवार ने बताया कि उन्होंने बावली को लेकर पुरातत्व प्रेमियों और पर्यटन प्रबंधक के साथ चर्चा की। इसके लिए एक प्रस्ताव बनाकर कलेक्टर जो कि पुरातत्व के जिले के अध्यक्ष होते हैं उन्हें दिया जाएगा। यदि कलेक्टर बावली को लेकर ऐसे प्रयासों के लिए हामी भरते हैं तो निश्चित रूप से बावली का कायाकल्प हो सकता है। जिले में हट्टा की बावली के अलावा अन्य पुरातत्व और पर्यटन स्थल है। जिन्हें जीर्णोद्वार की दरकार है। पर्यटन विभाग की भोपाल में एक बैठक भी होने वाली है। इसमें हम शामिल होने वाली है। बैठक में जिले के पुरातत्व और पर्यटन स्थलों के जीर्णोद्वार को लेकर बातें रखी जाएगी।