नही कराया गया 8 वर्ष से मेंटनेंस

बालाघाट। सिंचाई के क्षेत्र में किसानों को पानी की समस्या से निजात दिलाने सरकार द्वारा जलाशयों का निर्माण कर छोटे-छोटे माइनर नहर निकाले गये ताकी किसानों को पानी उपलब्ध हो। लेकिन यही नहर विभागीय अधिकारियों की अनदेखी के चलते अब यह दम तोड़ते नजर आ रहे हैं। इसका कारण यह है कि नहरों के मेंटनेंस पर अधिकारियों द्वारा ध्यान नही दिया गया। किसानों का कहना है कि गांगुलपरा जलाशय का निर्माण होने के बाद विभाग द्वारा किसानों को सिंचाई के क्षेत्र में दिक्कत ना हो उसके लिए नहर का निर्माण किया गया था जो अधिकारियों द्वारा ध्यान न देने की वजह से अस्तित्व समाप्त होते जा रहे हैं। ताजा मामला बगदरा और कोसमी के बीच बना गांगुलपारा नहर का है जो 10 सालों से साफ सफाई ना होने के कारण विलुप्त होने की कगार पर है। कोसमी के किसान श्री दमाहे ने बताया कि यह गांगुलपरा जलाशय में नहर का  निर्माण तो  पिताजी के समय हुआ था। जब हम छोटे थे तब यह नहर बना था इस नहर से अभी तक पानी किसानों को नहीं मिल पाया है एक बार इसकी रिपेयरिंग हुई थी उसके बाद अधिकारियों के द्वारा इस नहर की किसी ने सुध नहीं ली। इस नहर का मरम्मतीकरण हो जाएगा तो काफी किसानों  को इसका लाभ मिलेगा। किसान देवेंद्र ने बताया कि यह नहर अधिकारियों की अनदेखी की वजह से विलुप्त होने की कगार पर है अगर ध्यान दिया जाता तो किसानों को सिंचाई के लिए पानी भी मिलता और किसान लाभान्वित होते।कोसमी निवासी किसान ने बताया कि 10 साल पहले नहर का रिपेयरिंग किया गया था उसके बाद अधिकारियों द्वारा नहर में कभी ध्यान नही दिया गया।
क्या नहर मेंटनेंस की राशि नही आती
इसमें सवाल यह उठता है कि क्या नहरों के मेंटनेंस के लिये राशि नही आती, अगर राशि शासन से आती है तो विभागीय अधिकारियों की कोई गलती नही है। लेकिन अगर हर दो वर्ष के अंतराल में मेन्टेनेन्स कराने राशि आती है तो फिर बगदरा-कोसमी के बीच से जा रही छोटी नहर का पिछले 8 वर्ष से मेंटनेंस क्यो नही कराया गया। इसकी जांच करायी जाये तो सही जानकारी स्पस्ट हो जाएगी।
सवा 4 करोड़ से होगा कायाकल्प - श्लेषा डोंगरे
इसके संबंध में चर्चा करने पर जिला भूजल संरक्षण इकाई 26 बालाघाट के अनुभाग अधिकारी सुश्री श्लेषा डोंगरे ने बताया कि उनकी यहां पदस्थापना को एक वर्ष हुआ है। गांगुलपारा नहर की हालत को देखकर मेरे द्वारा बालाघाट जिले की गांगुलपारा जलाशय की नहर की लाइनिंग कार्य को लेकर विशेष मरम्मत करने के लिए शासन को प्रस्ताव भेजा गया था जिसकी स्वीकृति मिल चुकी है। शासन ने नहर लाइनिंग कार्य के लिए चार करोड़ 27 लाख 49 हजार की प्रशासकीय स्वीकृति प्रदान की है।