कटंगी।  कटंगी शहर के बस स्टैंड में काफी लंबे समय से अव्यवस्थाओं का आलम है। स्थानीय प्रशासन, पुलिस और नगर परिषद व्यवस्था बनाने के लिए कोई ठोस जमीनी कार्यवाही नहीं कर रही है। जिस कारण यहां पहुंचने वाले यात्रियों को असुविधाओं का सामना करना पड़ रहा है। बस स्टैंड में तीन प्रमुख वजहों से अव्यवस्था बनती है पहली यात्री बसें जो अपने निर्धारित समय से एक-दो घंटे पहले से वहां पर खड़ी रहती हैं और दूसरी ऑटो रिक्शा जो इस समय दर्जनों की तादाद में बस स्टैंड में जहां-तहां खड़ी हो रही है। तीसरी प्रमुख वजह बस स्टैंड में हाथ ठेले में लगने की वाली फलों की दुकान है. फिलहाल तो ऑटो चालकों का बस स्टैंड के अंदर पूरी तरह से कब्जा होने के कारण कई बार जाम लगने की स्थिति बनती है। दरअसल, बस स्टैड से महज चंद कदम की दूरी पर ऑटो रिक्शा को पार्किंग स्थल बनाया गया है लेकिन ऑटो चालक वाहनों को वहां खड़ा करने की बजाए बस स्टैंड में कहीं भी खड़ा कर देते है। जिससे सर्वाधिक परेशानी होती है। ऑटो चालकों की इस हरकत से बस स्टैंड के दुकानदार भी बेहद परेशान है जिसके चलते दुकानदारों ने दर्जनों बार सीएम हेल्पलाइन में शिकायत की लेकिन समस्या का समाधान आज तक नहीं हुआ। दुकानदारों ने कई बार पुलिस और नगर परिषद में भी इस मामले की शिकायत की लेकिन यहां बैठे अफसर भी ऑटो चालकों के सामने बौने साबित हुए।
     गौरतलब हो कि वैसे भी कटंगी बस स्टैंड अत्यंत छोटा होने के कारण कई बार बसों को चालक सड़क पर ही खड़ा कर देते है। वहीं बस स्टैंड के चारों तरफ ऑटो वाले अपने-अपने ऑटो रिक्शा को लगा देते हैं. इस कारण बस में चढऩे वाले यात्रियों को काफी मुसीबतों का सामना करना पड़ता है। कई बार तो बस स्टैंड में विवाद भी इस बात को लेकर हो जाता है। बस स्टैंड में व्याप्त अव्यवस्थाओं को सुधारने के लिए प्रशासनिक कार्यवाही जरूरी है यहां पर यात्रियों को परेशानी ना हो इसके लिए ऑटो रिक्शा के लिए जहां पार्किंग की व्यवस्था बनानी चाहिए वही यात्री बसों को भी समय से आधा घंटा पूर्व बस स्टैंड के अंदर आने की अनुमति होनी चाहिए। बस स्टैंड के यात्री प्रतीक्षालय में भी अव्यवस्थायें व्याप्त हैं जहां पर यात्रियों की जगह असामाजिक तत्वों का जमावड़ा लगा रहता है। जिसके कारण भी यात्री अपने गंतव्य स्थान के जाने के लिए इधर-उधर बैठते नजर आते हैं।
     बता दें कि ऑटो चालक सवारी ढोने के नाम पर स्कूली छात्राओं को लाना ले जाना करते है। इसमें भी नियमों की अनदेखी करते हुए वाहन चला रहे है। वाहन में क्षमता से अधिक छात्राओं को बिठाकर परिवहन किया जाता है ऐसे में किसी भी दिन दुर्घटना घटित होने का डर हमेशा ही बना रहता है। पुलिस प्रशासन और नगर परिषद ने सख्ती की बात कही है परंतु हकीकत में ऑटो चालक नियम कायदों का मखौल उड़ाते शहर से लेकर गांवों की सड़कों पर दौड़ रहे हैं। बेलगाम ऑटो चालकों का शहर की सड़कों पर कब्जा हो चुका है और नागरिक बेहद परेशान हैं। हालात ये हैं कि शहर में कभी चींटी की तरह रेंगते तो कभी तेजी से दौड़ते ऑटो कब आपकी गाड़ी के सामने अचानक रुक जाए, कुछ पता नहीं. शहर में इस समय करीब 50 के ऑटो हैं और बिना परमिट के कितने दौड़ रहे हैं इसका किसी के पास हिसाब किताब नहीं। 3 की जगह पर 15 सवारी ऑटो वालों को तीन सवारी ढोने का परमिट मिलता है लेकिन असलियत में ये 15 सवारी तक ढोते हैं। ऑटो ड्राइवर की सीट के साथ दोनों ओर अतिरिक्त सीट बना रखी हैं। अंदर तीन वाली सीट के सामने भी तीन से चार सवारी बैठाने की जुगाड़ कर रखा है। सबसे पीछे सामान रखने वाली जगह में भी तीन से चार सवारी बैठाई जाती हैं।