बालाघाट। क्षेत्र की मॉयल नगरी तिरोड़ी में सरकारी अस्पताल बिना चिकित्सक के संचालित हो रहा है। कलेक्टर ने 1 माह पूर्व आदेश जारी कर प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र महदोली के संविदा चिकित्सा अधिकारी डॉ रूपम पटले को प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र तिरोड़ी में मुख्यालय बनाकर ओपीडी सेवाएं, एमएलसी, पीएम और अन्य समस्त चिकित्सकीय सेवाएं प्रदान करने के लिए आदेशित किया था किंतु कलेक्टर के इस आदेश का पालन नहीं हो रहा है। दरअसल 19 मई 2022 को कलेक्टर ने एक आदेश जारी कर प्रशासनिक कार्य व्यवस्था के दृष्टिगत सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र खैरलांजी के डॉ प्रफुल्ल भारती को तिरोड़ी अस्पताल का प्रभार सौंपा था जिन्हें 25 अप्रैल 2023 को एक आदेश जारी कर पुन: यथा स्थान मूल पदस्थापना में चिकित्सकीय सेवाएं देने के लिए कहा गया। जिसके बाद वह तिरोड़ी से चले गए लेकिन तिरोड़ी अस्पताल में अब तक संविदा चिकित्सा अधिकारी ने सेवाएं देनी शुरू नहीं की है। एक तरह से यह कलेक्टर के आदेश की अवहेलना है। इधर अस्पताल में चिकित्सक नहीं होने के कारण ग्रामीण जनता परेशान है। ज्ञात हो कि तिरोड़ी तहसील के अंतर्गत करीब 35 से अधिक गांव की ग्रामीण जनता आश्रित है वैसे तो तिरोड़ी तहसील के ग्रामीण अंचलों में संचालित होने वाले उप स्वास्थ्य केंद्रों में आयुष विभाग के चिकित्सक सेवाएं दे रहे हैं किंतु अधिकांश जनता सरकारी स्वास्थ सेवाओं के लिए तिरोड़ी या फिर कटंगी आना-जाना करती है।
 गौरतलब हो कि प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र तिरोड़ी में लंबे समय से चिकित्सक का पद रिक्त पड़ा है। ग्रामीणों के द्वारा समय-समय पर जनप्रतिनिधियों और विभागीय अफसरों का इस ओर ध्यान आकर्षित करवाते हुए अस्पताल में चिकित्सक की नियुक्ति करने की मांग भी की जाती रही है। मगर प्रदेश में चिकित्सकों की कमी के चलते तिरोड़ी अस्पताल को हर बार केवल वैकल्पिक तौर पर ही चिकित्सक मिल पाया है। गत वर्ष जब ग्रामीणों ने आंदोलन की चेतावनी थी और राजनीतिक हस्तक्षेप हुआ तब कहीं जाकर तिरोड़ी अस्पताल में प्रभारी चिकित्सक की नियुक्ति की गई पंरतु 1 साल के भीतर ही प्रभारी चिकित्सक को पुन: मूल स्थापना अस्पताल में भेज दिया गया है। बता दें कि सरकारी अस्पतालों पर गरीब जनता आश्रित रहती है छोटी-मोटी बीमारियों के लिए आर्थिक रूप से कमजोर और गरीब व्यक्ति सरकारी अस्पताल की दौड़ लगाता है लेकिन मौजूदा वक्त में सरकारी अस्पताल स्वयं बीमार चल रहे हैं इन अस्पतालों में ना तो चिकित्सक है और ना ही मूलभूत सुविधाएं, ग्रामीण अंचलों में संचालित होने वाले तमाम उप स्वास्थ्य और प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्रों में सुविधाओं का अभाव है। बीते दिनों जब जनपद पंचायत कटंगी के सभागार में स्वास्थ समिति की बैठक हुई तब ग्रामीण इलाकों में तैनात चिकित्सकों ने जनप्रतिनिधियों के सामने अपनी व्यथा रखी थी।
    ज्ञात हो कि मध्य प्रदेश अन्य पिछड़ा वर्ग आयोग अध्यक्ष बालाघाट विधायक गौरीशंकर बिसेन में करीब 6 माह पहले तिरोड़ी अस्पताल में शव विच्छेदन गृह बनाने की बात कहीं थी  ताकि तिरोड़ी थाना और महकेपार पुलिस चौकी के अंतर्गत होने वाली घटनाओं के बाद शव को पीएम के लिए सरकारी अस्पताल कटंगी ना लाया जाए तिरोड़ी अस्पताल में ही शव का पोस्टमार्टम हो जाए लेकिन बता दें कि अब तक तिरोड़ी अस्पताल में यह सुविधा शुरू नहीं हो पाई है शव को पीएम के लिए सरकारी अस्पताल कटंगी ही लाया जाता है। कटंगी विधानसभा का भौगोलिक विस्तार करीब 60 से 70 किलोमीटर की दूरी का है ऐसे में जब कभी महकेपार पुलिस चौकी के अंतर्गत किसी व्यक्ति की सड़क हादसे या संदिग्ध परिस्थितियों में मौत होती है तो उस व्यक्ति के शव को पीएम के लिए कटंगी लाया जाता है कई बार देर शाम शव लाने पर पोस्टमार्टम नहीं हो पाता ऐसे में मृतकों के परिजनों और पुलिसकर्मियों को पूरी रात परेशान होना पड़ता है खासतौर से मृतक के परिजनों को, इस स्थिति में भले ही अस्पताल प्रबंधन शव को शव विच्छेदन गृह में सुरक्षित रखवा देता है अगर परिवार को पूरी रात अस्पताल के बाहर जागरण करना पड़ता है। बहरहाल तिरोड़ी तहसील की जनता ने शीघ्र ही अस्पताल में चिकित्सक उपलब्ध कराने की मांग की है वहीं चिकित्सक ना होने की स्थिति में आंदोलन की चेतावनी दी है।