बालाघाट। 4 लोगो के भरोसे नापतौल विभाग
शिविर लगाने व कार्रवाई करने में विभाग को करना पड़ता है परेशानी का सामना
बालाघाट। शासन को प्रतिवर्ष 25 लाख से अधिक राजस्व प्रदान करने वाला नाप तौल विभाग इन दिनों अपनी बदहाली पर आंसू बहाता नजर आ रहा है। पूरे जिले में नापतौल की कमान संभालने वाला यह विभाग संसाधनों और स्टॉफ की कमी से जूझ रहा है। कई आवेदन निवेदन के बाद इस विभाग को स्वयं का कार्यालय भवन तो मिला, लेकिन यहां भी सुविधाओं का टोटा है। यहां पदस्थ कर्मचारियों का भी कहना है कि स्टॉफ और संसाधनों की कमी के कारण उन्हें अक्सर कार्य के दौरान परेशानियां होती है। शासन स्टॉफ और संसाधनों में बढ़ोत्तरी करती है तो राजस्व में और बढ़ोत्तरी हो सकती है। लेकिन टारगेट के अनुसार 25 लाख रुपए की कमाई करके देने वाला यह विभाग अनदेखी का दंश झेल रहा है, ना तो कार्यवाही करने के लिए संसाधन दिए जा रहे हैं और ना ही पर्याप्त स्टाफ। जिसके चलते महज 4 लोगों के भरोसे नापतोल विभाग सिमटकर रह गया है
स्टाफ कम होने से कार्य होते है प्रभावित
कलेक्ट्रेट कार्यालय में लग रहे नापतोल विभाग की बात करें तो नापतोल विभाग की समस्या किसी से छुपी नहीं है। पहले इसी विभाग में 2 निरीक्षक, 2 सहायक ग्रेड 3, दो श्रम सहायक के अलावा एक चपरासी की व्यवस्था भी हुआ करती है, लेकिन अब यह स्टॉफ आधा ही रह गया है। पहले मेन रोड के एक किराए के क्षतिग्रस्त कमरे में कार्यालय का संचालन हुआ करता है। लेकिन नए कलेक्ट्रेट भवन में अलग से स्वयं का कार्यालय भवन तो मुहैया हो गया है पर स्टॉफ में कटौती कर दी गई है। वर्तमान समय में कार्यालय में एक निरीक्षक, एक सहायक ग्रेड 3 और एक श्रम सहायक ही अपनी सेवाएं दे रहे हैं। एक व्यक्ति कार्यालयीन व्यवस्था में फंसा रहता है। ऐसे में यदि कोई बीमार पड़ जाए या आवश्यक कार्यो से अवकाश पर चले जाए तो पूरा कार्य प्रभावित हो जाता है। एक मात्र कर्मचारी को पूरे कार्य का भार उठाना पड़ता है। कई बार तो राजस्व से संबंधित कार्य भी प्रभावित होते हैं लेकिन टारगेट भी हर हाल में पूरा करके देना होता है ऐसे में विभागीय कर्मचारियों को भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
चौपहिया वाहन की तक नहीं व्यवस्था
जिला नापतोल विभाग में न सिर्फ स्टाफ की कमी है बल्कि यह विभाग स्टाफ के साथ-साथ अन्य संसाधनों की भी भारी कमी से जूझ रहा है। बताया जा रहा कि इस विभाग के पास आवश्यक संसाधनों की भी बहुत कमी है। विभाग के पास एक चार पहिया वाहन तक मुहैया नहीं कराया गया है। शिविर लगाकर नाप तौल उपकरणों की जांच करने सील इत्यादि के समय बाइक से ही अमला आवागमन करता है। यदि कहीं से गलत तौल की शिकायत आती है तो कार्रवाई करने के दौरान भी स्टॉफ की आवश्यकता महसूस की जाती है, लेकिन जैसे तैसे काम चलाया जा रहा है।
तौलकाटा इलेक्ट्रॉनिक वजन मशीन को सत्यापित करने का काम करता है विभाग
अन्य सरकारी विभागों की तरह ही नाप तौल विभाग भी शासन का महत्वपूर्ण अंग है। आम नागरिकों को मुहैया करवाई जाने वाली वस्तुओं का सही वजन होना और उन्होंने धोखाधड़ी से बचाने में विभाग महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन करता है। विभाग वर्षभर शिविर लगाकर तराजू बाट, सभी तरह के तौल काटा यहां तक की पेट्रोल पंप, धर्मकांटा और इलेक्ट्रानिक वजन मशीन को भी सत्यापित करने का कार्य करता है। ताकि उपभोक्ताओं को उचित मूल्य पर सही वजन की सामग्री मुहैया हो सकें। लेकिन इस विभाग में अधिकारी सहित तीन लोग हैं और तीन लोग के भरोसे जिले का पूरा कार्य रखा गया है जिसके चलते परेशानियों का सामना करना पड़ता है।
जितना स्टाफ है उन्ही के जरिए होता है काम - कछवाहा
इसको लेकर की गई चर्चा के दौरान नापतोल विभाग निरीक्षक आर के कछवाहा ने बताया कि हमारे पास जितना स्टॉफ है उन्हीं के माध्यम से कार्यो का संपादन किया जा रहा है। शिकायत आने पर जांच व कार्रवाई भी की जाती है। हालाकि बिना शिकायत के कार्यवाही कर कुछ प्रकरण भी बनाए गए हैं। समय समय पर हॉट बाजारों में शिविर लगाकर तौल बांटों की जांच भी की जाती है। जितने लोग हैं उनके भरोसे यहां जिले भर का काम होता है।