वारासिवनी। भारतीय जनता पार्टी के पूर्व विधायक डॉ. योगेन्द्र निर्मल को मनाने का पार्टी पदाधिकारियों का एक और प्रयास आज विफल हो गया। पार्टी के निर्णय से नाराज चल रहे पूर्व विधायक डॉ. योगेन्द्र निर्मल ने भाजपा अधिकृत प्रत्याशी प्रदीप जायसवाल के लिए चुनाव प्रचार करने से स्पष्ट रुप से इंकार कर दिया हैं। जिससे अब भाजपा प्रत्याशी प्रदीप जायसवाल की मुश्किलें और भी बढ़ सकती हैं।
चुनाव हैं तो नेता व कार्यकर्ताओं को मनाने का कर रहे प्रयास
डॉ. योगेन्द्र निर्मल ने पार्टी के पदाधिकारियों व चुनाव प्रभारी से साफ-साफ कहा कि जब वह और उनके साथी पिछले ढ़ाई साल से प्रदीप जायसवाल का विरोध करते हुए भोपाल व दिल्ली तक गए, तब तो पार्टी ने समस्या का समाधान नहीं निकाला और आज जब प्रदेश में सरकार बनाना हैं, तो अब नेता व कार्यकर्ताओं के घर-घर जाकर उनको मनाने का प्रयास कर रहे हैं। लेकिन मैं प्रदीप जायसवाल के लिए चुनाव प्रचार नहीं करुॅगा।
नेता व कार्यकर्ताओं की इ'छा के विरुद्ध भाजपा ने जायसवाल को दिया प्रवेश व बनाया प्रत्याशी
विदित हो कि पिछले 3 वर्षो से भाजपा नेताओं द्वारा प्रदीप जायसवाल का लगातार विरोध किया जा रहा था और जब उन्हें भाजपा में शामिल करने की चर्चाएॅ तेज हुई, तो भाजपा के सभी बूथ प्रभारियों, पदाधिकारियों व नेताओं ने इस्तीफा तक देने की बात कहते हुए दिल्ली व भोपाल तक बड़े नेताओं के पास अपनी आवाज पहुॅचाई थी। लेकिन मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान के कारण आखिरकार प्रदीप जायसवाल को रात के अंधेरे में भोपाल में मुख्यमंत्री आवास में भाजपा की सदस्यता मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान द्वारा दिला दी गई थी। उसके बाद पार्टी ने उन्हें वारासिवनी-खैरलॉजी विधानसभा क्षेत्र से अपना अधिकृत प्रत्याशी घोषित कर दिया।    
साम,दाम, दंड, भेद की नीति के बाद अनमने मन से भाजपाई कर रहे कार्य
प्रदीप जायसवाल के प्रत्याशी घोषित होने के बाद भी क्षेत्र के भाजपाई नेता व कार्यकर्ता उनसे दूर-दूर ही रह रहे थे। लेकिन नामांकन पत्र जमा करने के पहले भाजपा के नेताओं ने नाराज नेताओं व कार्यकर्ताओं को समझाने का सिलसिला प्रारंभ किया। जिसमें सभी प्रकार के साम, दाम, दंड, भेद का प्रयोग किया जा रहा हैं। जिसके बाद भाजपा के ग्रामीण, नगर मंडल के पदाधिकारीगण व कुछ नेतागण अधमरे मन से प्रदीप जायसवाल के साथ जुड़ गए और पार्टी का कार्य अनमने ढ़ंग से कर रहे हैं। इस बीच प्रत्याशी बनने के बाद भी प्रदीप जायसवाल द्वारा नाराज चल रहे पूर्व विधायक डॉ. योगेन्द्र निर्मल से मिलने या उन्हें मनाने का कोई प्रयास नहीं किया गया था।
डॉ. निर्मल को मनाने भाजपा पदाधिकारियों के साथ जायसवाल पहुॅचे घर
वही पार्टी के दबाव के कारण भाजपा के अधिकांश नेताओं द्वारा बुझे मन से डॉ. योगेन्द्र निर्मल का साथ छोड़ देने के बावजूद भी डॉ. योगेन्द्र निर्मल ने प्रदीप जायसवाल का साथ देने से इंकार कर दिया। जिसके कारण भाजपा के बड़े नेताओं के माथे पर बल पड़े हुए हैं। वहीं भाजपा प्रत्याशी भी असमंजस में फॅसे हुए हैं। जिसके कारण अंतत: मंगलवार को पूर्व विधायक डॉ. योगेन्द्र निर्मल के निवास स्थान पर भाजपा चुनाव प्रभारी व उत्तरप्रदेश के परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह, भाजपा जिलाध्यक्ष सत्यनारायण अग्रवाल, भाजपा जिला महामंत्री संजय खंडेलवाल, वारासिवनी विधानसभा चुनाव प्रभारी नरेन्द्र भैरम, नगर भाजपा मंडल अध्यक्ष दीप चौहान के साथ प्रदीप जायसवाल उनसे मिलने के लिए पहुॅचे।
डॉ. निर्मल के इंकार के बाद वापस लौटे भाजपा नेता
जहॉ पर सभी नेताओं ने उन्हें चुनाव प्रचार में भाग लेने के लिए मनाने का प्रयास किया। लेकिन डॉ. निर्मल ने प्रदीप जायसवाल के पक्ष में चुनाव प्रचार के लिए मैदान में उतरने से साफ इंकार कर दिया। जिसके कारण इन सभी भाजपा नेताओं को अपना निराश् होकर उनके घर से वापस लौटना पड़ा हैं।
राजनीति में कुछ भी हो सकता हैं-प्रदीप जायसवाल
डॉ. निर्मल से मिलने के बाद बाहर निकलने पर पत्रकारों के सवाल के जवाब में प्रदीप जायसवाल ने कहा कि राजनीति में कुछ भी हो सकता हैं, जब भगवान राम का रा'याभिषेक हो रहा था, लेकिन कुछ ही पलों में उन्हें 14 वर्ष का वनवास हो गया। वहीं जिला चुनाव प्रभारी दयाशंकर सिंह ने कहा कि डॉ. योगेन्द्र निर्मल की नाराजगी वाजिब हैं। जिन्होंने वर्षो तक जिस व्यक्ति के खिलाफ लड़ा हो, उसी व्यक्ति का चुनाव प्रचार करना आसान बात नहीं हैं। फिर वह पार्टी के वरिष्ठ नेता हैं, जो भी करेगे अ'छा करेगे।
ढ़ाई साल विरोध के बाद कार्य करने पर मतदाता व पब्लिक क्या कहेगी -डॉ. निर्मल
भाजपा नेताओं से मुलाकात के बाद पूर्व विधायक डॉ. योगेन्द्र निर्मल ने मीडिया से चर्चा करते हुए कहा कि मनाने का क्या प्रश्र हैं। हमको क्या मनायेेंगे, हम क्या मानने वाले हैं? हमने उनको स्पष्ट कर दिए हैं कि हम ढ़ाई साल भोपाल गए,  शिवराज सिंह, हितानंद जी, बी डी शर्मा सब से भेंट किए। दिल्ली गए, लेकिन इनने कोई हल नहीं निकाला। अब क्यों हमारे पास आ रहे है? हमने उन्हें साफ शब्दों में बता दिया कि पूरे ढ़ाई साल विरोध किए हैं, चैनल में हमारा विरोध गया हैं, हमने उनके साथ मंच शेयर नहीं किया, कोई फोटो नहीं खिंचवाई और इसके बावजूद यदि हम जायेंगे, तो हमारी पब्लिक व हमारा मतदाता हमें क्या कहेगा? हमारी भद्द पिट जायेगी। हमारी अस्मिता का सवाल खड़ा हैं।
ना विधायक, सांसद बनना, ना पार्टी में पद चाहिए
 डॉ. निर्मल को मनाने के लिए भाजपा नेताओं ने कहा कि पार्टी बहुत सोचती हैं। जिस पर डॉ. निर्मल उन्हें टका सा जवाब देते हुए कहा कि अब हमें ना विधायक बनना हैं और ना ही हमको सांसद बनना हैं, और ना हमको संगठन में कोई पद चाहिए। हमको कोई खरीद नहीं सकता हैं, ना ही हमको कोई पटा सकता हैं। हमने साफ कहा, हम घर से बाहर नहीं जा रहे हैं, कहीं निकल नहीं रहे हैं, यही बहुत बड़ी बात हैं। लेकिन मेरा पूरा विरोध हैं, किसी भी कीमत पर मैं प्रदीप जायसवाल का काम करने नहीं जाऊॅगा।
डॉ. निर्मल को पटाना कठिन काम है
उन्होंने जिला प्रभारी व उत्तरप्रदेश के परिवहन मंत्री दयाशंकर सिंह की बात पर कहा कि उन्होंने उनकी कोई बात नहीं मानी हैं। जब हम दर दर की ठोंकरे खा रहे थे, तब यह परिवहन मंत्री कहॉ थे? तब संगठन के लोग कहॉ थे, कोई था क्या? तब कोई नहीं था, तब किसी ने हमारी पूछ परख नहीं की। अब जब चुनाव आ गए, जीत हासिल करना हैं, प्रदेश में सरकार बनाना हैं, तो कार्यकर्ता के घर-घर जाओ, उसे पटाओ। पटाने की नीति खतम हैं, हमको पटाना, डॉ. योगेन्द्र निर्मल को पटाना बहुत कठिन काम हैं। हमने उनको बता दिया कि आपके संगठन में सब लोग चले गए, संगठन के अध्यक्ष, महामंत्री चले गए, हमने किसी को रोका क्या, नहीं? हम अपनी जगह हैं, डॉ. योगेन्द्र निर्मल नहीं जायेगा, यह तय समझ लो, यह फाईनल बात हैं। मैं काम बिल्कुल नहीं करुॅगा।
काम नहीं करने की बात कहकर समर्थकों को किया खुला इशारा
अब देखना यह हैं कि पूर्व विधायक डॉ. योगेन्द्र निर्मल के इन बागी तेवरों का कितना असर इस विधानसभा चुनाव पर पड़ता हैं और उनके समर्थक चुनाव में क्या करते है? क्योंकि उनके द्वारा भाजपा प्रत्याशी प्रदीप जायसवाल के लिए कार्य नहीं करने का खुला संदेश देकर अपने समर्थकों को एक प्रकार से विद्रोह का खुला संदेश पहुॅचा दिया हैं। जिसका कितना असर होगा, यह मतदान के बाद 3 नवम्बर को खुलने वाली मतपेटियॉ बतायेगी?