बालाघाट। जो समाज अपना इतिहास नहीं जानता वह अपना इतिहास नहीं रच सकता - डॉ. परते
बालाघाट। रानी दुर्गावती की 500 वीं जयंती पर उन्हें याद कर नमन किया गया। रानी दुर्गावती की 500 जयंती पर ट्रायबल स्टडी सर्किल संयोजक डॉ. घनश्याम परते द्वारा रानी दुर्गावती जयंती पर आयोजित कार्यक्रम की शुरूआत रानी दुर्गावती चौक पर रानी दुर्गावती की प्रतिमा पर माल्यार्पण के साथ की गयी। जिसके बाद रानी दुर्गावती शासकीय उच्चतर माध्यमिक विद्यालय (सीएम राईज स्कूल) में मंचीय कार्यक्रम का आयोजन किया गया।
कार्यक्रम में प्रमुख रूप से सामाजिक कार्यकर्ता बसंत वागदे, गोविंद प्रसाद उइके, रमा तेकाम, सरिता मड़ावी, अशोक मड़ावी, सामाजिक चिंतक वैभव कश्यप, रवि श्रीवास्तव, विवेक दीक्षित, अशोक कोर्राम गोंडवाना स्टुडेंट यूनियन राष्ट्रीय संचालक मोहेन्द्र मरकाम, जिलाध्यक्ष राहुल प्रधान, संस्था प्राचार्य डॉ. युवराज राहंगडाले, ट्रायबल स्टडी सर्किल संयोजक डॉ. घनश्याम परते, सह-संयोजक राम मरावी तथा प्राध्यापक श्रीमती डॉ. घोरमारे उपस्थित थे। इस दौरान रानी दुर्गावती के जीवन पर आधारित नाट्य प्रस्तुति के साथ ही सांस्कृतिक प्रस्तुतियां समाज के युवा कलाकारों द्वारा दी गई। इस दौरान अतिथियों के हस्ते आदिवासी जनजाति महापुरूषों, नायक - नायिकाओं के जीवन संघर्ष और गौरवशाली इतिहास पर केन्द्रित पुस्तिका "जनजातीय गौरव गाथा" का भी विमोचन किया गया। आयोजन के दौरान अतिथि वक्ताओं ने रानी दुर्गावती के जीवन पर विस्तृत प्रकाश डालते हुए उनके संघर्षो को बयां किया। कार्यक्रम में उपस्थित जिले भर के कॉलेज में अध्ययनरत आदिवासी जनजातीय समाज के लगभग चार सैकड़ा छात्र-छात्राओं को जनजातीय गौरव गाथा पुस्तक का वितरण किया गया। ट्रायबल स्टडी सर्किल संयोजक डॉ. घनश्याम परते ने बताया कि आदिवासी जन-जातीय समाज में शिक्षा की जागृति तो बढ़ी है किंतु अभी भी अपने स्वर्णिम तथा गौरवशाली इतिहास के बारे में उन्हें ज्यादा ज्ञान नहीं है। जिसको लेकर ट्रायबल स्टडी सर्किल ने तय किया है कि जनजातीय गौरव गाथा पुस्तक का वितरण समाज के प्रत्येक परिवार तक पहुंचाई जायेगी ताकि लोग अपने इतिहास को जान सकें, क्योंकि जो समाज अपने इतिहास को नहीं जानता है, वह समाज कभी इतिहास नहीं रच सकता है।