वारासिवनी। भाजपा द्वारा निर्दलीय विधायक प्रदीप जायसवाल को भाजपा में शामिल कर उन्हें वारासिवनी-खैरलॉजी विधानसभा क्षेत्र का प्रत्याशी बनाए जाने से नाराज भाजपा पिछड़ा वर्ग मोर्चा जिलाध्यक्ष अजय देवनाथ बिसेन द्वारा अपने पद सहित भाजपा की प्राथमिक सदस्यता से भी इस्तीफा दे दिया गया हैं। यह कहा जाए कि भाजपा द्वारा पार्टी के अधिकृत प्रत्याशी प्रदीप जायसवाल का विरोध करने वाले भाजपाईयों को बाहर का रास्ता दिखाने के पहले ही जायसवाल के विरोधी भाजपाईयों ने पद व पार्टी से इस्तीफा देने का क्रम प्रारंभ कर दिया हैं।
श्री बिसेन ने 26 अक्टूबर 23 को अपना इस्तीफा
 भाजपा जिलाध्यक्ष सत्यनारायण अग्रवाल के नाम का इस्तीफा जिला उपाध्यक्ष संजय खंडेलवाल को देते हुए पार्टी की प्राथमिक सदस्यता एवं अपने दायित्व से इस्तीफा देने की बात लिखी हैं। उन्होंने पत्र में लिया हैं कि विधानसभा क्षेत्र 112 वारासिवनी-खैरलॉजी से पार्टी के जमीनी कार्यकर्ताओं, मतदाताओं एवं बूथ स्तर के पदाधिकारियों के जबरदस्त विरोध के बावजूद भाजपा संगठन को बगैर विश्वास में लिए शीघ्र नेतृत्व द्वारा प्रत्याशी घोषित कर दिया गया हैं। जिसका पार्टी संगठन में घोर विरोध हैं। पार्टी के इस निर्णय से संपूर्ण संगठन के कार्यकर्ताओं की भावनाएॅ आहत हुई हैं। इस वजह से भाजपा में रहकर काम करना मेरे लिए बिल्कुल भी संभव नहीं हैं। इसीलिए मैं पार्टी की प्राथमिक सदस्यता एवं अपने दायित्व जिलाध्यक्ष भाजपा पिछड़ा वर्ग मोर्चा से इस्तीफा दे रहा हूॅ, मेरा इस्तीफा मंजूर कर मुझे मेरे दायित्व एवं पार्टी की प्राथमिक सदस्यता से मुक्त करे।
अजय बिसेन को बनाया गया हैं बालाघाट विधानसभा का प्रभारी
यहॉ उल्लेखनीय हैं कि भाजपा द्वारा विधानसभा चुनावों के लिए विधानसभावार प्रभारियों की नियुक्ति की गई हैं, जिसमें अजय बिसेन को बालाघाट विधानसभा का प्रभारी बनाया गया हैं। लेकिन अब उनका पार्टी की प्राथमिक सदस्यता एवं दायित्वों से इस्तीफा दे देने के बाद पार्टी को नया प्रभारी मनोनीत करना पड़ेगा। विदित हो कि अजय देवनाथ बिसेन पूर्व में कांग्रेस में रहकर प्रदीप जायसवाल के ही साथी हुआ करते थे। उनके साथ रहते हुए कांग्रेस की ओर से अजय बिसेन लगातार 11 वर्षो तक कृषि उपज मंडी वारासिवनी के अध्यक्ष पद पर विराजमान रहे। लेकिन कुछ वर्षो पहले प्रदीप जायसवाल से उनके व्यक्तिगत मतभेद हो गए, जो धीरे-धीरे गहरे होते चले गए और अजय बिसेन ने प्रदीप जायसवाल व कांग्रेस का दामन छोड़कर भाजपा का दामन थाम लिया था।
भाजपा ने योग्यता व राजनीतिक पकड़ को देख बनाया था भाजपा पिछड़ा वर्ग मोर्चा जिलाध्यक्ष
भाजपा में शामिल होने के बाद पार्टी ने उनकी राजनीतिक पकड़ व योग्यता को देखते हुए धीरे-धीरे ही सही लेकिन उन्हें अहम पदों से नवाजने का कार्य प्रारंभ कर दिया था। इसी कड़ी में भाजपा ने उन्हें अपने पिछड़ा वर्ग मोर्चा का जिलाध्यक्ष मनोनीत किया था। जिसका दायित्व भी वह सफलतापूर्वक उठा रहे थे। लेकिन पिछले साढ़े 3 वर्षो से बदली हुई परिस्थितियों के बीच निर्दलीय विधायक प्रदीप जायसवाल द्वारा कांग्रेस की सरकार के पतन के बाद भाजपा के मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान को समर्थन देने के कारण क्षेत्र में भाजपाईयों की पूछ परख कम हो गई थी। जिसके कारण वारासिवनी-खैरलॉजी क्षेत्र का भाजपा संगठन प्रदीप जायसवाल का विरोध करते हुए भाजपा के वरिष्ठ नेताओं का भी विरोध कर रहे थे। भाजपा संगठन के वरिष्ठ नेताओं के साथ-साथ अजय बिसेन द्वारा भी प्रदीप जायसवाल के भाजपा में प्रवेश का लगातार विरोध किया जा रहा था।
किंतु वरिष्ठ नेताओं द्वारा वारासिवनी-खैरलॉजी विधानसभा क्षेत्र के संगठन सहित सभी नेताओं की अनदेखी कर प्रदीप जायसवाल को भाजपा में शामिल कर उन्हें भाजपा का अधिकृत प्रत्याशी भी बना दिया गया हैं। जिससे नेता व कार्यकर्ता बेहद आक्रोश में हैं। भाजपा नेताओं व कार्यकर्ताओं में अंदर ही अंदर सुलग रही आग अब धीरे-धीरे बाहर आने लगी हैं।
पूर्व विधायक निर्मल, सरपंच मनोज लिल्हारे बागी के रुप में लड़ सकते हैं चुनाव
एक ओर संगठन के नेताओं व कार्यकर्ताओं के निर्णय के अनुसार पूर्व विधायक डॉ. योगेन्द्र निर्मल विधानसभा चुनाव में बागी निर्दलीय प्रत्याशी के रुप में मैदान में उतरने के लिए नामांकन पत्र ले चुके हैं, वहीं एक और भाजपाई व डोंगरमाली सरपंच मनोज लिल्हारे भी विधानसभा चुनाव का नामांकन पत्र भरने वाले हैं। इसके साथ ही अब भाजपा पिछड़ा वर्ग मोर्चा के जिलाध्यक्ष अजय बिसेन द्वारा भाजपा संगठन की प्राथमिक सदस्यता एवं भाजपा पिछड़ा वर्ग मोर्चा के जिलाध्यक्ष पद से इस्तीफा देने के बाद इस्तीफे की राजनीति भी शुरु हो गई हैं। अब देखना यह हैं कि इन सब परिस्थितियों से भाजपा संगठन के साथ-साथ भाजपा के अधिकृत प्रत्याशी प्रदीप जायसवाल किस प्रकार निपटते है।