बालाघाट। बालाघाट जिले के अतिनक्सल प्रभावित क्षेत्र के गांव धीरी-मुरुम के ग्रामीणों ने नक्सली समस्या से परेशान होकर 2007-08 में अपने गांव से विस्थापित होकर लांजी नगर परिषद के वार्ड क्रमांक एक बकरामुंडी में आकर बस गए है, लेकिन इतने वर्षों के बाद भी विस्थापित हुए इन ग्रामीणों को उनके हक व अधिकार का पट्टा नहीं मिल पाया है। जिसके चलते उन्हें काफी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है। जिसके चलते ही ग्रामीणों ने मंगलवार को कलेक्ट्रेट कार्यालय पहुंचकर कलेक्टर डा. गिरीश कुमार मिश्रा से उन्हें पट्टा दिए जाने की मांग की है।
25 परिवार हुए थे विस्थापित
जिला मुख्यालय पहुंचे ग्रामीण सूरज मरकाम, सुकरी बाई उड़के ने बताया कि नक्सलियों के डर के चलते उन्होंने प्रशासन के कहने पर 2007-08 में अपना गांव छोड़ दिया था और बकरामुंडी में आकर बस गए थे। उन्होंने बताया कि इसके बाद से ही शासन-प्रशासन ने उनकी कोई सुध नहीं ली है। इतना ही नहीं विस्थापन के बाद भी उन्हें अब तक बकरामुंडी में रहने का अधिकार तक नहीं मिला है। उनके पास अपने मकान के पट्टे तक नहीं है। जिसका नतीजा ये है कि उन्हें शासन की किसी भी प्रकार की योजना का लाभ तक नहीं मिल रहा है और वे लोग मजबूरी में पलायन भी करते है।
पट्टा मिले तो मिलेगा सहारा
वार्ड क्रमांक बकरामुंडी के पार्षद संजय सैयाम ने बताया कि उनके पार्षद बनने के बाद से ही धीरी मुरुम के ग्रामीणों को पट्टा • दिलाने के लिए प्रयास तो किया जा रहा है, लेकिन यह प्रयास नाकाफी ही साबित हो रहा है। उन्होंने बताया कि ये ग्रामीण अपना सबकुछ छोड़कर बकरामुंडी में बसे है। इन्हें मकान का पट्टा मिल जाता है तो इनके लिए काफी सहारा मिलेगा और इनकी जिंदगी काफी हद तक आसान हो सकेगी। जिसके चलते ही वे इन ग्रामीणों को लेकर कलेक्ट्रेट कार्यालय पहुंचे है और कलेक्टर महोदय से विस्थापित होकर बकरामुंडी में रह रहे ग्रामीणों को पट्टा दिए जाने की मांग की गई है।