बालाघाट। क्या लंपी बीमारी हो गई खत्म ?
जनप्रतिनिधियों के आगे मजबूर विभाग और प्रशासन
बालाघाट। यह हमेशा से देखने मिलता रहा है कि जनप्रतिनिधि बोल दे तो नही होने वाला काम भी तुरंत हो जाता है। प्रशासन कितने ही नियम कानून बना ले लेकिन यह भी है कि जनप्रतिनिधि बोल दे तो वहां पर जिला प्रशासन को नियम कानून भी शिथिल करने पड़ते हैं, ऐसा ही कुछ बालाघाट जिले में देखने मिल रहा है लंपी वायरस जो की पूरे प्रदेश में फैला हुआ है जिसके चलते पशुओं के जमावड़े पर प्रतिबंध लगा दिया गया है तथा पशुओं का टीकाकरण कराया जा रहा है। यह लंपी बीमारी और ज्यादा ना फैले इसके लिए जिला प्रशासन द्वारा बीते दिनों निर्देश भी जारी कर दिए गए तथा पूरे जिले भर में इस बात के निर्देश दिए गए कि पशुओं का जमावड़ा बिल्कुल न लगे तथा जहां पशु रखे जाते हैं वहां पर्याप्त सुविधा एवं सावधानियों का ध्यान रखा जाए। लेकिन यह नियम कानून वर्तमान में हवा में लटकते नजर आ रहे हैं क्योंकि एक तरफ तो जहां जिला प्रशासन द्वारा निर्देश जारी कर पशुओं के जमावड़े पर प्रतिबंध लगाया गया है वहीं दूसरी ओर वृहद स्तर पर प्रतियोगिता का आयोजन कराया जा रहा है। हजारों की संख्या में बैलजोडिय़ा एकत्रित हुई है और यह सब विभागीय अधिकारियों और जिला प्रशासन के अधिकारियों के सामने हो रहा है।
13 मवेशियों की हो चुकी है मौत
प्राप्त जानकारी के अनुसार वैसे तो यह लंपी वायरस पहले भी आ चुका है लेकिन इस बार जो लंपी वायरस आया है वह काफी खतरनाक था, जिसके चलते प्रशासन द्वारा सख्त निर्देश दिए गए थे तथा प्रत्येक मवेशियों का टीकाकरण करने के लिए शिविर भी लगाया गया। बालाघाट जिले में 4367 मवेशियों को लंपी वायरस हुआ था जिनमें से 13 मवेशियों की मृत्यु भी हो चुकी है। जितना हल्के में प्रशासन द्वारा लंपी वायरस को लिया जा रहा है उतना सामान्य नहीं है इसके बावजूद भी प्रशासन द्वारा इस पर ढिलाई बरती जा रही है।
नियम कानून को ताक पर रखकर मुरझड़ में लगा बैल जोडिय़ों का मेला
आपको बताएं कि वारासिवनी के अंतर्गत आने वाले ग्राम मुरझड़ में 18 मई से लेकर 20 मई तक राष्ट्रीय बैल जोड़ी दौड़ प्रतियोगिता का आयोजन किया गया। यह आयोजन वैसे तो जिला प्रशासन बालाघाट का है लेकिन इस पूरे आयोजन के सर्वे सर्वा पिछड़ा वर्ग कल्याण आयोग के अध्यक्ष है जिसमें बड़ी संख्या में बैलजोडिय़ा शामिल हुई है। यह कहे कि एक तरह से वहां पशुओं का मेला सा लगा रहा, वही 20 मई को विश्व मधुमक्खी दिवस का भी आयोजन किया गया। इस पूरे आयोजन में शामिल होने के लिए भाजपा प्रदेश अध्यक्ष विष्णुदत्त शर्मा सहित मंत्री गण व कई बड़ी हस्तियों सहित जिले के भाजपा पदाधिकारी व अधिकारीगण शामिल होंगे। यह कहे कि इस आयोजन में अधिकारी वर्ग से लेकर जनप्रतिनिधि भी मौजूद रहेंगे लेकिन सैंया भए कोतवाल अब डर काहे का की तर्ज पर सभी लोग लंपी को लेकर मौन ही रहेंगे।
अधिकारी कह रहे अभी स्थिति सामान्य
इस आयोजन के संबंध में जब पशु चिकित्सा विभाग के अधिकारियों से चर्चा की तो उनका कहना है कि अभी चार-पांच दिनों से लंपी बीमारी का कोई भी प्रकरण नहीं मिला है, इससे कहा जा सकता है कि स्थिति अभी सामान्य हो गई है। इसमें सवाल यह उठता है कि चार-पांच दिनों में कोई प्रकरण न मिलना क्या यह स्थिति सामान्य होने को दर्शाता है, यह साफ-साफ इंगित कर रहा है कि प्रशासन जनप्रतिनिधियों के निर्देश के आगे बेबस है।
टीकाकरण के बाद ही बैलजोड़ी की इंट्री कराई जा रही - अतुलकर
इसके संबंध में चर्चा करने का पशु चिकित्सा विभाग के उपसंचालक डॉक्टर अतुलकर ने बताया कि अभी तक बालाघाट जिले में लंपी के 4367 प्रकरण आ चुके हैं। चार-पांच दिनों से कोई केस नहीं आया है जहां यह प्रतियोगिता हो रही है उसके आसपास 10 किलोमीटर की एरिया में लंपी वायरस को लेकर टीकाकरण किया जा चुका है और जो भी बैल जोड़ी आ रही है उसका लंपी का टीकाकरण होने का प्रमाण पत्र देखने के बाद ही उसको पट प्रतियोगिता में एंट्री दी जा रही है। वही प्रतियोगिता स्थल पर 4 डॉक्टरों की टीम लगाई गई है जिनके द्वारा पट आयोजन में आने वाले पशुओं की जांच की जाएगी तथा उन्हें प्रमाण पत्र देने के साथ ही प्रतियोगिता में एंट्री कराई जा रही है। पूरी सावधानी बरतते हुए व नियम निर्देशों का पालन करते हुए यह आयोजन कराया जा रहा है।
स्थानीय विधायक को नहीं किया गया आमंत्रित
विश्व मधुमक्खी दिवस एवं पट प्रतियोगिता आयोजन को लेकर जो आमंत्रण कार्ड छपवाया गया है उसमें स्थानीय विधायक का कहीं भी जिक्र नहीं है। इसका मतलब साफ है कि वारासिवनी विधायक व खनिज निगम अध्यक्ष प्रदीप जायसवाल को इस पूरे आयोजन से दरकिनार किया गया है जबकि यह पूरा आयोजन जिला प्रशासन का है। याने जिला प्रशासन द्वारा प्रोटोकाल का उल्लंघन किया गया है, इससे यह असमंजस हो रहा है कि यह आयोजन जिला प्रशासन का है या भाजपा का।